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पाठ 2: पतन

आदम और हव्वा ने एक भयानक निर्णय लिया। परमेश्वर ने उनके लिए एक बहुत शानदार, सुंदर दुनिया बनाई थी। उसने उन्हें अपनी छवि में बनाकर उन्हें सर्वोच सम्मान दिया।

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पाठ 5: मूसा के साथ परमेश्वर की वाचा

परमेश्वर ने अपने विश्वासयोग्य सेवक, अब्राहम से वादा किया था कि वह उसके वंश को एक महान राष्ट्र बनाएगा। मिस्र में चार सौ वर्ष तक रहने के बाद, अब्राहम के वंशज दो लाख से अधिक हो गए थे। उन्हें इस्राएली कहा जाता था परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को मिस्र देश से बाहर लाने के लिए एक और महान सेवक, मूसा, को बुलाया ताकि वह उन्हें उस देश में ला सके जिसे परमेश्वर ने अब्राहम से वादा किया था।

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पाठ 11 :पृथ्वी की स्थिति - यरूशलमे मे क्रूस का परिणाम

प्रेरितों बाइबिल की पुस्तक है जो बताती है कि किस प्रकार यीशु के मरने और फिर जी उठने के बाद, परमेश्वर के साथ अद्भुत नई वाचा की पकड़ संसार में किस प्रकार है। मंदिर में अब बलिदान चढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं थी

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पाठ 12: प्ररेरतों का परिचय

शुरुआत से परमेश्वर की योजना की कहानी, जब उसने सृष्टि की रचना, पुराने नियम में बताई गयी है। जो लोग यीशु के पीछे चल रहे थे वे पुराने नियम की कहानी बहुत अच्छी तरह जानते थे। वे अच्छे, धार्मिक यहूदी थे। उनके देश को चुना जाना ही परमेश्वर की यह कहानी थी।

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पाठ 16: मुंदिर मै साहस : पतरस खड़ा होता है

यीशु के ऊपर उठाये जाने और स्वर्ग में परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठने के ठीक पहले उसने शिष्यों से वादा किया था कि वह उन्हें अपनी पवित्र आत्मा भेजेगा। ऐसा दस दिन पहले हुआ था, और अब आत्मा मसीह के विश्वासियों पर आग की जीभ की तरह उतर आई थी।

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पाठ 36 : समुद्र किनारे पतरस द्वारा किये गए चमत्कार

शिष्य दुनियाभर में बिखरे हुए थे। सुसमाचार अधिक से अधिक लोगों तक फैल रहा था। इस दौरान, पतरस ग्रामीण इलाकों की यात्रा कर रहा था। एक दिन, वह लुद्दा नामक एक शहर में संतों के साथ भेंट करने के लिए रुका। जब वह वहां था, वह अनियास नमक व्यक्ति से मिला। एनीस लकवे का रोगी एक मनुष्य था।

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पाठ 37: नई वाचा की उज्ज्वल आशा

याफा के उत्तर में लगभग तीस मील की दूरी पर, वह शहर जहां पतरस शमौन के साथ रह रहा था जो चमड़े का धंधा करता था, वहां कुरनेलियस नामक एक व्यक्ति रहता था। वह एक रोमी सुवेदार था, जिसका अर्थ है कि वह रोमी सेना में एक सेनापति था। वह कम से कम सौ सैनिकों का प्रभारी था।

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पाठ 38: पतरस का गरजनापूर्ण दर्शन

अगले दिन, कुरनेलियस के लोग चलते चलते जब जोपा के पास पहुंचे, तो पतरस शमीन की छत पर चढ़कर प्रार्थना करने लगा। पतरस कितना उत्तरदायी महसूस कर रहा होगा। वह कलीसिया की चट्टान था। उसने जो विकल्प बनाए और जिन चीजों को उसने मंजूरी दे दी थी, वे जीवित परमेश्वर के परिवार पर एक अच्छा प्रभाव डाल रहे थे।

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पाठ 39: यहूदी और गैर - यहूदी की भेंट

कुरनेलियस ने अपने सेवकों को पतरस नामक व्यक्ति को खोजने के लिए भेजा जिसे परमेश्वर ने उसे एक दर्शन में खोजने के लिए कहा था। जब उन्होंने पतरस को पाया और दर्शन को समझाया, तो जो उन पुरुषों ने कहा था उसे पतरस ने स्वीकार किया, और उन्हें अतिथियों के रूप में घर में रहने के लिए आमंत्रित किया।

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पाठ 42: हेरोदेस के सिपाही बनाम परमश्वेर के दूत: कोई समान मिलान नहीं!

जिस समय बरनाबस और शाऊल अन्ताकिया में यीशु के विषय में यूनानी विश्वासियों को सिखा रहे थे, यरूशलेम में परेशानी उभर रही थी। हेरोदेस राजा मसीही लोगों को सता कर यहूदियों के अगुओं को प्रसन्न करने की कोशिश कर रहा था। यह हेरोदेस एक और प्रसिद्ध हेरोदेस राजा का भतीजा था।

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पाठ 45 बरनबास और शाऊल: पहली मिशनरी यात्रा

बरनबास और शाऊल कुछ समय के लिए अन्ताकिया में विश्वासियों के साथ ठहरे हुए थे। जो आध्यात्मिक दान उन्हें परमेश्वर ने यीशु मसीह के सुसमाचार सुनाने के लिए दिए थे उन्होंने उनका प्रयोग किया।

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पाठ 46 साइप्रस में आत्मा का कार्य

शाऊल और बरनबास युहन्ना मरकुस को साथ लेकर, जो उनका सहायक के रूप में था, अपनी पहली मिशनरी यात्रा पर निकल गए। वे भूमध्य सागर के एक शहर सिलूकिया में एक नाव पर पहुंचे, और साइप्रस द्वीप चले गए। ताजा समुद्री हवा और पानी में नाव के हिचकोले खाने की कल्पना कीजिये ।

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पाठ 47 परमेश्वर की अच्छी और सिद्ध योजना

लंबी पैदल यात्रा के बाद, पौलुस और बरनवास पिसिदिया अन्ताकिया पहुंचे। हमेशा की तरह, जब वे शहर में पहुंचे, तो पहले आराधनालय में गए। आराधनालय के अगुओं ने पुराने नियम से पढ़ा और फिर उन्होंने पौलुस और बरनवास को कुछ कहने के लिए आमंत्रित किया।

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पाठ 49 पौलुस का जुनून

जब पौलुस और बरनबास इकुनियुम पहुंचे, तो सबसे पहले वे कहाँ गए थे? वे हमेशा कि तरह, सीधे यहूदी आराधनालय में गए। संदेश को सुनने वाले सबसे पहले अब्राहम के बच्चे होंगे।

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पाठ 50 अति अनुपयुक्त आराधना - लुना का भ्रम

एक दिन जब पौलुस और बरनवास लख्खा में थे, उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को देखा जिसके पैर निर्बल थे और वह चल नहीं सकता था। वह जन्म ही से लंगड़ा था। जब पौलुस लोगों को सुसमाचार सुना रहा था तब यह व्यक्ति पौलुस को सुन रहा था। पौलुस ने जब उसे पलट कर देखा, तो उसने उस व्यक्ति में चंगे होने के विश्वास को देखा ।

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पाठ 51 कलीसियाओं की स्थापना और प्राचीनों का चुनाव

पौलुस और बरनवास दिरवे शहर पहुंचे और परमेश्वर के अनुग्रह का सुसमाचार सुनाना आरंभ कर दिया। बहुत से लोगों ने अपना जीवन प्रभु यीशु को दिया और वहां उसके शिष्य बन गए। आत्मा अपना कार्य कर रही थी। दरअसल, भले ही आस-पास के शहरों में कई समस्याएं थीं, फिर भी इकुनियुम, सिस्ट्रा और चिसिडिया के अन्ताकिया में यीशु के कई नए शिष्य थे। फिर भी अभी उन्हें परमेश्वर के विषय में बहुत अधिक ज्ञान नहीं था।

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पाठ 55 नदी के किनारे प्रिय लुदिया

त्रोबस एक सुंदर शहर था जो शानदार भूमध्य सागर के किनारे पर बसा हुआ था। पौलुस और उसके मित्र को त्रोआस से एक नाव मिली और उस व्यक्ति की खोज में जिसे उसने एक स्वप्न में देखा था, मकिदुनिया के लिए निकल पड़े। रास्ते में, वे सुमात्रा नामक एक द्वीप पर रुके। अगले दिन वे नियापुलिस नामक एक बंदरगाह पर उतरे।

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पाठ 57 बन्दीगृह में गीत गाना

जिस समय पौलुस फिलिप्पी में था, उसने एक जवान लड़की के अन्दर से एक दुष्टात्मा निकाली थी। उस लड़की के मालिक खुश नहीं थे कि उसे मुक्त कर दिया गया था। यह कितना घिनौना है। अब जब दुष्टात्मा चली गई थी, वह भविष्य के विषय में भविष्यवाणी कभी नहीं कर पाएगी। वह उनके लिए और अधिक पैसा नहीं बना पाएगी। वे क्रोधित हुए।

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पाठ 58 विस्स्लुनिके का अवलोकन

पौलुस और सीलास फिलिप्पी से आगे जाने के लिए रवाना हो गए। उन्होंने अम्किपुलिस और अल्लोनिया के शहरों से होकर एक सौ मील की दूरी तय करके थिस्सलोनिका नामक एक बड़े महत्वपूर्ण शहर की यात्रा की कल्पना कीजिए कि पौलुस और सीलास खुली सड़क पर मीलों दूर चलते हुए जा रहे हैं।

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पाठ 59 शहर के लिए पौलुस का उद्देश्य

यह एक अच्छी बात है कि पौलुस और सीलास ने अपनी आंखों को स्वर्ग की ओर लगाये रखा, नहीं तो वह निराशाजनक हो सकता था। वे लोगों को फिर से यीशु के बारे में बताने से डरेंगे। उन्हें फिलिप्पी में बहुत बुरी तरह पीटा गया था, और बहुत लोगों ने उनके विरुद्ध क्रोध जताया था। जब वे थिस्सलोनिका के महान शहर में गए, तब उन्हें मायूसी महसूस हुई होगी।

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