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पाठ 1 : सृष्टि का महान परमश्वेर

बाइबल की कहानी परमेश्वर के आशीर्वाद देने की योजना की कहानी है। वह हमें जीवन देकर आशीष देता है। उसने सुंदर सृष्टि की रचना की नीला आकाश और सितारे, महासागर और पहाड़। वह इन सभी को चलाने के लिए शक्ति और व्यवस्था प्रदान करता है।

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पाठ 2: पतन

आदम और हव्वा ने एक भयानक निर्णय लिया। परमेश्वर ने उनके लिए एक बहुत शानदार, सुंदर दुनिया बनाई थी। उसने उन्हें अपनी छवि में बनाकर उन्हें सर्वोच सम्मान दिया।

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पाठ 3: विद्रोह जारी है: नूह और बाबेल

आदम और हव्वा के बच्चे हुए, और फिर उनके बच्चों के और भी बच्चे हुए। समय के साथ, हजारों लोग धरती पर भर गए। प्रत्येक व्यक्ति में परमेश्वर की छवि पहले ही विकृत और खंडित हो गयी थी। जिस प्रकार आदम और हव्वा ने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया था, उसी प्रकार उनके वंशज भी परमेश्वर के विरुद्ध हो गए।

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पाठ 5: मूसा के साथ परमेश्वर की वाचा

परमेश्वर ने अपने विश्वासयोग्य सेवक, अब्राहम से वादा किया था कि वह उसके वंश को एक महान राष्ट्र बनाएगा। मिस्र में चार सौ वर्ष तक रहने के बाद, अब्राहम के वंशज दो लाख से अधिक हो गए थे। उन्हें इस्राएली कहा जाता था परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को मिस्र देश से बाहर लाने के लिए एक और महान सेवक, मूसा, को बुलाया ताकि वह उन्हें उस देश में ला सके जिसे परमेश्वर ने अब्राहम से वादा किया था।

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पाठ 6: मूसा के नियम , आज्ञाएँ, मंदिर

परमेश्वर ने मूसा और इस्राएलियों के साथ एक विशेष वाचा बनाई थी। वे अब्राहम के वंश थे। वे उसके चुने हुए लोग थे! वे दुनिया के लिए एक याजकों का देश बनने जा रहे थे। परमेश्वर को किस प्रकार प्रसन्न करना है इसके विषय में उसने उन्हें एक बहुत ही सुंदर उपहार दिया।

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पाठ 7: प्रायष्टश्चत का दिन

परमेश्वर पवित्र और सिद्ध है। उसकी पवित्रता अग्रि के समान लगती है। यदि आग मृत पत्तियों को छूती है, तो आग तुरंत उन्हें जला देगी। राख के अलावा कुछ भी नहीं बचेगा। इसी प्रकार परमेश्वर की पवित्रता पाप के साथ है। उसकी तीव्र शुद्ध पवित्रता का प्रभाव पाप को पूरी तरह भस्म कर देगी जितनी बार वह उसके निकट आता है।

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पाठ 8 :दाऊद राजा के साथ परमश्वेर की वाचा

जब मूसा चालीस वर्षों तक मरुभूमि के माध्यम से इस्राएल देश का नेतृत्व कर रहा था, तब परमेश्वर ने इस्राएल देश को अपने सुंदर नियम, दस आज्ञाएं दीं। जब उन्होंने परमेश्वर के आदेशों का उल्लंघन किया तब उसने उन्हें अपने पापों से पश्चाताप करने का एक रास्ता दिखाया ताकि वे शुद्ध और संपूर्ण हो सकें ।

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पाठ 9: विश्वासहीन इस्राएल और उनका विश्वायोग्य परमेश्वर: उनका आने वाला मसीहा

परमेश्वर के द्वारा इस्राएल के लोगों को दिए गए सभी वादे और आशीषें देने के बाद ऐसा लगता था कि वे खुश होकर इन सभी नियमों का ध्यानपूर्वक पालन करेंगे। कभी-कभी इस्राएल देश ने आज्ञा तो मानी। परन्तु अधिकतर समय उन्होंने अपने परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह किया। उनके हृदय उसके विरुद्ध हो गए थे। सभी शहर पाप और शर्मनाक व्यवहार के साथ जी रहे थे।

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पाठ 10:परमश्वे र की चुप्पी ...और उसकी सबसमाहान भविष्यवाणी

परमेश्वर के यहूदियों को वादे के देश में लौटाने के बाद, उन्होंने यरूशलेम और मंदिर की दीवारों का पुनर्निर्माण किया। उन्होंने एक बार फिर से अपना जीवन जीना शुरू कर दिया। उन्होंने मसीहा की प्रतीक्षा की। युद्ध हुए, अन्य राष्ट्रों ने उन पर शासन किया, और फिर भी परमेश्वर ने उन्हें शक्तिशाली राष्ट्र नहीं बनाया जैसा उसने वादा किया था।

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पाठ 11 :पृथ्वी की स्थिति - यरूशलमे मे क्रूस का परिणाम

प्रेरितों बाइबिल की पुस्तक है जो बताती है कि किस प्रकार यीशु के मरने और फिर जी उठने के बाद, परमेश्वर के साथ अद्भुत नई वाचा की पकड़ संसार में किस प्रकार है। मंदिर में अब बलिदान चढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं थी

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पाठ 12: प्ररेरतों का परिचय

शुरुआत से परमेश्वर की योजना की कहानी, जब उसने सृष्टि की रचना, पुराने नियम में बताई गयी है। जो लोग यीशु के पीछे चल रहे थे वे पुराने नियम की कहानी बहुत अच्छी तरह जानते थे। वे अच्छे, धार्मिक यहूदी थे। उनके देश को चुना जाना ही परमेश्वर की यह कहानी थी।

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पाठ 13: यरूशलमे अचंभित हो रहा है

यरूशलेम के सभी लोग जब यीशु के क्रूस पर बड़े जाने के विषय में और उसके आस पास की अफवाहों के बारे में सोच रहे थे, यीशु अपने वफादार मित्रों के साथ मिलकर उन्हें बता रहा था कि क्या होने जा रहा था।

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पाठ 15: परमश्वेर की उपस्थिति फिर से आती है :आत्मा का अभिषेक

जब शिष्य अपने प्रभु को आकाश में उठते देख रहे थे, तो स्वर्गदूतों ने आशा के महान शब्द कहे। एक दिन वह उसी पहाड़ी पर लौटेगा, और जब वह लौटेगा, तो सब कुछ हमेशा के लिए बदल जाएगा। जब शिष्य यरूशलेम वापस लौट रहे थे तब ये क्या सोच रहे थे

अगले दस दिनों के लिए शिष्यों ने अपने परमेश्वर के शब्दों पर विचार किया।

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पाठ 16: मुंदिर मै साहस : पतरस खड़ा होता है

यीशु के ऊपर उठाये जाने और स्वर्ग में परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठने के ठीक पहले उसने शिष्यों से वादा किया था कि वह उन्हें अपनी पवित्र आत्मा भेजेगा। ऐसा दस दिन पहले हुआ था, और अब आत्मा मसीह के विश्वासियों पर आग की जीभ की तरह उतर आई थी।

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पाठ 17: पहला संदेश

प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से वादा किया कि वह अपनी पवित्र आत्मा उन्हें भेजेगा। अब पिन्तेकुस्त के पर्व पर यीशु के स्वर्गारोहण के दस दिन बाद, आत्मा आग के ज्वाला के समान आई और यीशु के शिष्यों को साहस और शक्ति के साथ भर दिया।

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पाठ 18: विपुल कलीसिया

देखिये पतरस कैसे बदल गया! एक बार उसने इनकार किया था कि वह यीशु का मित्र था क्योंकि उसे डर था कि उसे पीटा जाएगा। अब वह यरूशलेम के बीच में खड़े होकर यह घोषित कर रहा था कि यीशु परमेश्वर था! पवित्र आत्मा की शक्ति ने. उसे बदल दिया था। और आत्मा ने सुनने वाले लोगों के दिल में कार्य किया।

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पाठ 19: सुंदर नामक फाटक पर बैठा भिखारी

पतरस और यूहन्ना सुलैमान के ओसारे नामक मंदिर के द्वार में गए। वह भिखारी जिसे पतरस ने फाटक पर, जिसे सुंदर कहा जाता था, अभी अभी ठीक किया था, वह पतरस और यूहन्ना को पकड़े हुए अद्भुत काम के लिए परमेश्वर की प्रशंसा कर रहा था।

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पाठ 21 : महासभा के सामने पतरस की घोषणा

अगले दिन महासभा मंदिर में मिले। इस्राएल में महामहिम सबसे शक्तिशाली धार्मिक अगुएं थे। वे सुप्रीम कोर्ट की तरह थे। उन्होंने सभी यहूदियों पर सर्वोच्च न्यायाधीशों के रूप में कार्य किया था। वे सुसमाचार के प्रचार को लेकर बहुत क्रोधित थे।

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पाठ 23 : हनन्याह और सफ़ीरा

नए मसीही समुदाय में कई लोग अपनी संपत्ति बेच रहे थे और प्रेरितों को पैसा दे रहे थे ताकि वे अन्य दरिद्र विश्वासियों की मदद कर सकें। बरनबास ने अपना खेत बेच दिया था। हनन्याह और उसकी पत्नी सीरा नामक एक जोड़े ने भी अपनी संपत्ति का एक टुकड़ा बेचा।

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पाठ 24: आनंददायक उत्पीड़न

यहूदी धार्मिक अगुओं ने वो सब देखा जो परमेश्वर प्रेरितों के माध्यम से कर रहा था और वे और अधिक ईर्ष्यावान होते जा रहे थे। याजक और अगुएं इसलिए ईर्ष्या नहीं कर रहे थे क्योंकि वे परमेश्वर से प्रेम करते थे और उन्हें लगा कि शिष्य परमेश्वर को अपमानित कर रहे थे।

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