पाठ 10:परमश्वे र की चुप्पी ...और उसकी सबसमाहान भविष्यवाणी

परमेश्वर के यहूदियों को वादे के देश में लौटाने के बाद, उन्होंने यरूशलेम और मंदिर की दीवारों का पुनर्निर्माण किया। उन्होंने एक बार फिर से अपना जीवन जीना शुरू कर दिया। उन्होंने मसीहा की प्रतीक्षा की। युद्ध हुए, अन्य राष्ट्रों ने उन पर शासन किया, और फिर भी परमेश्वर ने उन्हें शक्तिशाली राष्ट्र नहीं बनाया जैसा उसने वादा किया था। अन्य राष्ट्रों के अति दुष्ट राजा परमेश्वर के लिए बहुत घृणा के साथ आए थे। उन्होंने परमेश्वर के पवित्र मंदिर को अशुद्ध कर दिया, और फिर भी मसीहा नहीं आया। उन्हें पांच सौ वर्ष तक प्रतीक्षा करनी होगी। उन्हें लगा परमेश्वर चुप है। कोई और भविष्यद्वक्ता नहीं थे। सिंहासन पर कोई राजा नहीं था। उनके पास पढ़ने के लिए केवल परमेश्वर का वचन, पुराना नियम था पांच सौ वर्ष तक यह उनकी आशा और शांति बनी हुई थी।

अंत में, परमेश्वर ने कार्य किया। वह दिन आ गया था जब भविष्यवक्ताओं द्वारा की गयी भविष्यवाणी पूरी होगी। बैतलहम में एक बालक पैदा हुआ। वह कोई साधारण बालक नहीं था। वह परमेश्वर का पुत्र था, और उसने मनुष्य रूप धारण किया ताकि वह परमेश्वर के सभी वादों की आशा को पूरा कर सके। यह बालक यीशु था, और वह एक ऐसा परिपूर्ण जीवन जीएगा जैसा केवल परमेश्वर ही जी सकता है। वह सबसे महान नवी था, प्रत्येक शब्द जो उसने कहे वे परमेश्वर के ही वचन थे। हम उसके वादों पर पूरी तरह से आशा रख सकते हैं। हमारे महान महायाजक के रूप में, उसने अपना ही लहू हमारे लिए बलिदान किया, ताकि और कोई बलिदान नहीं किया जाए। हम पूरी तरह से विश्वास कर सकते हैं कि उसने हमें मुक्ति दिलाई और अनन्त जीवन दिया। स्वर्ग के सिंहासन पर महान महाराजा के रूप में, वह पूअधिकार के साथ शासन करता ही हम पूरी तरह से उस पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि वह हर दिन हमारे जीवन का मार्गदर्शन करता है।

उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, यीशु मसीह ने, जो इस्राएल की आशा है, एक नई वाचा दी, जो हमारे लिए परमेश्वर के पास आने का एक बिल्कुल नया रास्ता था। यह वही वाचा थी जिसके विषय में यिर्मयाह ने बताया था। मनुष्य को नया हृदय मिल सकता है।

यीशु जब पहली बार दो हज़ार वर्ष पहले आया था, वह दुनिया के देशों को जीतने के लिए नहीं आया था, यद्यपि इस्राएल के लोग यही उम्मीद कर रहे थे। यीशु ने इससे भी बढ़कर किया। वह आया और पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त की। जो आदम और हव्वा ने नष्ट कर दिया था उसे वह ठीक करने आया था। उसने उस भयानक अभिशाप को पूर्ववत किया जिसे वे दुनिया में ले आए थे। मसीह की विजय हर मनुष्य के हृदय से जुड़ी हुई है जो उस पर विश्वास करता है। मानव के हृदय में परमेश्वर की छवि जो टूटी हुई और विकृत थी. वह अब पूर्णता में बहाल की जा सकती है।

अब, मानवता परमेश्वर से अलग नहीं हो सकता था। जिन मनुष्यों ने यीशु पर अपना विश्वास रखा है, उन्हें परमेश्वर की आज्ञा मानने की शक्ति और स्वतंत्रता प्राप्त हुई। जब हम यीशु पर अपना विश्वास रखते हैं, तो वह हमारे हृदय को अपनी आत्मा से भर देता है। परमेश्वर की आत्मा की सामर्थ के द्वारा, हम आज्ञा मानने या न मानने का विकल्प चुन सकते हैं और एक दिन, जब हम स्वर्ग में जायेंगे, तब जो लोग यीशु पर विश्वास रखते हैं, वे पाप से सम्पूर्णतापूर्वक मुक्त होंगे। हमारा कोई भी हिस्सा जो पाप कर सकता है पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा, और फिर कोई मृत्यु नहीं होगी। वाह। सुसमाचार के इतिहास में यह सबसे शुभ सन्देश है!

जब यीशु नया बाचा को लाया, तो इस्राएल के साथ बनाई गयी वह पुरानी वाचा समाप्त हो गयी जिसे परमेश्वर ने मूसा के समय बनाई थी। बीशु ने लहू का अंतिम बलिदान दिया। सप्ताह व सप्ताह, साल व साल, इस्राएल ने जो उन सभी सैकड़ों वर्षों से परमेश्वर को पशु बलिदान चढ़ाया, वे इस अंतिम बलिदान को इंगित कर रहे थे। इसके द्वारा उन्हें तैयार किया जा रहा था कि वे यीशु के आने के महत्व को समझ सके। यह इस्राएलियों को सिखाना था कि परमेश्वर पाप से कितनी घृणा करता है और यह कि क्यूँ उसके पुत्र का आना और मरना आवश्यक था। जितनी बार जब एक इस्राएली पाप करता था और तम्बू या मंदिर में उसे बकरी या पक्षी या भेड़ के बच्चे के लहू का बलिदान चढ़ाना था, वे उस बात को इंगित कर रहे थे जो यीशु स्वयं पूरी तरह से करने जा रहा था। नियम की अब कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि यीशु ने अपने लहू के द्वारा पाप की पूरी कीमत चुका दी थी। अब, यीशु की आत्मा हर उस मानव के हृदय में थी जिसने विश्वास किया था, जिसके द्वारा वे परमेश्वर से प्रेम कर सकते थे और उसकी आज्ञा मान सकते थे!

यीशु उस वाचा को पूरा करने के लिए भी आया था जिसे परमेश्वर ने अब्राहम के साथ बांधी थी। परमेश्वर ने कहा कि पूरी दुनिया अब्राहम के वंशजों के द्वारा आशीष पाएगी। वे सभी देशों के लिए याजक ठहरेंगे। यीशु मसीह, जो अब्राहम का वंशज था, महान महायाजक के रूप में आया। वह पूरी दुनिया के पापों के लिए मर गया। उसकी मृत्यु एक नई वाचा के लिए मार्ग होगी जो न केवल इस्राएल देश के लिए थी, परन्तु किसी के लिए भी जिसने मसीह पर विश्वास किया था और मसीह के शिष्य, इखाएल देश के लोग, इस अद्भुत समाचार को दुनियाभर में फैलाना शुरू कर देंगे।

परमेश्वर आशीष देना चाहता है। सबसे बड़ी आशीष स्वयं परमेश्वर है। वह पूर्णरूप से भला और प्रेम है। परमेश्वर की वह उपस्थिति जो अदन की वाटिका में आदम और हव्वा के साथ थी। वे स्वयं पर और दुनिया पर एक अभिशाप ले आए जिसके कारण उन्हें वहां से निकाला गया। इसलिए परमेश्वर ने अब्राहम के वंशजों के द्वारा शापित दुनिया में आने का एक रास्ता निकाला। सीने पर्वत पर उस देश में उसकी उपस्थिति उस समय आई जब उसने नियम और वाचा मूसा को दिए थे। तम्बू के साथ उसकी उपस्थिति वादे के देश तक उनके साथ साथ रही। उसकी शक्तिशाली उपस्तिथि मंदिर में अति पवित्र स्थान में रही और तब परमेश्वर की उपस्थिति लोगों के पास आई जब यीशु, जीवित परमेश्वर का पुत्र, लोगों के बीच चला फिरा, उन्हें चंगाई दी और उन्हें वचन सिखाया। वह क्रूस पर मर गया, गाड़ा गया, और तीसरे दिन फिर से जी उठा। उसने कीमत चुकाई और द्वार खोला ताकि वे सब जो विश्वास करते हैं, अपने ही हृदय में परमेश्वर की उपस्थिति के साथ एक जीवित मंदिर बन सके। नई वाचा की महान जीत के साथ, यीशु के क्रूस पर विजय पाने से, I पवित्र आत्मा हमारे हृदय में आ जाता है। परमेश्वर की शक्तिशाली, पवित्र उपस्थिति हम में से प्रत्येक में है।