पाठ 13 : परमेश्वर की खंडित छवि

शेत के होने के बाद, आदम और हव्वा के और बेटे बेटियां उत्पन्न हुए। उन सब के कई बेटे और बेटियां हुईं। पूरी दुनिया ऐसे मनुष्यों से भर रही थी जो परमेश्वर कि छवि में बनाये गए थे। लेकिन एक समस्या थी। जिस प्रकार आदम और हव्वा के समय परमेश्वर की छवि खंडित हुई थी वैसे ही उनके वंशजों में भी उसकी छवि खंडित हो गयी थी। उन्होंने परमेश्वर किछवि के छिन्न-भिन्न को और प्रदूषणपन को पारित किया। जिस प्रकार हमने कैन और उसके पुत्रों के जीवन में विद्रोह को देखा था वही महान दुखत बगावत परमेश्वर के विरुद्ध में जारी रही। यह निश्चितरूप से शैतान कि जीत लगती थी।  

मानवता कि संस्कृति जैसे जैसे बढ़ रही थी, कुछ लोग सत्ता में ऊपर पहुंच गए। वे महान यश के लोग थे। वे लोगों के ऊपर शासन करने के लिए अपने आप को दिव्य राजा के रूप में दर्शाते थे। वे कैन और लेमेक की तरह परमेश्वर के विरुद्ध अभिमानी थे बस फ़र्क इतना था कि वे बदतर होते जा रहे थे। और अब अपने आप को खुदा समझने लगे। उनकी शक्ति और सफलता उन स्खलित हुए स्वर्गदूतों की ओर से आती थी जिनकी वे सेवा करते थे। शैतान और उसके दुष्ट सेवक वो सब कुछ कर रहे थे जिससे की वे मानवजाति को लुभा सकें और नष्ट कर सकें। इन लोगों को प्रलोभन में गिरते हुए देख ये दुष्ट आत्माएं खिल्ली उड़ाते होंगे। वे पूरी तरह से उनके कब्ज़े में थे और उनके द्वारा नियंत्रित हो गए थे।मानवता के नेता अंधकार, हिंसा और भ्रष्टाचार में गिरते चले गए। बाकि के मानव जाति उनके पीछे हो लिए। 

 

मनुष्य को परमेश्वर की छवि में इसलिए बनाया गया था ताकि वे परमेश्वर के आदेश और शुद्धता को ला सकें, परन्तु वे अराजकता और गंदगी को समर्पित हो गए। इन लोगों कि शक्ति जैसे जैसे बढ़ती गयी, उन्होंने उसका दुरुपयोग शुरू कर दिया। शासकों को जितनी भी सुंदर स्त्रियां मिलती थीं वे उनसे विवाह कर लेते थे। ये बच्चों का राक्षसी झुण्ड केनेफिलिम कहलाता था जिसका अर्थ था "गिरे हुए।" वे उत्पीड़क, हिंसक और बेईमानी का जीवन जीते थे। उन्होंने भूमि को आतंकित कर दिया था।उनके जीवन कि कहानियों मिथकों और किंवदंतियों में बन गए थे, और वे स्वयं को देवताओं के रूप में पूजा करने के लिए देते थे। 

 

समाज और गहरे गंदगी में गिरता चला गया। मानवता भीषण हिंसा, खून और क्रूर की एक दौड़ बन गई। पूरी संस्कृति भ्रष्ट हो गई। 

 

बाइबिल कहती है, 

"यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य बहुत अधिक पापी हैं। यहोवा ने देखा कि मनुष्य लगातार बुरी बातें ही सोचता है।यहोवा को इस बात का दुःख हुआ, कि मैंने पृथ्वी पर मनुष्यों को क्यों बनाया? यहोवा इस बात से बहुत दुःखी हुआ। इसलिए यहोवा ने कहा, “मैं अपनी बनाई पृथ्वी के सारे लोगों को खत्म कर दूँगा। मैं हर एक व्यक्ति, जानवर और पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीवजन्तु को खत्म करूँगा। मैं आकाश के पक्षियों को भी खत्म करुँगा। क्यों? क्योंकि मैं इस बात से दुःखी हूँ कि मैंने इन सभी चीजों को बनाया।”

लेकिन पृथ्वी पर यहोवा को खुश करने वाला एक व्यक्ति था—नूह।             उत्पत्ति 6​​: 5-8 

कल्पना कीजिये इन घृणित लोगों के बीच में रहना कैसा होगा। कल्पना कीजिये कि एक धर्मी व्यक्ति के लिए कितना मुश्किल हो ऐसे लोगों के बीच में रहना जो सब कुछ गलत करते हैं। यदि सब धोखा देते हों और वो सब हासिल कर लेते हों जो कुछ उन्हें चाहिए, तो ऐसे लोगों के बीच में सिद्ध होकर रहना कितना कठिन है और विशेषकर जब आपको वो सब चाहिए हो जिसकी आपको आवश्यकता है। यदि आपके आसपास हर कोई हिंसक है और चोरी करते हों यहां तक की आपसे भी चुराते हों, तो आपके लिए हिंसक ना होना कितना कठिन हो सकता है। जहां और कोई नहीं सही और गलत की परवाह करता हो, तो सही और अच्छा करना कितना कठिन हो सकता है। 

 

परमेश्वर अपने वफ़ादार दास नूह के बारे में क्या करने जा रहा था? वह ग्रह से हर मानव को कैसे नष्ट करेगा? और क्या यह विद्रोह को बंद कर पाएगा? 

 

परमेश्वर की कहानी पर अध्ययन।  

आपने देखा कि किस प्रकार पाप के दबाव ने मानव जाति को विकृत किया और कुचल दिया? जो वाटिका परमेश्वर ने अपने बच्चों के लिए तैयार किया था उससे यह किस प्रकार भिन्न था?

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

आज जब आप अपनी दुनिया को देखते हैं, आप नूह के समय जैसी समस्याओं को देख सकते हैं? आपने भयानक उत्पीड़न के विषय में सुना है जो भयंकर शक्ति को दिखाते हैं? आपने उन लोगों के विषय में सुना है जो भारी दुख के साथ जीते हैं? इन सब बातों का कारण क्या है? वे सब क्या परमेश्वर कि वाटिका में थे? बिल्कुल नहीं। और कभी कभी यह दुनिया इन बातों से इतनी भर जाती है की ऐसा लगता है कि परमेश्वर यह लड़ाई हार रहा है। क्या यह कभी सच हो सकता है? बाइबिल क्या बताती है कि यह कहानी कैसे खत्म होगी ?

 

अपने जीवते परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

यीशु ने एक बार कहा,"धन्य हैं वे जो शोक करते हैं।" एक दिन, परमेश्वर फिर से सब कुछ नया और सही कर देगा, और कोई और अधिक दु: ख या आँसू नहीं होगा। परन्तु जब हम ऐसी दुष्ट और कपटी दुनिया में रहते हैं, तो कभी कभी परमेश्वर के आगे मृत्यु और बुराई का शोक करना बेहतर होता है! दाऊद राजा द्वारा लिखित यह भजन संहिता है जो उसने तब लिखा जब वह किसी खतरे में था। दुर्भावनापूर्ण लोग उसे मृत देखना चाहते थे। जब आप इसे पढ़ेंगे, उसकी प्रार्थना के अलग अलग स्तर पर ध्यान दीजियेगा। उसने परमेश्वर को पुकारना शुरू किया और उसकी सहायता मांगी। फिर उसने दुष्ट के विरुद्ध में न्याय की मांग की। तब उसका दिल विश्वास में ऊपर उठा और वह परमेश्वर में आनन्दित हुआ क्यूंकि उसे पूरा भरोसा था की परमेश्वर उसकी प्रार्थना का उत्तर अवश्य देगा। जब आप भजन सहिंता 28 पढ़ेंगे, उसके शब्दों को लेकर प्रार्थना कीजिये और उसे अपना बनाइये! 

 

"हे यहोवा, तू मेरी चट्टान है,

मैं तुझको सहायता पाने को पुकार रहा हूँ।

मेरी प्रार्थनाओं से अपने कान मत मूँद,

यदि तू मेरी सहायता की पुकार का उत्तर नहीं देगा,

तो लोग मुझे कब्र में मरा हुआ जैसा समझेंगे।

हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू की ओर मैं अपने हाथ उठाकर प्रार्थना करता हूँ।

जब मैं तुझे पुकारुँ, तू मेरी सुन

और तू मुझ पर अपनी करुणा दिखा।

हे यहोवा, मुझे उन बुरे व्याक्तियों की तरह मत सोच जो बुरे काम करते हैं।

अपने पड़ोसियों से “सलाम” करते हैं, किन्तु अपने हृदय में अपने पड़ोसियों के बारे में कुचक्र सोचते हैं।

हे यहोवा, वे व्यक्ति अन्य लोगों का बुरा करते हैं।

सो तू उनके साथ बुरी घटनाएँ घटा।

उन दुर्जनों को तू वैसे दण्ड दे जैसे उन्हें देना चाहिए।

दुर्जन उन उत्तम बातों को जो यहोवा करता नहीं समझते।

वे परमेश्वर के उत्तम कर्मो को नहीं देखते। वे उसकी भलाई को नहीं समझते।

वे तो केवल किसी का नाश करने का यत्न करते हैं। 

यहोवा की स्तुति करो!

उसने मुझ पर करुणा करने की विनती सुनी।यहोवा मेरी शक्ति है, वह मेरी ढाल है।

मुझे उसका भरोसा था।उसने मेरी सहायता की। मैं अति प्रसन्न हूँ, और उसके प्रशंसा के गीत गाता हूँ।

यहोवा अपने चुने राजा की रक्षा करता है।

वह उसे हर पल बचाता है। यहोवा ही उसका बल है।

हे परमेश्वर, अपने लोगों की रक्षा कर।

जो तेरे हैं उनको आशीष दे।

उनको मार्ग दिखा और सदा सर्वदा उनका उत्थान कर।