पाठ 13: यरूशलमे अचंभित हो रहा है

यरूशलेम के सभी लोग जब यीशु के क्रूस पर बड़े जाने के विषय में और उसके आस पास की अफवाहों के बारे में सोच रहे थे, यीशु अपने वफादार मित्रों के साथ मिलकर उन्हें बता रहा था कि क्या होने जा रहा था। पुनरुत्थान के बाद वह चालीस दिन तक अपने चेलों को दिखता रहा और उन्हें परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखाता रहा। परमेश्वर की योजनाएं ठीक उसी प्रकार पूरी हो रहीं थीं जैसे परमेश्वर ने चाहा था, और बेले एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे थे!

जिन धार्मिक अगुवों ने यीशु को मार डाला था, वे नहीं चाहते थे कि कोई भी इस बात पर विश्वास करे कि वह वास्तव में जी उठा है। इसका मतलब यह होगा कि वह वास्तव में परमेश्वर था, जिसका यह मतलब होगा कि उन्होंने परमेश्वर को मार डाला था! इसका मतलब यह होगा कि उन्होंने दुनिया के इतिहास में सबसे बुरा कम किया है। इसका मतलब यह होगा कि वे सच्चे याजक नहीं थे, और परमेश्वर ने उसकी सेवा करने के लिए अलग-अलग जन को चुना था। इसका मतलब यह होगा कि यीशु के चेले वे लोग थे जिन्हें परमेश्वर ने वास्तव में अपने लोगों का नेतृत्व करने के लिए चुना था। इसका मतलब यह होगा कि धार्मिक अगुवों को अपनी नौकरी या सम्मान के अपने प्रसिद्ध, शक्तिशाली पदों को रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वे इस्राएल में सबसे शक्तिशाली धार्मिक लोग बनना पसंद करते थे। इसके बजाय कि परमेश्वर क्या कर रहा था, उनके लिए दुनिया में अपने पद को बनाए रखना अधिक महत्वपूर्ण था । सच्चाई और अपने अपराध को स्वीकार करने के बजाय, उन्होंने झूठ फैलाया कि चेले आए और यीशु के मृत देह को कब्र से चुरा ले गए ।

उन्हें पता नहीं था कि वे किसके साथ उलझ रहे थे। वे परमेश्वर को उसका कार्य करने से नहीं रोक सके! अगले कुछ हफ्तों में, हम उन सभी भयानक बातों के विषय में पढ़ेंगे जो उन्होंने लोगों को यह जानने से रोकने के लिए किया था कि यीशु परमेश्वर का पुत्र था। हम यह भी देखेंगे कि परमेश्वर ने चेलों को पवित्र आत्मा कैसे दी आत्मा ने उन्हें धार्मिक नेतृत्व के झूठ के विरुद्ध खड़े होने की सामर्थ और साहस दिया। इसके द्वारा चेलों को सुसमाचार सुनाने का कि यीशु ने क्या किया, और पूरे यरूशलेम को नई वाचा के विषय में बताने का साहस मिला। परमेश्वर पिता अपनी पवित्र आत्मा भेजेगा ताकि यीशु में प्रेम और विश्वास जंगली आग की तरह फैल जाए!

यीशु मरे हुओं में से जी उठा, और चालीस दिन तक अपने चेलों के सामने प्रकट होता रहा। परन्तु जैसा कि उसने उन्हें सिखाया था, वह जानता था कि पृथ्वी पर उसका चेलों के साथ रहना परमेश्वर पिता की इच्छा नहीं थी। उसने क्रूस पर मृत्यु और पाप पर विजय प्राप्त की थी। स्वर्ग में पिता के दाहिने हाथ पर बैठने का उसका समय आ गया था

यीशु जानता था कि एक बार वह स्वर्ग चला गया, वह राजा के रूप में मुकुटयुक्त किया जाएगा। उसे वापस घर लौट कर देख स्वर्गदूत कितने प्रसन्न हुए! यीशु अस्तित्व में रहने वाली हर उस शक्ति के ऊपर सामर्थ और अधिकार रखता है जो अनंत काल के लिए है। यीशु पृथ्वी पर हर मानव शासक पर अधिकार रखता है। उसके पास हर मानव सरकार के ऊपर अधिकार है। उसके पास शैतान के ऊपर और हर दुष्ट शक्ति या झूठे देवता जो संसार में है, अधिकार है।