पाठ 7 : सब्त और वर्जित फल

निर्माण के छठे दिन परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया। एक बार मनुष्य के दुनिया में लाने के बाद, ब्रह्मांड पूरा हो गया। फिर शक्तिशाली परमेश्वर ने एक उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने विश्राम किया। बाइबिल यह कहती है; 

"परमेश्वर ने अपने किए जा रहे काम को पूरा कर लिया। अतः सातवें दिन परमेश्वर ने अपने काम से विश्राम किया। परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीषित किया और उसे पवित्र दिन बना दिया। परमेश्वर ने उस दिन को पवित्र दिन इसलिए बनाया कि संसार को बनाते समय जो काम वह कर रहा था उन सभी कार्यों से उसने उस दिन विश्राम किया।"                                                                      उत्पत्ति 2: 2-3 

छे दिन के सारे ज्वलंत जीवन के उंडेलने और रचनात्मकता के पश्चात, उसका सब कार्य शांत हो गया। पूरा ब्रह्मांड जगह में स्थापित कर दिया गया था। सितारे जगमगाने लगे, ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमने लगे, जानवर पृथ्वी पर पूर्ण सुरक्षा में खेलने लगे। परमेश्वर ने पूरी उत्कृष्टता के साथ सब कुछ सही रीती से स्थापित कर दिया था। वहाँ कोई अराजकता नहीं थी, और अंधकार को अब परमेश्वर की सही इच्छाशक्ति के लिए प्रयोग में लाया जा रहा था। सब कुछ परमेश्वर कि प्राचीन दुनिया के व्यापक सामंजस्य में अपनी सही जगह पर नियुक्त किया गया था। 

ब्रह्मांड का केवल अद्भुत सौंदर्य और अंतरिक्ष निर्माण ही भव्य बात नहीं थी। परमेश्वर ने समय को भी बनाया। वह स्वर्ग में विराजमान है और अपनी संप्रभु शक्ति के माध्यम से सब को बनाए रखता है।सारे निर्माण कार्य के अंत में, परमेश्वर ने विश्राम किया। ऐसा नहीं था कि परमेश्वर थक गया था।उसका काम सही संतुलन में सक्रिय हो गया था, और पूरी तरह से पूर्ण और अच्छा था। परमेश्वर ने उसे विश्राम के साथ मनाया! 

 

परमेश्वर ने विश्राम के दिन को अशिक्षित किया, और उसे अपने रचनात्मक शक्ति के साथ भर दिया। फिर उसने ब्रह्मांड के नियमों में इस दिन को निर्धारित किया। फिर उसने समय को बनाया ताकि उसमें ऐसे दिन को अलग किया जाये। यह एक ऐसा समय था जिसमें उसकी उपासना कि जाये जिसने यह सब कुछ बनाया। सप्ताह के सांतवे दिन, उसके लोग एक साथ जमा होकर उसके साथ विशेष समय बिताएंगे। अपने प्रभु की तरह, वे भी विश्राम करेंगे। 

 

हज़ारों साल तक उसके लोग उसके विश्राम के विषय गीत लिखेंगे और उसके कामों की प्रशंसा करेंगे।कई साल पहले परमेश्वर के सेवक द्वारा सब्बाथ के लिए लिखा एक भजन है; 

भजन संहिता 92: 1-5 

यहोवा का गुण गाना उत्तम है।
हे परम परमेश्वर, तेरे नाम का गुणगान उत्तम है।
भोर में तेरे प्रेम के गीत गाना
और रात में तेरे भक्ति के गीत गाना उत्तम है।
हे परमेश्वर, तेरे लिये वीणा, दस तार वाद्य
और सांरगी पर संगीत बजाना उत्तम है।
हे यहोवा, तू सचमुच हमको अपने किये कर्मो से आनन्दित करता
 है।
हम आनन्द से भर कर उन गीतों को गाते हैं, जो कार्य तूने किये हैं।

हे यहोवा, तूने महान कार्य किये,
तेरे विचार हमारे लिये समझ पाने में गंभीर हैं।

 

हम आज भी इन गीतों को गा सकते हैं! और यदि हमारे दिल प्रशंसा से भरे नहीं हैं तो इसका मतलब है की हमें परमेश्वर के संग और अधिक सब्बाथ की आवश्यकता है। हमारी आत्मा के लिए पवित्र समय इसलिए बनाया गया ताकि हम अपने प्रभु के साथ सब दिनों के सांतवे दिन विश्राम कर सकें और उसे मना सकें! 

 

उत्पत्ति का पहला अध्याय हमें बताता है की किस प्रकार परमेश्वर ने नई सृष्टि का निर्माण किया। हर कोई जो इसे पढ़ेगा, वो जान जाएगा की हमारा परमेश्वर कितना शक्तिशाली है और सब कुछ पूरी तरह से नियंत्रण में रखता है। हमारे जीवन के लिए यही सच है जो परमेश्वर करना चाहता है। 

 

उत्पत्ति के दूसरे अध्याय में, परमेश्वर ने मानवजाति के निर्माण के विषय में पूरा विवरण दिया है। सूर्य या पेड़ के निर्माण के विषय में पूरा विवरण नहीं बताया गया है। डायनासोर को कैसे बनाया इसके विषय में उसने नहीं सिखाया। परमेश्वर मनुष्य के निर्माण के विषय में और जानकारी देना चाहता था! यही कारण है कि मनुष्य कितना महत्वपूर्ण है! 

 

जब परमेश्वर ने पहला मनुष्य बनाया, उसने धरती से मिट्टी ली और उसे मिट्टी कि तरह ढाल दिया। उसने उसे अपने ही हाथों से रचा। ब्रह्मांड में लगभग सब कुछ परमेश्वर के मुंह से निकले एक शब्द से बन गया था। भूमि के जानवर धरती से उठाय गए। लेकिन पहले मनुष्य के लिए, परमेश्वर स्वयं पृथ्वी पर आया और उसे तैयार किया। तब परमेश्वर ने अपनी जीवन की सांस उसमें डाल दी और वह जीवित हो गया। वाह! एक पल के लिए उस तस्वीर की कल्पना कीजिये!

 

और क्यूंकि हम सब उस आदम के वंशज हैं, इसीलिए हममें उसके गुण हैं। जब हम सांस लेते हैं तो हम परमेश्वर के जीवन की सांस लेते हैं! यह एक पवित्र और महान बात है। आदम भी मिट्टी से बना था। वह विनम्र था और वह पृथ्वी पर शासन करने के लिए उससे जुड़ा हुआ था। और इसलिए हम भी हैं। मनुष्य को अविनाशी बनाया गया जो अपने परमात्मा प्रभु के साथ एक रिश्ते में रह सकते हैं, लेकिन हम सांसारिक मांस के बने हुए हैं। हम भी जानवरों के समान भौतिक हैं। 

 

परमेश्वर ने पहले मानव के लिए, एक सुंदर बगीचा, एक अद्भुत पार्क तैयार किया। उसके निर्माण के सभी अच्छे स्थानों में यह सबसे अधिक पवित्र और विशेष निवास स्थान था और पहला मनुष्य उसका पुरोहित होगा। मनुष्य पृथ्वी पर परमेश्वर के रहने वाले महल का संरक्षक था! उनका काम छँटाई और उसकी रक्षा करना और जो कुछ अशुद्ध था उसे बाहर निकालना था। यह पवित्र स्थान, जो परमेश्वर का बगीचा था, उसका नाम अदन कि वाटिका रखा गया। यह प्रचुर मात्रा में अद्भुत पेड़ों से भरपूर था। उसकी शाखाएं सुंदर और स्वादिष्ट फलों से लदी हुईं थीं। एक महान और शक्तिशाली नदी बगीचे के बीच से प्रवाहित होती है। यह नदी चार भागों में बट कर पृथ्वी के चारों क्षेत्रों को पानी देती थी जिन्हें वे हरा भरा कर देती थीं। उनमें से दो के विषय में हम जानते हैं कि वे कहां हैं। उनमें से एक दजला कहलाती है और दूसरी अश्शूर। आज ये इराक देश में बहती हैं। 

 

अदन कि वाटिका के बीच में, परमेश्वर ने दो बहुत ही खास वृक्ष लगाये। उनमें से एक जीवन का वृक्ष कहलाता था। इस वृक्ष का फल एक आश्चर्यजनक उपहार देगा। जो भी इस वृक्ष का फल खाएगा वह कभी नहीं मरेगा। दूसरा वृक्ष अच्छाई और बुराई के ज्ञान को बताने वाला कहा जाता था। 

 

 परमेश्वर ने पहले मनुष्य को उस अदन के बाग में रखा। फिर उसने उनसे कहा,“तुम बग़ीचे के किसी भी पेड़ से फल खा सकते हो। लेकिन तुम अच्छे और बुरे की जानकारी देने वाले पेड़ का फल नहीं खा सकते। यदि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया तो तुम मर जाओगे।” (उत्पत्ति 2:17)

 

वाह, यह एक बहुत ही गंभीर संदेश है! चमत्कारिक बगीचे के बीच में मनुष्य के लिए अत्यंत खतरनाक एक पेड़ था। परमेश्वर ने मानो उस वृक्ष के चारों ओर एक चक्र आकर्षित किया और कहा, "इस लक्ष्मणरेखा के पार मत जाना। यह पेड़ तुम्हारे लिए नहीं है।" यह बहुत ही विषाक्त था! आप देखिये, यदि कोई उस वृक्ष से फल खाता है तो वह बुराई को समझ जाएगा। बुराई की शक्ति आक्रामक और क्रूर है, और यह निहित है। यह स्वादिष्ट और कुछ अच्छा होने का दिखावा करता है। परमेश्वर जानता था कि कोई भी मनुष्य इसमें गिरे बगैर इसके दबाव को सहन नहीं कर सकता। 

 

केवल परमेश्वर ही इतना सिद्ध और पूरी तरह से पवित्र है जिसे बुराई छू नहीं सकती। परमेश्वर जानता था कियह वृक्ष मनुष्य को इस बात कि समझ दे देगा जिससे वे जान जाएंगे कि वे दुष्ट के विरुद्ध में खड़े नहीं हो सकते और वे पाप और मृत्यु में उलझ जाएंगे। और फिर भी उसने वह वृक्ष वाटिका में लगाया। 

 

आदम क्या फैसला करेगा? आदम और हव्वा क्या परमेश्वर कि आज्ञा शुद्ध भक्ति के साथ पालन करेंगे, या वे उस जहरीले फल को खा लेंगे? 

 

परमेश्वर की कहानी पर अध्ययन। 

परमेश्वर ने समय के साथ पूरे ब्रह्मांड को बनाया, और उस समय के सातवें भाग को परमेश्वर के लिए पवित्र विश्राम के लिए रखा गया। आपका परिवार इस विश्राम के दिन को कैसे मनाता है? आप उसके कामों पर कैसे अध्ययन करते हैं? अपने परमेश्वर के साथ आप किस तरह पवित्र समय बिताना चाहेंगे? 

 

अपनी दुनिया, अपने परिवार और स्वयं पर लागू करना।  

कल्पना कीजिये कि उस अच्छाई और बुराई के ज्ञान के पेड़ के फल को खाने से पहले मनुष्य का जीवन कैसा होता? कैसा होता यदि आप कभी घृणा या ईर्ष्या या उदासी या अस्वीकृति को कभी महसूस नहीं करते? क्या यदि आपको कभी किसी भी तरह से पाप करने के लिए बिल्कुल कोई प्रलोभन महसूस नहीं होता? अपने हृदय के बारे में ऐसी कौन सी बातें हैं जो टूट गयी हैं? आप किस प्रकार पाप करना चाहेंगे? क्या आप उनका प्रभु यीशु मसीह के सामने इकरार करना चाहेंगे? उस प्रेम करने वाले उद्धारकर्ता के विषय में कल्पना कीजिये जो स्वर्ग में विराजमान है और आपके पश्चताप के शब्दों को सुनने को तैयार है। उन बातों पर सोचिये जिससे आपने अपने आपको निराश किया हो। सोचिये आप शर्म और अस्वीकृति को महसूस करते हैं। अब उन बातों को अपने हाथों में लेकर प्रभु के आगे रखिये। 

 

अपने जीवते परमेश्वर के प्रति हमारा प्रतिउत्तर।  

जिन बातों से आप अस्वीकृत महसूस करते हैं उन पापी चीज़ों को यीशु के चरणों में लाकर रख दीजिये। जैसा आपका हृदय चाहता है वैसी प्रार्थना कीजिये। सहायता के तौर यह एक नमूना कि प्रार्थना है!

"प्रिय प्रभु यीशु, मैं आप के आगे अपने पापी व्यवहार और विचारों को लाता हूँ। इस दुष्टता ने मुझे गंदा बना दिया है। वे गलत हैं। मैं पश्चाताप करता हूँ। इन पापों में से प्रत्येक के लिए, प्रभु यीशु मुझे माफ कर दीजिए। उन्हें पकड़े रहने की इच्छा के लिए मुझे माफ कर दीजिए। दूसरों को इनसे कैसे चोट पहुंची उसके लिए मुझे माफ कर दीजिए। मैं पश्चाताप करता हूँ और उन से दूर हो जाना चाहता हूँ। पाप और शर्म से उबरने के लिए मैं आपसे सामर्थ मांगता हूँ। मैं मांगता हूँ की हर तरह से मैं जय पा सकूँ। पवित्रता में चलने के लिए मुझे सिखाइये और अगुवाई कीजिये। धन्यवाद करता हूँ की आप मेरे लिए मरे और मेरे पापों की पूरी कीमत चुकाई। विश्वास में चलने के लिए, पवित्र आत्मा मेरी मदद कर। जब प्रलोभन आये तो मैं आपको पुकार सकूँ। मैं धन्यवाद करता हूँ की आप मेरे संग हैं और मुझे ना कभी छोड़ेंगे और ना कभी त्यागेंगे।  यीशु के नाम से, अमीन।"