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कहानी ३: इब्राहीम और मूसा की वाचाएं

पुराने नियम की कहानी एक सुंदर कहानी है। पर यह एक दुखद कहानी है। यह एक महान राज्य की कहानी है जिस पर एक धर्मी राजा के दुष्ट और ज़हरीले दुश्मन ने घुसपैठ की। सबसे बुरी बात यह थी कि राजा के अपने सेवकों ने उसको अन्दर आने दिया।

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कहानी ४: दाऊद की वाचा और यशायाह का अभिषेक

परमेश्वर ने इसराइल के लोगों को अपनी क़ीमती चीज़ होने के लिए बुलाया था। उनके पास परमेश्वर द्वारा चुने जाने का गौरवशाली सम्मान था, फिर भी वे उनके खिलाफ विद्रोह करते रहे। उनके दिल उतने पापी थे जितने आदम और हव्वा के बाकि बच्चों के थे! कभी कभी इस्राएल अपने पापों से पश्चाताप करते थे और वापस व्यवस्था की और लौट जाते।

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कहानी ५ - प्रभु का दिन

कई सदियों से, परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ताओं को बोला कि वो इसराइल को उसके उल्लेखनीय वादों के बारे में बताएं - कि वो कैसे (और अभी भी!) मानव इतिहास में खोए हुओं के लिए उद्धार लाएगा।

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कहानी ६: नई आशा

प्रभु का वह भयावह दिन, जब परमेश्वर इसराइल और दुनिया के देशों का न्याय करने आएगा, इस कहानी का अंत नहीं है। जब प्रभु यीशु आएगा, वह अपने दुश्मनों पर पूरी जीत हासिल करेगा।

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कहानी ८: नई शुरुआत

जब आप मसीह की वंशावली पढते है, जो नए नियम के पहले अध्याय से शुरू होती है, वो इस तरह है मानो पुराने नियम के इतिहास का एक बहुत छोटा सारांश। यह दिखाकर कि यीशु कैसे परमेश्वर के लोगों के इतिहास से जुड़ा हुआ था, मत्ती साबित करता है कि यीशु सच में वो जन है जिसके बारे में सभी वाचाएं और भविष्यवाणियाँ की गई थी।

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कहानी ९: दाऊद की वंशज

जैसे हम इब्राहीम के वंशज (और यीशु के 'पूर्वजों!) के बारे में अगले भाग में देखेंगे, हम दाऊद राजा के पोतों और परपोतों के बारे में भी पड़ेंगे। यह यहूदा के शक्तिशाली राजाओं की एक सूची है! यह पुरुष, परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र के अभिषिक्त अगुए थे।

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कहानी १२: मरियम और एलिजाबेथ

जब स्वर्गदूत गैब्रियल मरियम के पास आया था, तो वह इस्राएल के उत्तर में रह रही थी - गालील के समुद्र से कुछ ही मील की दूरी पर, नासरत नाम के शहर में। जब उसको परमेश्वर के आश्चर्यजनक कार्य का एहसास हुआ जो वह उसके अन्दर करने जा रहा था, वह अपने शहर से दूर चली गई।

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कहानी १६: मंदिर में मसीह

यूसुफ़ और मरियम कितना अचंबित हुए होंगे जब चरवाहों ने उन्हें स्वर्गदूतों और उन सभी के चारों ओर परमेश्वर की महिमा के प्रकाश की कहानियाँ बताई होंगी! जब मरियम प्रभु यीशु को दूध पिला और नेहला रही होगी, तो उसने इन भव्य आयोजनों के बारे में क्या सोचा होगा?

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कहानी १८: मिस्र के लिए कूच

जब शाही ग्यानी और उनके काफिले जो सोने और उत्तम मसालों की भेटों के साथ लदे उनके दरवाजे पर आए, तो आप यूसुफ और मरियम की कल्पना कीजिए! जो अद्भुत बातें उन्हें परमेश्वर ने स्वर्गदूत द्वारा प्रकाशित की, अब दूर की भूमि से अनोखे, सुरुचिपूर्ण पुरुषों के द्वारा भी प्रकाशित हो रही थी!

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कहानी २२: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला

क्या आपको यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के जन्म की कहानी याद है? परमेश्वर ने जकर्याह और एलिजाबेथ को एक बेटा उस समय दिया जब वे बहुत वृद्ध हो गए थे। वे इतने वृद्ध थे कि सबने यह सोचा कि यह बालक परमेश्वर कि ओर से एक दान है।

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कहानी २८: यरूशलेम में यीशु

काना में शादी के बाद, यीशु कफरनहूम को अपनी मां के साथ वापस आ गया था। उसके भाई और उसके चेले उनके साथ चले गए और वे कुछ दिनों के लिए एक साथ वहीं रहने लगे। फसह का समय आया गया था। पवित्र भोज पर आराधना करने के लिए प्रभु यीशु यरूशलेम की यात्रा की।

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कहानी ३२: प्रभु की आत्मा

फिर वह नासरत आया जहाँ वह पला-बढ़ा था ताकी वहाँ के लोगों को लोगों को यह शुभ सन्देश बता सके की परमेश्वर क्या कर रहा है। क्या वे यह विश्वास करते की वह यहाँ है?

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कहानी ४३ः भीड़ का आना

प्रभु यीशु फरीसियों के निकट जाने से पीछे हटते हैं, लेकिन भीड़ उनके पीछे हो लेती है।

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कहानी ५८: पहाड़ पर उपदेश: एक सच्चे दिल से परमेश्वर की सेवा करना

पहाड़ पर दिए उपदेश के पहले भाग में, यीशु ने उच्च और पवित्र नियम से सिखाया कि प्रेम ही सर्वोच्च लक्ष्य है। फिर उसने अपने चेलों उनको अमल करना सिखाया! स्वर्ग के राज्य के प्रेम को यीशु ने पहाड़ के उद्देश्य को शुद्ध और इंसानियत कि पवित्रता में दिखाया जो उसकी स्तुति करने में इच्छा रखता है।

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कहानी ६९: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का यीशु से प्रश्न पुछा जाना

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला क़ैद में था। आप यह देखिये कि, उसने हेरोदेस राजा से कुछ ऐसे प्रश्न पूछे जो उसे पसंद नहीं आये। हेरोदेस ने अपने ही भाई की पत्नी को लिया और उससे शादी कर ली थी। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने ऐसे घृणित काम कि निंदा कि, और हेरोदेस को बिल्कुल यह अच्छा नहीं लगा। तो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को क़ैद में डाल दिया।

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कहानी ९०: फरीसियों, सदूकियों, और हेरोदेस का खमीर

यीशु ने जीवन की रोटी होने का दावा किया था, और इसके विषय में शब्द जल्दी से फैल गया। उनके शिक्षण की खबर यरूशलेम पहुंच गयी और यहूदी अगुवों को क्रोधित कर दिया।लेकिन वे क्या कर सकता थे? उसने हर बहस के ऊपर विजय पाई, और भीड़ ने उसकी चँगाइयों को पसन्द किया।

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कहानी ९४: रूप - परिवर्तन

पतरस ने यह घोषणा की कि यीशु, जीवते परमेश्वर का पुत्र है। यह एक साहसिक, अयोग्य बयान था, और वह ऐसा करना चाहता था। यह केवल सच्चाई कि घोषणा नहीं थी, बल्कि यह राज निष्ठा कि भी घोषणा थी। पतरस एक पक्ष का चयन कर रहा था क्यूंकि वह जानता था कि यीशु ही परमेश्वर का अभिषेक किया हुआ है।

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कहानी ९६: स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन 

एक बार यीशु के शिष्यों के बीच इस बात पर विवाद छिड़ा कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। वे आपस में बहस कर रहे थे कि परमेश्वर के राज्य में कौन सबसे बड़ा होगा। यहूदी संस्कृति में, पद और हैसियत बहुत ज़रूरी थे। समाज में सब अपने पद को जानते थे।

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कहानी ९७: पर्व के लिए यरूशलेम को जाना 

पिछले छे महीनो से, यीशु ने अपने आप को लोगों के आगे आना बंद कर दिया था। यहूदी अगुवे उसे मारने के ताक में थे, गलील के लोग अपने पापों से पश्चाताप करने से इंकार कर रहे थे। उनमें से कुछ ने उसे राजा बनाने कि साजिश भी रची।

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कहानी १००: मिलापवाले तम्बू का पर्व: अंतिम दिन

इस्राएल के देश का यह तनाव और सोच विचार से भरा जश्न का अंतिम दिन था। क्या वे इस बात को स्वीकारते कि यीशु के पास परमेश्वर के द्वारा दी गयी सामर्थ और अधिकार है, जैसा कि वह कहता था? क्या वे उसे मसीह के रूप में स्वीकार करेंगे?

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