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पाठ 1 : सृष्टि का महान परमश्वेर

बाइबल की कहानी परमेश्वर के आशीर्वाद देने की योजना की कहानी है। वह हमें जीवन देकर आशीष देता है। उसने सुंदर सृष्टि की रचना की नीला आकाश और सितारे, महासागर और पहाड़। वह इन सभी को चलाने के लिए शक्ति और व्यवस्था प्रदान करता है।

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पाठ 17: पहला संदेश

प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से वादा किया कि वह अपनी पवित्र आत्मा उन्हें भेजेगा। अब पिन्तेकुस्त के पर्व पर यीशु के स्वर्गारोहण के दस दिन बाद, आत्मा आग के ज्वाला के समान आई और यीशु के शिष्यों को साहस और शक्ति के साथ भर दिया।

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पाठ 23 : हनन्याह और सफ़ीरा

नए मसीही समुदाय में कई लोग अपनी संपत्ति बेच रहे थे और प्रेरितों को पैसा दे रहे थे ताकि वे अन्य दरिद्र विश्वासियों की मदद कर सकें। बरनबास ने अपना खेत बेच दिया था। हनन्याह और उसकी पत्नी सीरा नामक एक जोड़े ने भी अपनी संपत्ति का एक टुकड़ा बेचा।

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पाठ 26: स्तिफनुस की गिरफ़्तारी

विभिन्न समूह के लोगों के साथ यरूशलेम की कलीसिया बड़ती ही जा रही थी। कभी-कभी, जितना लोग एक दूसरे से भिन्न होते हैं, उतना ही साथ मिलकर रहना भी कठिन होता है।

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पाठ 61 एक नए शहर की जीवनशैली

पौलुस ने उन कलीसियाओं को कई पत्र लिखे जिन्हें परमेश्वर ने उसकी सेवकाई के माध्यम से स्थापित किया था। उनमें से कई अब नए नियम का हिस्सा हैं। रोमियों, पहला और दूसरा कुरिन्थियों, गलातियों, इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, और पहला और दूसरा थिस्सलुनीकियों, ये सभी पत्र हैं जिन्हें पौलुस ने विभिन्न कलीसियाओं को लिखे थे ।

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पाठ 68 पौलुस कलीसिया को प्रभु के हाथों में सौंपता है

पिछले दो सप्ताह में, हमने घिस्सलुनीके के विषय में और किस प्रकार पौलुस ने प्रत्येक शहर में एक कलीसिया को जागृत किया, सीखा है। हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि पवित्र आत्मा द्वारा पौलुस को कौन से लक्ष्य दिए गए थे। वही आत्मा हमारे दिल में है, और परमेश्वर चाहता है कि हम भी उसी प्रकार जीएं! बिसनीके में पौलुस और सीलास की कहानी से आरंभ होकर अब हम प्रेरितों की पुस्तक में अगली कहानियों की ओर बढ़ेंगे। याद रखें, उनके बन्दीगृह में डाल दिए थे।

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पाठ 69 पौलुस के सन्देश का परिणाम और अंतिम समय

पौलुस और सीलास रात को चित्रालुनीके से बिरीया शहर को गए। यह बहुत लम्बी पैदल यात्रा थी। उनके मस्तिष्क में कितने विचार आ रहे होंगे। वे शिष्य जिनमें से प्रेम करते थे और जिन्हें पीछे छोड़ दिया था, वह कोशित भीड, जल्दी से बच निकलना, यह सब । वे यहूदी जिन्होंने उथल-पुथल मचाई थी उनके द्वारा संसार में मसीहा आने वाला था!

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पाठ 80 पौलुस और उसके मित्रों की आगे यात्रा

त्रोआस में जोखिम भरी शाम के बाद, पौलुस के साथी एक जहाज़ पर चढ़कर अस्सुस के लिए रवाना हुए। लूका उनके साथ था। वे वहां पौलुस से मिलने जा रहे थे, परन्तु वह वहां आप ही पैदल जाने वाला था। पौलुस असोस में नाव पर अपने मित्रों से जुड़ गया और वे लेस्बोस द्वीप पर स्थित मिलेस के बंदरगाह कि ओर गए।

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पाठ 81 सूर में पौलुस का समय

इफिस की कलीसिया के प्राचीनों को जो कुछ पौलुस के हृदय में था उन्हें बताने के बाद, उसने उनके साथ घुटने टेके और मिलकर प्रार्थना की। जब वे विदा हो रहे थे, वे गले लग कर बहुत रोये और चुंबन देकर विदा हुए। वे यह सुनकर बहुत दुखी थे कि वे अब कभी पौलुस को नहीं देख पाएंगे।

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पाठ 82 यरूशलेम को जाने वाला मार्ग

सूर से निकलकर शिष्य जलयात्रा करके पतुलिमयिस में उतरे। वहां कुछ विश्वासी भाई थे, और इसलिए वे वहां गए। क्या यह अद्भुत बात नहीं कि जहाँ कहीं भी यरूशलेम में पौलुस उतरता था वहां भेंट करने के लिए मसीही भाई और बहन होते थे? प्रेरितों की किताब की शुरुआत में लिखा है कि, दुनिया में एक सौ बीस विश्वासी थे।

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पाठ 85 मंदिर में पौलुस

पौलुस यरूशलेम के मंदिर में था। पूरा शहर उसके विरुद्ध आक्रोश में था। रोमी सैनिक वास्तव में पौलुस को अपने कंधों पर उठाकर ले गए ताकि भीड़ उसे मार न सके। तब पौलुस ने एक बहुत ही अजीब बात की। उसने पूछा कि क्या वह वापस जाकर भीड़ से बात कर सकता है।

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पाठ 89 पौलुस के विरुद्ध षड्यंत्र

यहूदी अभी भी उस संदेश को लेकर क्रोधित थे जिसे पौलुस यरूशलेम में वापस ले आया था। उस सुबह के बाद जिस दिन जीवित परमेश्वर के पुत्र ने पौलुस के साथ भेंट की थी, चालीस से अधिक लोगों ने पौलुस को मारने का षड्यंत्र रचा। यह केवल एक सांसारिक लड़ाई नहीं थी। यह आध्यात्मिक थी।

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