पाठ 6 : स्वर्ग: उसे कैसा होना था

आइये इस बात पर सोचें कि परमेश्वर ने पहला मनुष्य बनाते समय एक पल के लिए क्या किया होगा। यह इतनी अद्भुत और आश्चर्यजनक बात है कि हमें ज़रुरत है कि इन बातों पर एक बार फिर सोचें। इन सब बातों को अपने अंदर समाने में वक़्त लगता है क्यूंकि अब सब कुछ कितना भिन्न हो चुका है। हमें उन बातों पर ध्यान करना चाहिए जो परमेश्वर ने शुरुआत में सृजीं ताकि हम समझ सकें किहमने क्या खोया है। हमें उन बातों के लिए दुःख मनाना चाहिए ताकि हम उन चीज़ों के लिए आशा लगाये रखें जो परमेश्वर बहाल करेगा। 

 

प्रभु परमेश्वर जो सारी सृष्टि का बनाने वाला है, अपने निर्माण के लिए उसने एक शानदार उपहार और घर के रूप में यह अविश्वसनीय ब्रह्मांड तैयार किया। मनुष्य को परमेश्वर की छवि में बनाया गया। उन्हें सारी सृष्टि से अलग एक उच्च और योग्य बनाया। वे विपुल आराधना के साथ अपने योग्य परमेश्वर की उपासना कर सकते थे। उन्हें अच्छे विचार दिए गए ताकि वे उसकी शक्ति, रचनात्मकता, और प्रतिभा को समझ सकें। परमेश्वर मनुष्य के द्वारा इन शानदार गुणों को प्रतिबिंबित करेगा जो उसकी सिद्ध और मनभावन इच्छा को पूरी करते हैं। 

 

परमेश्वर ने मनुष्य को अपने करीब रखने के लिए बनाया, ताकि वे उसके निरंतर प्रेम को अवशोषित और उनकी प्रशंसा और उस पर कुल निर्भरता के माध्यम से उसे उसको वापस दे सकें। जिस प्रकार सूरज अपनी गर्मी और ज्योति को दिखाता है, उसी प्रकार परमेश्वर अपने प्रेम और अनुग्रह को उन पर बरसाता है ताकि वे उसकी ज्योति संसार में फैला सकें। सारी प्रजा परमेश्वर के वफ़ादार दास के रूप में एक जुट होकर कार्य करेगी। यह कितना निष्कलंक संसार होगा। 

 

इस स्थान में जहाँ केवल परमेश्वर ही राजा था और उसके चेले उसकी सिद्ध आज्ञा को मानते थे, वहाँ दुःख और आँसू नहीं थे। वहां पाप करने का कोई प्रलोभन नहीं था, और इस बात कि एक आशा थी कि वहां कभी मृत्यु नहीं होगी। उसने उन्हें केवल अच्छी और शुद्ध और सिद्ध बातों के लिए बनाया कि उनके भीतर इन बातों के लिए भूख हो। अपने यशस्वी परमेश्वर के लिए उनके भीतर अंतहीन और सिद्ध सम्मिलन था। कभी नहीं समाप्त होने वाली सुरक्षा और शांति उनके पास थी। यदि वे उसकी अनुग्राही और सच्चे नेतृत्व को मानते, तो दुष्ट या पाप या दर्द जैसे शब्दों को मानवजाति कभी नहीं जान पाता। वे कभी भी इन भयंकर बातों किकल्पना नहीं कर पाते। उनके हृदय सम्पूर्ण रीती से गलत करने से स्वतंत्र रहते। और कोई भी किसी को भी केवल प्रेम के और किसी रीती से व्यवहार नहीं कर पाता। उनका पूर्ण जीवन परमेश्वर पर पूरी रीती से निर्भर रहता। वे निरंतर एक ठोस वरन एक उज्जवल आनंद के साथ उसके पवित्र नाम कि आराधना और उपासना करते। बाइबिल यूं कहती है;

 

"परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी। परमेश्वर ने उनसे कहा, “तुम्हारी बहुत सी संताने हों। पृथ्वी को भर दो और उस पर राज करो। समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर राज करो। हर एक पृथ्वी के जीवजन्तु पर राज करो।

परमेश्वर ने कहा,'देखो, मैंने तुम लोगों को सभी बीज वाले पेड़ पौधे और सारे फलदार पेड़ दिए हैं। ये अन्न तथा फल तुम्हारा भोजन होगा। मैं प्रत्येक हरे पेड़ पौधो जानवरों के लिए दे रहा हूँ। ये हरे पेड़—पौधे उनका भोजन होगा। पृथ्वी का हर एक जानवर, आकाश का हर एक पक्षी और पृथ्वी पर रेंगने वाले सभी जीवजन्तु इस भोजन को खाएंगे।” ये सभी बातें हुईं।

"परमेश्वर ने अपने द्वारा बनाई हर चीज़ को देखा और परमेश्वर ने देखा कि हर चीज़ बहुत अच्छी है। शाम हुई और तब सवेरा हुआ। यह छठवाँ दिन था।"

                                        उत्पत्ति 1:28 

 

वाह! परमेश्वर के सृष्टि को बनाने के कार्य, पौधे और पशु, मछलियाँ और पक्षि और फल, ये सब मानवता के लिए दिए गए शानदार तोहफे थे। उन्हें सबसे बेहतरीन ताजा खाना खिलाया जाएगा, जो पूरी तरह से उनके संपूर्ण शरीर की जरूरतों के अनुसार हो। उनसे कहा गया की उनकी बहुत सी औलाद हों और वे पूरी तौर से स्वस्थ होंगे। वे बीमार नहीं होंगे। उनके बच्चे एक आदर्श दुनिया में बड़े होंगे और फिर उनके बच्चे भी होंगे। बहुत जल्द, परमेश्वर के भव्य आशीर्वाद का आनंद लेने के लिए धरती पर कई सैकड़ों और फिर हजारों तादात में लोग होंगे। लेकिन इस महान उपहार के साथ बड़ी ज़िम्मेदारी आ गई। उन्हें उसके निर्माण का बहुतायत से शासन करने का अधिकार था, लेकिन यह उस पर पूर्ण निर्भरता में किया जाना था। उन्हें अपने दिव्य राजा के प्रति वफ़ादारी के साथ रहना था। 

 

परमेश्वर के सृष्टि को बनाने के हज़ारों साल पश्चात, आदम का वंशज, एक महान राजा होगा, जो परमेश्वर की रचना पर एक खूबसूरत गीत लिखेगा। यह हमें उस दुनिया की प्रशंसा करना सिखाएगा जो परमेश्वर ने शुरुआत में हमारे लिए बनाई थी। 

 

भजन संहिता 8:1, 3-9 

"हे यहोवा, मेरे स्वामी, 

तेरा नाम सारी धरती पर अति अद्भुत है।

तेरा नाम स्वर्ग में हर कहीं तुझे प्रशंसा देता है।

"हे यहोवा, जब मेरी दृष्टि गगन पर पड़ती है, जिसको तूने अपने हाथों से रचा है
और जब मैं चाँद तारों को देखता हूँ जो तेरी रचना है, तो मैं अचरज से भर उठता हूँ।

लोग तेरे लिये क्यों इतने महत्वपूर्ण हो गये?
तू उनको याद भी किस लिये करता है?
मनुष्य का पुत्र तेरे लिये क्यों महत्वपूर्ण है?
क्यों तू उन पर ध्यान तक देता है?

किन्तु तेरे लिये मनुष्य महत्वपूर्ण है!
तूने मनुष्य को ईश्वर का प्रतिरुप बनाया है,
और उनके सिर पर महिमा और सम्मान का मुकुट रखा है।

तूने अपनी सृष्टि का जो कुछ भी
तूने रचा लोगों को उसका अधिकारी बनाया।
मनुष्य भेड़ों पर, पशु धन पर और जंगल के सभी हिसक जन्तुओं पर शासन करता है।
वह आकाश में पक्षियों पर
और सागर में तैरते जलचरों पर शासन करता है।
हे यहोवा, हमारे स्वामी, सारी धरती पर तेरा नाम अति अद्भुत है।

 

परमेश्वर की कहानी पर मनन।  

क्या आप इस अद्भुत दुनिया कि कल्पना कर सकते हैं जो परमेश्वर ने बनाई? परमेश्वर कैसे चाहेगा की हम पृथ्वी और उसमें रहने वाले प्राणियों किदेखभाल करें? परमेश्वर को कैसा लगता होगा जब हम उसके बनाय हुए प्राणियों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं?

 

अपनी दुनिया, अपने परिवार और स्वयं पर लागू करना। 

परमेश्वर ने अपने चुने हुए सेवकों के रूप में पृथ्वी पर शासन करने के लिए मानवता को बनाया। सत्तारूढ़ और एक आदर्श दुनिया में राज करने का आपका मनपसंद हिस्सा क्या होगा? जब आप उस पवित्र सम्मान के बारे में सोचते हैं, तो आपको कैसा लगता है? हमारी दुनिया के बारे में ऐसी कौन सी बात है जो आप चाहते कि आज भी सच होती? 

 

हमारे जीवते परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।  

आपके जीवन में क्या कोई ऐसा क्षेत्र है जहां आप पराजित महसूस करते हैं? क्या आपको इस बात का भय है की आप मसीह में जीत और सामर्थी जीवन को जी पाएंगे? अब हम एक शापित दुनिया में हैं, लेकिन हमें मसीह किधार्मिकता दी गयी है। हम परमेश्वर के राज्य के सदस्य हैं! हमारे उद्धारकर्ता के पास सभी शक्ति और अधिकार है! वो हमें दुनिया से उबरने के लिए शक्ति देगा। इस प्रार्थना को एक साथ कीजिये: 

 

"प्रभु यीशु, हम उस क्रूस पर जीते हुए जय की प्रशंसा करते हैं। हम आपकी उस शक्तिशाली सामर्थ में रहना चाहते हैं। हमारे संदेह और आज्ञाकारिता में हमारे कमज़ोर प्रयास के लिए हमें माफ कर दीजिए। हम संदेह सहित वो सब कुछ क्रूस पर चढ़ाना चाहते हैं जो आपकी ओर से नहीं है, और आपके जी उठने की जीत की सामर्थ में पवित्र जीवन जीना चाहते हैं। प्यारे परमेश्वर, हमें अपनी सामर्थ में चला। हमें दर्शा की हम अपने दुश्मन से कैसे जीतें और आपके लिए जी सकें। हम आपसे प्रेम करते हैं। यीशु के नाम से मांगते हैं, आमीन।"