Posts tagged bible story
पाठ 4 : निर्माण के चौथे और पांचवां दिन

पहले तीन दिन परमेश्वर ने सुंदरता को उंडेलते हुए प्रकाश और आकाश और भूमि और समुद्र को तैयार किया। उन्होंने वो सभी घास और वृक्ष बनाये जो पृथ्वी को नरम और सुंदर बनाते हैं। जब हम निर्माण की कहानी को पढ़ते हैं तो यह कितना आश्चर्यजनक लगता है की उसके लिए यह सब कर पाना कितना सरल है!

Read More
पाठ 6 : स्वर्ग: उसे कैसा होना था

आइये इस बात पर सोचें कि परमेश्वर ने पहला मनुष्य बनाते समय एक पल के लिए क्या किया होगा। यह इतनी अद्भुत और आश्चर्यजनक बात है कि हमें ज़रुरत है कि इन बातों पर एक बार फिर सोचें। इन सब बातों को अपने अंदर समाने में वक़्त लगता है क्यूंकि अब सब कुछ कितना भिन्न हो चुका है।

Read More
पाठ 15 : पानी का पीछे हटना

परमेश्वर ने नूह को जहाज़ बनाने का आदेश दिया और उसे पृथ्वी के प्राणियों से भर देने को कहा। फिर उसने बारिश भेजी। चालीस दिन और चालीस रात मूसलधार बारिश हुई। पानी पेड़ से ऊपर उठा। यह पहाड़ियों से ऊपर पहुंच गया।

Read More
पाठ 18 : हाम कान की रेखा पुनरारंभ करता है, लेकिन परमेश्वर की बुलाहट शेम के लिए है ।

राष्ट्रों कि तालिका हमें बताती है की कैसे मानव जाति कि वृद्धि हुई और नूह और जल प्रलय के बाद वे पृथ्वी भर में फैल गए। नूह के पुत्र येपेत के बारे में बताने के बाद, बाइबिल हाम के पुत्र के बारे में सिखाती है।

Read More
पाठ 19 : शेम का धन्य वंश

शेम नूह का सबसे बड़ा अशिक्षित किया हुआ का पुत्र था। उसके बच्चे और उनके वंशजों को परमेश्वर ने विशेष रूप से चुना था। उसके पांच पुत्र थे जो आगे चल कर महान राष्ट्र बनेंगे। उनके नाम एलाम, अश्शूर, अर्पक्षद, लूद, और अराम थे।

Read More
पाठ 20 : बाबुल

यह अगली कहानी आज की दुनिया के विषय में बताती है। यह राष्ट्र कितालिका के समय से पहले कि है। जल प्रलय के बाद, सभी मनुष्य वास्तव में एक साथ जुट गए। वे नूह की भाषा बोलते थे। वे खानाबदोश के रूप में एक साथ दूसरे देशों की यात्रा करते थे।

Read More
पाठ 21 : बाबेल भाग द्वितीय

परमेश्वर वह सब कुछ देख रहा था जो उसके बनाये हुए मनुष्य कर रहे थे। वह उन्हें देख रहा था जब वे पूर्व कि ओर जा रहे थे, और जब वे उस विशाल ईमारत को बना रहे थे। और फिर परमेश्वर नीचे आया।

Read More
पाठ 22 : शेम से अब्राम तक

हम जब आदम और नूह के बीच के समय को देखते हैं, तब से मनुष्य कि दस पीढ़ियां इस पृथ्वी पर बढ़ीं। वे इतने कठोर और दुष्ट हो गए थे की परमेश्वर को उनके प्रदूषित पाप से पृथ्वी को धोना पड़ा। नूह के बेटों के माध्यम से परमेश्वर ने फिर से सब मानव जाति कि शुरुआत की।

Read More
सबक 23 : इब्राहीम की बुलाहट

अब्राम के जीवन कि हालत खस्ता थी। वह पचहत्तर वर्ष का था जब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। वह कनान से दूर हारान देश में रहता था जहाँ उसके पिता ने जाने कि आशा रखी थी।

Read More
पाठ 25 : अब्राम और उसके भतीजे का अलग होना: मूर्ख और बुद्धिमान के निर्णय

परिवार दक्खिन के देश मिस्र से होकर नेगेव कि ओर गया। वे बेतेल के पास के क्षेत्र में लौट आए। इस जगह पर अब्राम ने परमेश्वर के लिए दूसरी वेदी बनाई। वो पल अब्राम के लिए एक उच्च और पवित्र क्षण था, यह महान स्मरण की एक जगह थी।

Read More
पाठ 26 : बुतपरस्त राजाओं पर परमेश्वर की विजय … धर्मी जन से आशीषें

फिरौन द्वारा दिए गए धन और संपत्ति को लेकर अब्राम मिस्र से लौट आया। लूत की भेड़ बकरियां बड़ी हो गईं थीं इसीलिए दोनों गुट अब एक दूसरे के पास नहीं रह सकते थे। सभी जानवरों को खाने के लिए पर्याप्त नहीं था!

Read More
पाठ 27 : प्रभु में अब्राम की विजय

रात के अँधेरे में, इब्राहीम और उसके साथी चार राजाओं के पीछे चले गए। अंधेरे की आड़ में उसने दो समूहों में अपने सैनिकों को विभाजित किया और दो दिशाओं में अपने दुश्मनों पर हमला किया।

Read More
पाठ 29 : पूर्व समय से अजीब रहस्य: वाचा की मुहरबन्दी

परमेश्वर ने जब अब्राम को अपने घर को छोड़ कर वादे के देश में जाने को कहा, उसने उसके साथ कुछ शर्तें भी दीं। यदि अब्राम आज्ञा मानता है, तो परमेश्वर उसे अशिक्षित करेंगे। अब्राम ने आज्ञा का पालन किया। वह अपनी बाँझ पति को लेकर एक अज्ञात जगह को निकल पड़ा।

Read More
पाठ 34 : सदोम के लिए इब्राहीम का निवेदन

इब्राहीम से तीन आगंतुक मिलने के लिए आये। उसने उनकी दावत कि और अपने घर पर उनकी उपस्थिति का सम्मान किया। ये अतिथि एक सम्मान के योग्य थे। क्यूंकि आप देखिये, वे वास्तव में दो स्वर्गदूत और स्वयं प्रभु था!

Read More
पाठ 35 : गन्धक और आग

जब दो स्वर्गदूत अपने प्रभु और अब्राहम को छोड़ के चले गए, वे सीधे सदोम को गए। वे शाम को वहां पहुंचे। साँझ होने लगी थी। लूत शहर के प्रवेशद्वार पर बाहर बैठा हुआ था। लूत उठा और स्वर्गदूतों के पास गया तथा ज़मीन तक सामने झुका।

Read More
पाठ 59 : यूसुफ का बेचा जाना

यूसुफ, राहेल और याकूब का प्रिय पुत्र, अपने पिता के घर में अकेले में बड़ा हुआ। लिआ और उसकी दासियाँ उससे बहुत जलती थीं, क्यूंकि वह अपने पिता का पसंदीदा था।

Read More
पाठ 61 : यूसुफ और पोतीपर की पत्नी

यूसुफ पोतीपर के घर में एक दास के रूप में मिस्र में रह रहा था। बाइबिल बताती है कि परमेश्वर युसूफ के साथ था, जिसका मतलब है की यूसुफ को आशीर्वाद देने के लिए वह उसके साथ था। चाहे वह एक ग़ुलाम था और वादे के देश से बहुत दूर था, परमेश्वर कि सुरक्षा और देखभाल उसके लिए नहीं बदला था।

Read More
पाठ 62 : पिलानेहारा और पकानेहारा

यूसुफ ने कई सालों जेल की काल कोठरी में बिताया। फिर भी वह ईमानदारी और वफ़ादारी के साथ परमेश्वर की सेवा करता रहा। उसकी पीड़ा के बीच में उसका परमेश्वर उसके साथ था, और उसे यह भरोसा था की उसके लिए परमेश्वर की कोई योजना अवश्य थी।

Read More
पाठ 63 : फिरौन के समक्ष में यूसुफ

यूसुफ मिस्र के राजा के जेल में एक वफ़ादार सेवक के रूप में काम करता रहा। एक समय में, उसने फिरौन के पिलानेहारा और मुख्य पकानेहारा के सपनों की व्याख्या की थी। उसकी व्याख्याएं आश्चर्यजनक तरीके से एक दम सही थीं।

Read More
पाठ 64 : मिस्र में यूसुफ का जीवन

फिरौन ने युसूफ को पूरे मिस्र का अधिकारी बना दिया था। उसने अपनी मुद्रिका उतार कर युसूफ को पहना दी। अंगूठी एक मोहर थी जिसे पिघले मोम के लिए दबाया जाता था। कोई पत्र या पुस्तक पर उस अंगूठी की मोहर फिरौन के द्वारा दिए आदेश के बराबर था। यूसुफ देश में सबसे शक्तिशाली निर्णय निर्माता था!

Read More