पाठ 12 : आदम से नूह तक

नोद में जाकर कैन ने एक शहर का निर्माण किया। यह वास्तव में एक किले कि तरह था। दूसरों की हिंसा से बचने के लिए यह स्थान उसके लिए संरक्षण था। अभिशाप पूर्ण प्रभाव में था, और मनुष्य के जीने के लिए यह एक हिंसक और खतरनाक जगह बन गई थी। लेकिन वास्तव में, कैन किससे डरता था? परमेश्वर ने उस पर एक विशेष निशान डाल दिया और कैन से उसकी सुरक्षा करने का वादा किया। उसे किसी गढ़ कि जरूरत नहीं थी। 

 

कैन एक अविश्वासी था। जिस तरह उसने हाबिल पर अपने क्रोध का हल निकाला, उसी तरह उसने अपनी सज़ा कि समस्याओं को हल करने के लिए परमेश्वर से अलग होकर काम किया। हव्वा ने अपने परमेश्वर पर निर्भर करना सीख लिया था, लेकिन कैन का हृदय कठोर ही था। उसने परमेश्वर कि सुरक्षा पर भरोसा करने से इनकार कर दिया। वह अपने स्वयं के बनाय हुए गढ़ पर निर्भर करता था। वह अनाज्ञता कि दिवारों के पीछे घुस कर बैठ गया। परमेश्वर ने कैन को इधर उधर भटकने का शाप दे दिया था, और कैन परमेश्वर कि सज़ा का पालन ना करने के लिए कुछ भी करता था। 

 

कुछ समय के बाद, कैन कि पत्नी ने एक पुत्र जन्मा जिसका नाम हनोक था। कैन ने इस पहले किले शहर का नाम उसके नाम से रखा। हनोक बड़ा हुआ और उसका एक बेटा हुआ जिसका नाम येरेद था। उसके पहलौठे पुत्र का नाम मतूशेलह था। मतूशेलह के बेटे का नाम लेमेक था। और आदम से लेकर कैन के पुत्रों तक वह सांतवी पीढ़ी था। आपको याद हो की लेमेक सतर में सातवां था। यह जानना महत्वपूर्ण होगा। बाइबिल कैन के वंशज का अभिलेख बताती है ताकि हम उससे कुछ सबक सीख सकें। 

 

कैन कि वंशज, उसके बच्चे और उनके बच्चे, कैन के समान थे। कैन ने कभी पश्चाताप नहीं किया था। उसका हृदय पाप के कारण कठोर हो गया था और उसका यह हठीला स्वार्थ उसके बेटे बेटियों और उनके परिवारों में चलता चला गया। उसे पिता होने का इतना महान अवसर था परन्तु इसके बजाय कि वह उन्हें परमेश्वर कि ओर ले जाये, वह उन्हें दुष्टता कि ओर ले गया। वे शैतान के बीज और संतान थे। 

 

कैन कि पीढ़ी परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह में रहते थे, और यह हर पीढ़ी के साथ बदतर होता चला गया।सातवीं पीढ़ी में आकर, लेमेक ने शादी के लिए परमेश्वर की योजना को अस्वीकार कर दिया था। उसने अपने लिए दो पत्नियां कर लीं और उनसे बच्चे हुए। फिर एक दिन उसने एक आदमी को मार डाला क्यूंकि उसने उसे घायल किया था। जब वह घर आया तो अपनी पत्नी और बेटियों के आगे हत्या के बारे में डींग मारने लगा। उसके दिल में कोई पछतावा नहीं था। हिंसा और मृत्यु पर उसने कोई दु: ख नहीं जताया। वह प्रतिहिंसक होकर बोला कि वह भी कैन की पीढ़ी में आता है। 

 

उन सभी पीढ़ियों में, कैन के बेटे और पोते उनके पूर्वज की घृणित हिंसा के साथ गर्व से खुद कि पहचान करते रहे। वे हाबिल के विरुद्ध कैन के द्वारा किये पाप में गर्व महसूस करते थे। उसके खून का अन्याय उनकी एक कपटी जीत थी। वे खून के प्यासे थे। अब लेमेक इस बात से आनंदित था की उसके द्वारा की गई हिंसा और आगे तक जारी रहेगा। उसने कहा,"'कैन की हत्या का दण्ड बहुत भारी था। इसलिए मेरी हत्या का दण्ड भी उससे बहुत, बहुत भारी होगा।”   (उत्पत्ति 4:24)                                                                                      

यदि कैन को अपने भाई कि हत्या के लिए वास्तव में खेद होता तो क्या वह अपने वंशजों को यह कहानी इस प्रकार बताता मानो यह उसकी विजय थी? नहीं, वह दुख और खेद के साथ इसके विषय में बात करता। पर क्यूंकि कैन को पछतावा नहीं था, उसने अपने बेटों और उनके बेटों को हिंसा और हत्या के विजय का स्वाद लेना सिखाया।

 

कैन के पश्चाताप ना करने पर पाप का परिणाम उसके परिवार कि पीढ़ी में गया और वे कठोर हृदय लेकर परमेश्वर के और विरुद्ध होते चले गए। वे परमेश्वर के बच्चों की तरह अभिनय नहीं कर रहे थे। वे पापी परन्तु पश्चाताप कीये हुए हव्वा के बच्चों की तरह अभिनय नहीं कर रहे थे। उनके कार्य यह दर्शा रहे थे की वे परमेश्वर के सबसे बड़े दुश्मन के साथ थे। 

 

इस दुनिया को बनाने से पहले परमेश्वर ने एक आदर्श योजना बना ली थी। यहां तक ​​कि पाप और विद्रोह के बीच में, वह यह सुनिश्चित करता है कि सब कुछ अपने समय में उसके अच्छे के लिए काम करे। जब हम बाइबिल पढ़ते हैं, हम उन बातों पर ध्यान दें जो हमें यह सिखाती हैं कि परमेश्वर के लिए क्या महत्वपूर्ण है। जिस तरह कहानी लिखी गई है वह हमें कहानी का असली सबक क्या है उसके बारे में बहुत कुछ सिखाती है। इस कहानी में, (शायद मूसा खुद था) लेखक ने विद्रोही लेमेक कि भयानक कहानी लिखी थी। लेकिन तुरंत बाद, हम एक उज्ज्वल और प्रतिभाशाली आशा के बारे में सीखते हैं। कैन के वंशज कहानी का अंत नहीं हैं! परमेश्वर एक और मौका मानवता को देकर अपना भव्य अनुग्रह दिखाने जा रहा था! 

 

जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हो गया तब वह एक और बच्चे का पिता हुआ। आदम ने पुत्र का नाम शेत रखा जिसका अर्थ है "दिया गया।" हव्वा समझ गयी थी की शेत परमेश्वर की ओर से दिया गया एक तोहफ़ा था। अभिशाप के कारण परमेश्वर ने पाप और मृत्यु की अनुमति दी थी। उनके पहले दो बच्चों के जीवन को नष्ट कर दिया गया था। लेकिन वह ऐसा परमेश्वर है जो लगातार आशीष देता है और और अधिक बढ़ाता है। शेथ और उसके वंशज को परमेश्वर पृथ्वी पर उसके सेवक होने के लिए उनको इस्तेमाल करेगा। वे टूटे और शापित थे फिर भी वे उसकी छवि को दुनिया में दिखाएंगे।                             (उत्पत्ति  5: 1)

 

शेथ के बच्चे और पोते पोतियां कैन के बच्चों और उनके बच्चों से भिन्न होंगे। शेठ के पहलौठे बेटे का नाम एनोश था जिसका अर्थ है "कमज़ोर।" शेथ के बेटे का नाम आदम और हव्वा की नम्रता को दर्शाता है जो उन्होंने दुःख उठा कर सीखा था। हम इसीलिए रचे गए ताकि हमें परमेश्वर कि जरूरत हो और उसके ऊपर पूर्णरूप से निर्भर रहें। मानवजाति को अब परमेश्वर की और अधिक सहायता की आवश्यकता है क्यूंकि हम एक शक्तिशाली दुश्मन के साथ एक शापित दुनिया में रहते हैं। 

 

मनुष्य अभिशाप के तहत विशेष रूप से कमजोर हैं, और हमें परमेश्वर पर कुल निर्भरता में जीना चाहिए। आदम और हव्वा ने बहुत दर्दनाक तरीके से यह सबक सीखा था, और उन्होंने अपने बेटे को भी वैसा ही सिखाया। शेथ के इस वफादार पीढ़ी के भीतर, मनुष्य विनम्र प्रार्थना के साथ परमेश्वर यहोवा को पुकारने लगे। परमेश्वर उनकी प्रार्थना का सम्मान करेगा। शेथ के वंशज के माध्यम से, परमेश्वर पूरे ब्रह्मांड को बहाल करेगा। 

 

कैन कि पीढ़ियों के पेहलौठों में, आदम के बाद लेमेक सातवीं पीढ़ी से था। शेथ की पीढ़ियों के पेहलौठों में, आदम के बाद, हनोक सातवीं पीढ़ी से था। फिर भी हनोक और लेमेक इससे अधिक भिन्न नहीं हो सकते थे। 

 

लेमेक एक प्राणघाती मनुष्य था और वह परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह में बात करता था। वह इस बात की हेकड़ी मारता था की कैन को हाबिल को मारने का अधिकार था। लेकिन हनोक परमेश्वर से प्यार करता था। बाइबिल उसके विषय में कहती है; "'हनोक परमेश्वर के साथ चल रहा था और गायब हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया।'" (उत्पत्ति 5:24) 

 

क्या आपकी समझ में आया? हनोक कभी नहीं मरा। परमेश्वर ने उसे स्वर्ग में बुला लिया क्योंकि वह प्रभु के साथ चलता था। हनोक ने परमेश्वर की उपस्थिति में अपने जीवन को व्यतीत किया। पाप और मृत्यु का शक्तिशाली अभिशाप परमेश्वर के प्रति विश्वास और प्यार में बदल गया था। 

 

हनोक का मतूशेलह नाम का एक बेटा था। मतूशेलह का एक बेटा था जिसका नाम लेमेक था और उसका भी एक बेटा था। यह वो है जिसके विषय में आपने शायद सुना हो। उसका नाम नूह था। बाइबिल एक बहुत विशेष कारण के लिए हमें नूह की वंशाली से लेकर आदम की वंशाली के विषय में बताती है। वह पहले मनुष्य आदम और नूह, जिसे परमेश्वर एक बार फिर इस्तेमाल करेगा, उनके बीच के संबंध के विषय में बताती है। 

 

बाइबिल हमें आदम और उसके बेटों के जीवन और नूह के जन्म तक सैकड़ों कहानियां बता सकती थी।नूह के जन्म तक, बहुत से लोग इस संसार में आये और वे सैकड़ों सालों तक जीये। परमेश्वर नहीं चाहता था कि हम उन कहानियों को सुनें। बाइबिल में जितने भी लोगों के विषय में हम पढ़ते हैं वे सब किसी उद्देश्य से लिखीं गईं हैं। हर एक कहानी इसलिए चुनी गयी क्यूंकि वे परमेश्वर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सिखाता है। ये कहानियां यह बताती हैं की परमेश्वर ने सृष्टि की रचना कैसे कि और किस प्रकार उसने इतिहास के सभी शानदार योजनाओं को लाने के लिए मानव जीवन में काम करेगा। बाइबिल में प्रत्येक कहानी परमेश्वर कि योजना के प्रत्येक मार्ग के हर एक महत्वपूर्ण क्षण को बताती है। अब हम नूह के जीवन के विषय में पढ़ने जा रहे हैं जिसका जीवन परमेश्वर कि आँखों में बहुत ही मूल्यवान था। 

 

परमेश्वर की कहानी पर अध्ययन। 

परमेश्वर हमें कैन, लेमेक और एनोश कि कहानियां क्यूँ बताना चाहता था। परमेश्वर जिस तरह मानव जाति को देखता है वह इसे क्यूँ स्पष्ट करना चाहता था? परमेश्वर किस तरह का व्यवहार अस्वीकार करता है? आप इसके बारे में क्या महसूस करते हैं? 

 

मेरे परिवार, मेरी दुनिया और स्वयं पर लागू करना।  

क्या आपको इस बात से राहत मिलती है यह देख कर कि परमेश्वर कैन के तरीके से नफ़रत करते हैं? वह क्रोध और हिंसा से बढ़कर मानव जाति के लिए और अधिक कुछ चाहता था। एक पापी दुनिया में, हम सब दूसरों के खिलाफ क्रोध, अभिमान, और प्रतिस्पर्धा जैसी चीजों के साथ संघर्ष करेंगे। हव्वा के पश्चातापि विनम्रता या एनोश की ईमानदार भेद्यता में रहना असहज या डरावना लग सकता है। परमेश्वर के परिवार में यदि खड़ा होना है तो केवल उस पर अपनी आशा और सुरक्षा और शांति के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने से होगा और ना की स्वयं के जीवन के लिए संघर्ष करते रहना। एक पल के लिए शांत हो जाएं। 

 

इन सवालों पर शांत हो कर सोचिये और अपने हृदय कि सच्चाई को देखने के लिए अपनी भावनाओं को सुनें। विश्वास और आज्ञाकारिता के बजाय आप क्या जीत और हार की खोज में हैं? क्या आपके जीवन में ऐसे लोग हैं जिनसे आप ईर्ष्या करते हैं या फिर उनकी सफलता और खुशी से आप जलते हैं और उनकी ख़ुशी आपसे देखी नहीं जाती? यह कैन कि भावना है! 

 

अपने जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

सिंहासन पर बैठे अपने प्रभु यीशु को देखिये। कल्पना कीजिये कि आप अपने पाप, घृणा, ईर्ष्या, और प्रतिस्पर्धा को अपने हाथों में ले रहे हैं। पूरे ईमानदार स्वीकारोक्ति के साथ उन्हें यीशु के पास ले आइये और उन्हें उसके क़दमों पर रख दीजिये। उससे माफी मांगिये। कल्पना कीजिये की वो सब बातें चली गईं हैं। अब सोचिये कि कैसे आप परमेश्वर के आगे झुकेंगे। आप कौन सा गीत गाना पसंद करेंगे? क्या आप उठ कर नाचेंगे? क्या आप उसके क़दमों पर बैठेंगे? कल्पना कीजिये की कैसे आपका परमेश्वर आपकी ओर प्यार और स्वीकृति और कुल माफी के साथ देखता है। अब आप स्वतंत्र हैं! 

 

बाइबिल कहती है: 

"इसलिए क्योंकि परमेश्वर का पुत्र यीशु एक ऐसा महान् महायाजक है, जो स्वर्गों में से होकर गया है तो हमें अपने अंगीकृत एवं घोषित विश्वास को दृढ़ता के साथ थामे रखना चाहिए। क्योंकि हमारे पास जो महायाजक है, वह ऐसा नहीं है जो हमारी दुर्बलताओं के साथ सहानुभूति न रख सके। उसे हर प्रकार से वैसे ही परखा गया है जैसे हमें फिर भी वह सर्वथा पाप रहित है। तो फिर आओ, हम भरोसे के साथ अनुग्रह पाने परमेश्वर के सिंहासन की ओर बढ़ें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हमारी सहायता के लिए हम दया और अनुग्रह को प्राप्त कर सकें।हम आकाश के माध्यम से चला गया है, जो एक महान महायाजक के बाद से "इसलिए, यीशु भगवान का बेटा, हमें हम दावे के विश्वास को मजबूती से पकड़. हम हमारी कमजोरियों के साथ सहानुभूति करने में असमर्थ है, जो एक उच्च पुजारी नहीं है, लेकिन हम बस के रूप में, हर तरह से परीक्षा की गई है जो एक है के लिए कर रहे हैं अभी तक पाप के बिना किया गया था. . हम दया प्राप्त करते हैं और जरूरत के हमारे समय में हमें मदद करने के लिए अनुग्रह मिल सकता है इतना है कि हमें तो विश्वास के साथ अनुग्रह के सिंहासन दृष्टिकोण।"                  इब्रानियों 4:14-16