पाठ 7: प्रायष्टश्चत का दिन

परमेश्वर पवित्र और सिद्ध है। उसकी पवित्रता अग्रि के समान लगती है। यदि आग मृत पत्तियों को छूती है, तो आग तुरंत उन्हें जला देगी। राख के अलावा कुछ भी नहीं बचेगा। इसी प्रकार परमेश्वर की पवित्रता पाप के साथ है। उसकी तीव्र शुद्ध पवित्रता का प्रभाव पाप को पूरी तरह भस्म कर देगी जितनी बार वह उसके निकट आता है। यह उसकी उपस्थिति का सामना नहीं कर सकता है। परन्तु लोग पाप करते हैं, और परमेश्वर अपने लोगों को नष्ट नहीं करना चाहता था। वह भी उनसे अलग नहीं होना चाहता था। इसलिए उसने इस्राएल के लोगों को पश्चाताप करने और अपने पाप से शुद्ध होने का मार्ग बनाया। प्रत्येक परिवार अपने पशु बलिदान परमेश्वर के तम्बू में लाएगा। पशु का लहू वेदी को शुद्ध करेगा ताकि उनके पाप अब

परमेश्वर के अभयारण्य को प्रदूषित न कर सके। जब उन्होंने अपने पाप ने पाताम किया, उनके दिल भी बदल गए। परमेश्वर के अभयारण्य को प्रदूषित न कर सकें। जब उन्होंने अपने पाप से पश्चाताप किया, उनके दिल भी बदल गए।

परमेश्वर ने इस्राएल के पूरे देश से प्रेम किया, • इसलिए उसने पूरे राष्ट्र के लिए वर्ष में एक बार अपने पापो के पश्चाताप करने और उसके निकट आने का एक मार्ग बनाया। इसे प्रायश्चित का दिन कहा जाता था। उस विशेष पवित्र दिन पर एक याजक पूरे देश के सब पापों के लिए एक उच्च और पवित्र रक्त का बलिदान चढ़ाता था। वह एक बकरी के लहू को अति पवित्र स्थान में, जहां सुनहरा सन्दूक रखा गया था, ले 'जाता था । याजक संदूक के ढक्कन के ऊपर उस लहू को छिड़कता था। यह प्रति वर्ष इस्राएल में एक विशेष पवित्र क्षण था, और यह एकमात्र समय था जब मनुष्य को अति पवित्र स्थान में जाने की अनुमति दी जाती थी। ढक्कन टोन सोने से बना था। इसे अनुग्रह का सिंहासन भी कहा जाता था। यह वह स्थान था जहां परमेश्वर की उपस्थिति अति पवित्र स्थान में विश्राम करती थी, यह उसका सिंहासन था। पूरे राष्ट्र के पश्चाताप I और पशु के लहू के बलिदान के द्वारा अनुग्रह का सिंहासन शुद्ध किया जाता था और परमेश्वर और उसके चुने हुए लोगों के बीच शांति स्थापित की जाती थी। उस दिन, किसी भी इस्राएली को काम करने की अनुमति नहीं थी। प्रत्येक जन को अपने सभी काम छोड़कर केवल विश्राम करना और अपने घरों में प्रार्थना करना था उन्हें अपने हृदय और मन से अपने पाप और अपने देश के पापों के लिए दुखी होना था। उन्हें इसके विषय में विचार करना होगा कि किस प्रकार उनके महायाजक उनके लिए बलि चढ़ा रहे थे और रक्त के साथ अति पवित्र स्थान में प्रवेश कर रहे थे । यह दिखाता है कि परमेश्वर पाप को कितनी गंभीरता से लेता है। यह भी दिखाता

है कि वह शुद्धिकरण का रास्ता प्रदान करना चाहता था ताकि वह अपने बच्चों के निकट हो सके। परमेश्वर ने मूसा और इस्राएल के लोगों के साथ नियम के इस विशेष वाचा को, एक अलग याजकीय राष्ट्र बनाने के लिए बनाया। उन्हें नियम का पालन करके परमेश्वर के साथ अपना वादा निभाना था, और परमेश्वर उन्हें आशीष देकर अपना वादा पूरा करेगा। यह एक सनातन का वाचा नहीं था, यह हमेशा तक रहने के लिए नहीं था। यह बाचा विशेष, चुने हुए लोगों के लिए विशेष समय के लिए था। वह समय दो हजार वर्ष पहले समाप्त हो गया था। परमेश्वर के पास एक और भी बेहतर वाचा थी जो मूसा को दी गयी वाचा के स्थान में था। इसे नई वाचा कहते हैं। यीशु मसीह आया और हम सब के लिए अपने लहू का अंतिम बलिदान देने के लिए अपना देह बलिदान किया। उसके क्रूस पर चढ़ने के द्वारा हमारे सभी पापों का बलिदान या भुगतान हुआ। पुरानी वाचा से बलिदान उस बलिदान की एक तस्वीर थी जिसे यीशु क्रूस पर दिखाने जा रहा था। भेड़ के बच्चे और बैल के पुराने बलिदान के द्वारा, परमेश्वर दिखाना चाहता था कि पाप के लिए एक भयानक दंड का भुगतान किया जाना था। इस्राएलियों को यह नहीं मालूम था कि परमेश्वर का पुत्र पृथ्वी पर आने वाला है और उस दण्ड का जिसके हम लायक थे, भुगतान करेगा। कितना एक सुंदर उद्धारक है।

कहानी और दिलचस्प होती जाती है। यीशु क्रूस पर चढ़ा और मर गया, परन्तु तीसरे दिन, वह फिर से जी उठा। उसने कभी पाप नहीं किया था। उसने पृथ्वी पर अपने पूरे जीवन के द्वारा परमेश्वर की. आज्ञा का पालन किया। उसने वैसा सिद्ध जीवन जीया जिस प्रकार आदम को अदन की वाटिका में जीना चाहिए था। फिर भी यीशु ते वह मृत्यु सही जिसे आदम संसार में लाया और उसने उस पर विजय पाई। वह परमेश्वर का पुत्र है और वह इतना शुद्ध और परिपूर्ण और पवित्र था कि उसके जीवन को विनाश नहीं किया जा सकता था। जब उसने स्वयं को बलिदान किया, तो यीशु ने इस अभिशाप की शक्ति को तोड़ा जो आदम और हव्वा के द्वारा वाटिका में पाए करते समय मानवता पर आया था। उसने मांत की शक्ति को तोड़ दिया। प्रत्येक व्यक्ति जो उन पर विश्वास करता है अनन्त जीवन पाएगा। उसने पाप की शक्ति तोड़ दी। प्रत्येक मनुष्य (यीशु को छोड़कर) अभी भी पाप करता है, परन्तु हम यीशु के लहू से ढके हुए हैं। जब परमेश्वर हमें देखता है, वह हमारे पाप को नहीं देखता है.. वह अपने पवित्र पुत्र की शुद्धता को देखता है। यीशु ने हमें अपनी पवित्रता दी है ताकि हम अपने हृदय में परमेश्वर के उतने ही निकट रह सकें जितना आदम और हव्वा वाटिका में परमेश्वर के साथ रहते थे। अब हम अपने हृदय में पवित्र आत्मा प्राप्त कर सकते हैं। वह हमें पाप से उबरने की शक्ति देता है ताकि हम बीशु के समान हो सके।