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पाठ 2 : दैवीय आदेश 2

बाइबिल में, परमेश्वर हमें यह कहानी बताते हैं किकिस प्रकार पूरे इतिहास में उस मानवजाति के साथ सम्बन्ध बनाने में लगे रहे जिसे उन्होंने अपने लिए सृजा था। उन्होंने मानवजाति के लिए सारे भ्रमांड को बनाया, जिसमें सितारों का वैभव और प्रकृति कि सुंदरता को हमारे आनन्द के लिए डाला।

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पाठ 3 : पहले तीन दिन

आइये एक साथ बाइबिल का पहला अध्याय पढ़ें। यह सबसे सुंदर चीज़ है जो किसी भी भाषा में नहीं लिखी गयी और सबसे अच्छी बात यह है कि यह सच है!

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पाठ 4 : निर्माण के चौथे और पांचवां दिन

पहले तीन दिन परमेश्वर ने सुंदरता को उंडेलते हुए प्रकाश और आकाश और भूमि और समुद्र को तैयार किया। उन्होंने वो सभी घास और वृक्ष बनाये जो पृथ्वी को नरम और सुंदर बनाते हैं। जब हम निर्माण की कहानी को पढ़ते हैं तो यह कितना आश्चर्यजनक लगता है की उसके लिए यह सब कर पाना कितना सरल है!

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पाठ 6 : स्वर्ग: उसे कैसा होना था

आइये इस बात पर सोचें कि परमेश्वर ने पहला मनुष्य बनाते समय एक पल के लिए क्या किया होगा। यह इतनी अद्भुत और आश्चर्यजनक बात है कि हमें ज़रुरत है कि इन बातों पर एक बार फिर सोचें। इन सब बातों को अपने अंदर समाने में वक़्त लगता है क्यूंकि अब सब कुछ कितना भिन्न हो चुका है।

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पाठ 7 : सब्त और वर्जित फल

निर्माण के छठे दिन परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया। एक बार मनुष्य के दुनिया में लाने के बाद, ब्रह्मांड पूरा हो गया। फिर शक्तिशाली परमेश्वर ने एक उल्लेखनीय काम किया।

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पाठ 8 : मानवता का चुनाव

परमेश्वर ने पहले मनुष्य को एक विकल्प दिया था। वह परमेश्वर किआज्ञाओं को अपने निरंतर प्रेम और भक्ति द्वारा दिखा सकता था। हर दिन, जब तक वह परमेश्वर द्वारा वर्जित फल को नज़रअंदाज़ करता था, परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता चमकती रही जो उसके पहले प्रेम को दर्शाता था।

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पाठ 9 : पतन

आदम और हव्वा एक साथ बगीचे में रहते थे। वह उसकी अनमोल सहायक और साथी थी। उस भव्य,विशाल पेड़ों और कोमल सूरज की रोशनी के बीच बिताये जीवन किकल्पना कीजिए! वे एक गहरे और भावुक प्रेम को अपनी मासूमियत और पवित्रता में साझा किया करते थे।

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पाठ 10 : अभिशाप

परमेश्वर ने अपनी छवि में आदम और हव्वा को बनाया था, और अब यह टूट गया। यह उनके पाप के कारण बिखर गया था। परमेश्वर के साथ उनका विश्वास टूट गया था, और अब बुराई का बोझ उन पर था। वे दुष्टता की चाहत से बच नहीं सकते थे। वे ग़ुलाम हो गए थे।

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पाठ 11 : वाटिका के बाहर का जीवन: कैन और हाबिल

आदम और हव्वा खुद पर और दुनिया पर एक भयानक अभिशाप ले कर आये। वे पाप के बंधन में थे। लेकिन आदम को अभी भी भरोसा था। उसने अपनी पत्नी को देखा और उसका नाम हव्वा रखा जिसका अर्थ है "जीवित।" उनके बग़ावत के बावजूद, आदम को यह विश्वास था की परमेश्वर उसकी पत्नी और उनके प्रेम के द्वारा जीवन लाएगा।

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पाठ 12 : आदम से नूह तक

नोद में जाकर कैन ने एक शहर का निर्माण किया। यह वास्तव में एक किले कि तरह था। दूसरों की हिंसा से बचने के लिए यह स्थान उसके लिए संरक्षण था। अभिशाप पूर्ण प्रभाव में था, और मनुष्य के जीने के लिए यह एक हिंसक और खतरनाक जगह बन गई थी।

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पाठ 13 : परमेश्वर की खंडित छवि

शेत के होने के बाद, आदम और हव्वा के और बेटे बेटियां उत्पन्न हुए। उन सब के कई बेटे और बेटियां हुईं। पूरी दुनिया ऐसे मनुष्यों से भर रही थी जो परमेश्वर कि छवि में बनाये गए थे। लेकिन एक समस्या थी।

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पाठ 14 : बाढ़

आदम और हव्वा के वंशज कुल विद्रोह में थे। वे उनके अद्भुत और पवित्र परमेश्वर की छवि को प्रतिबिंबित नहीं करते थे। इसके बजाय, वे दुष्टता में जीते थे और स्वयं को और अपने भीषण व्यवहार से अपने परिवारों को शर्मसार करते थे। परमेश्वर अवश्य उनका न्याय करेगा।

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पाठ 17 : राष्ट्रों कि तालिका: येपेत और अनियंत्रित किया हुआ

जल प्रलय के बाद उत्पत्ति के अध्याय कुछ आकर्षक हैं। उन्हें राष्ट्रों की तालिका कहा जाता है। यह नूह के तीन बेटों से आया पृथ्वी पर लोगों का वर्णन करती है।

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पाठ 18 : हाम कान की रेखा पुनरारंभ करता है, लेकिन परमेश्वर की बुलाहट शेम के लिए है ।

राष्ट्रों कि तालिका हमें बताती है की कैसे मानव जाति कि वृद्धि हुई और नूह और जल प्रलय के बाद वे पृथ्वी भर में फैल गए। नूह के पुत्र येपेत के बारे में बताने के बाद, बाइबिल हाम के पुत्र के बारे में सिखाती है।

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पाठ 20 : बाबुल

यह अगली कहानी आज की दुनिया के विषय में बताती है। यह राष्ट्र कितालिका के समय से पहले कि है। जल प्रलय के बाद, सभी मनुष्य वास्तव में एक साथ जुट गए। वे नूह की भाषा बोलते थे। वे खानाबदोश के रूप में एक साथ दूसरे देशों की यात्रा करते थे।

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पाठ 21 : बाबेल भाग द्वितीय

परमेश्वर वह सब कुछ देख रहा था जो उसके बनाये हुए मनुष्य कर रहे थे। वह उन्हें देख रहा था जब वे पूर्व कि ओर जा रहे थे, और जब वे उस विशाल ईमारत को बना रहे थे। और फिर परमेश्वर नीचे आया।

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पाठ 24 : इब्राहीम की मिस्र यात्रा: वहाँ तक जाना और लौट कर आना

परमेश्वर के वादे के अनुसार अब्राम विश्वास के साथ निकल पड़ा। लेकिन वह अपनी यात्रा में अकेला नहीं था, और केवल वही नहीं था जो अकेला परमेश्वर पर भरोसा कर रहा था। उसकी पत्नी सरै ने भी बड़ी वफ़ादारी के साथ ऐसी दुनिया में कदम रखा जो उसके शहर से बिलकुल भिन्न था।

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पाठ 27 : प्रभु में अब्राम की विजय

रात के अँधेरे में, इब्राहीम और उसके साथी चार राजाओं के पीछे चले गए। अंधेरे की आड़ में उसने दो समूहों में अपने सैनिकों को विभाजित किया और दो दिशाओं में अपने दुश्मनों पर हमला किया।

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पाठ 29 : पूर्व समय से अजीब रहस्य: वाचा की मुहरबन्दी

परमेश्वर ने जब अब्राम को अपने घर को छोड़ कर वादे के देश में जाने को कहा, उसने उसके साथ कुछ शर्तें भी दीं। यदि अब्राम आज्ञा मानता है, तो परमेश्वर उसे अशिक्षित करेंगे। अब्राम ने आज्ञा का पालन किया। वह अपनी बाँझ पति को लेकर एक अज्ञात जगह को निकल पड़ा।

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