पाठ 3: विद्रोह जारी है: नूह और बाबेल

आदम और हव्वा के बच्चे हुए, और फिर उनके बच्चों के और भी बच्चे हुए। समय के साथ, हजारों लोग धरती पर भर गए। प्रत्येक व्यक्ति में परमेश्वर की छवि पहले ही विकृत और खंडित हो गयी थी। जिस प्रकार आदम और हव्वा ने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया था, उसी प्रकार उनके वंशज भी परमेश्वर के विरुद्ध हो गए। उनमें से कुछ परमेश्वर पर विश्वास करते थे और प्रेम करते थे, परन्तु उनमें से अधिकतर नहीं करते थे। मानव समाज बदतर से बदतर हो गया। लोग झूठ बोलते थे और मतलबी और क्रूर हो गए थे। वे हिंसक हो गए, एक-दूसरे की चोरी करने लगे, और हत्या करने लगे। पति और पत्नी एक दूसरे से प्रेम नहीं करते थे और दूसरे लोगों के साथ उस प्रेम में पड़ गए जो केवल एक पति और पत्नी के बीच विवाह के अंतर्गत होना चाहिए था। वह प्रेम परमेश्वर की छवि थी, और अब पृथ्वी के लोग गंदे और दुष्ट बन गए थे।

परमेश्वर क्रोधित हुआ। उसने इन सब को बनाया था, और वे उसकी सामर्थ के द्वारा जी रहे थे, परन्तु उन्होंने अपना जीवन और समय उसके विरुद्ध विद्रोह करने में उपयोग किया। उनके विरुद्ध सिद्ध न्याय में, परमेश्वर ने निश्चित किया कि वह उन्हें पाप और विद्रोह और बुरे काम करने के लिए और अवसर नहीं देगा उसने निर्णय लिया कि वह उस गंद को मिटाने के लिए जलप्रलय भेजेगा जो मानव जाति के कारण संसार में आया।

जलप्रलय से बचने वाला एकमात्र नूह और उसका परिवार था। नूह महान विश्वास का एक धर्मी व्यक्ति था, और परमेश्वर चाहता था कि नूह और उसका परिवार जीवित रहे। वह नूह और उसके परिवार को, मानव जाति को फिर से शुरू करने के लिए उपयोग करेगा! इसलिए परमेश्वर ने नूह को जलप्रलय के विषय में चेतावनी दी। उसने नूह को अपने परिवार और सभी जानवरों को जलप्रलय से बचने के लिए एक विशाल नाव को बनाने के लिए आज्ञा दी। जिस समय परमेश्वर ने नूह को यह बताया, उस समय तक भी जलप्रलय के आने का कोई संकेत नहीं आ रहा था। परन्तु नूह ने परमेश्वर पर भरोसा किया। वह एक विश्वासी व्यक्ति था। जलप्रलय के विषय में जो परमेश्वर ने कहा था उस पर उसने विश्वास किया, और उसने नाव बनाई।

यह उसके विपरीत है जो आदम और हब्वा ने किया था, है ना? आदम और हव्वा ने परमेश्वर के बजाय शैतान पर भरोसा किया। नूह ने एक बेहतर विकल्प बनाया। परमेश्वर ने उसे विश्वास करने के लिए आशीष दी। परमेश्वर ने एक विशाल तूफ़ान भेजा जो कई दिनों तक चलता रहा। चारों ओर से पशु आए और नाव में प्रवेश किया। चूंकि बारिश के पानी से सारी पृथ्वी में बात शुरू कर हो गयी थी. नूह के परिवार और जानवर नाव के अंदर सुरक्षित थे, परन्तु दुनिया के अन्य सभी लोग डूब गए। कई दिनों के बाद बारिश बंद हो गई। जल्द ही नूह के परिवार और जानवर नाव छोड़ सकेंगे और फिर से एक सामान्य जीवन जीना शुरू कर सकेंगे!परमेश्वर ने नूह के परिवार के साथ फिर से मानव जाति की शुरुआत की। क्या आपने देखा कि किस प्रकार परमेश्वर उन लोगों से प्रेम करता है और उनका सम्मान करता है जो उस पर विश्वास रखते है? जलप्रलय के बाद, परमेश्वर ने नूह के साथ एक वाचा बनाई । वाचा एक वादा है। परमेश्वर ने नूह से वादा किया कि वह फिर कभी भी जलप्रलय के साथ मानवता को नष्ट नहीं करेगा। उस वाचा का संकेत इंद्रधनुष है। जब आप इंद्रधनुष देखते हैं, तो आप जान जाते हैं कि यह आकाश से गिरने वाले पानी से सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है। आपको यह भी याद रखना चाहिए कि यह हमेशा के लिए मानवता के लिए परमेश्वर के वादे का संकेत है।

नूह एक अच्छा इंसान था, लेकिन वह और उसके वंशज अभी भी उस पाप से भरे हुए थे जो आदम और हव्वा के द्वारा हम पर आया है। समय के साथ, हजारों लोग पैदा हुए, और समय के साथ, उन्होंने फैसला किया कि वे एक शहर बनायेंगे। वे एक शहर बनाना चाहता थे जिसमें एक बड़ी ईमारत हो। उसका नाम बाबुल था। उन्होंने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि वे परमेश्वर से प्रेम करते थे और उसके निकट रहना चाहते थे। वे एक साथ काम नहीं करना चाहते थे जिससे कि वे परमेश्वर के प्रेम की छवि को प्रतिबिंबित कर सकें। वे उस परमेश्वर की सुंदरता और महिमा को प्रतिबिंबित नहीं करना चाहते थे जिसने ब्रह्मांड को सृजा था। वे सब मनुष्यों को साथ मिलाकर पृथ्वी पर शासन करना चाहते थे। वे आदम और हव्वा की तरह परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह कर रहे थे। वे नूह के समय के पापी लोगों की तरह परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह कर रहे थे। यह परमेश्वर पर विश्वास और निर्भरता में रहने के विपरीत था।

परमेश्वर क्रोधित हुआ । उसने उनका न्याय करने का निर्णय किया। परमेश्वर का न्याय सही और उपयुक्त है। जब भी वह बाइबल में मनुष्य का न्याय करने का निर्णय करता है, तो हमें बहुत सोचने की आवश्यकता है कि ऐसा क्यूँ है। परमेश्वर सिद्ध है। वह हमेशा सही है। क्रोधित होने के उसके कारण हमेशा सही होते हैं. और ऐसे ही उसके निर्णय के कारण भी उसके कारण हमें सिखाएंगे कि हमें कैसे सोचना चाहिए। वे हमें दुनिया के बारे में बहुत कुछ सिखाएंगे और हमें किस प्रकार जीवन जीना चाहिए। वह नहीं चाहता कि हम बाबुल के लोगों के जैसे बनें। वह जानता है कि हमारे लिए प्रार्थना करना और उस पर निर्भर होना सबसे अच्छा है, उससे दूर रहने की कोशिश न करें।

अंतिम बार जब परमेश्वर ने मानवता का न्याय किया तो उसने एक बड़ा जलप्रलय भेजा। इस बार, परमेश्वर ने भ्रमित करके बाबुल के लोगों का न्याय किया। उस समय तक, संसार में प्रत्येक व्यक्ति एक ही भाषा बोलता था और एक दूसरे के निकट रहता था। परमेश्वर ने वह सब बदल दिया। उसने समूहों को एक-दूसरे से अलग कर के उन्हें पूरे देश में बिखेर दिया। उसने प्रत्येक समूह को एक दूसरे से विभिन्न भाषा बुलवाई ताकि वे एक दूसरे को न समझ सके। अलग-अलग समूह अब एक दूसरे से बात नहीं कर सकते थे। इस तरह वे परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह करने के लिए मिलकर काम नहीं कर सके। यही कारण है कि आज भी दुनिया भर में इतनी सारी भाषाएं और राष्ट्र हैं।