कहानी ३: इब्राहीम और मूसा की वाचाएं

Parted Seas

उत्पत्ति-निर्गमन

पुराने नियम की कहानी एक सुंदर कहानी है। पर यह एक दुखद कहानी है। यह एक महान राज्य  की कहानी है जिस पर एक धर्मी राजा के दुष्ट और ज़हरीले दुश्मन ने घुसपैठ की। सबसे बुरी बात यह थी कि राजा के अपने सेवकों ने उसको अन्दर आने दिया।आदम और हव्वा पाप और मृत्यु का श्राप हमारी इस दुनिया में लाए। यह सबसे बड़ी उदासी और गहरी बुराई की बात है। फिर भी परमेश्वर, उनके विद्रोह के बीच में भी, उस योजना जिससे सारी  मानवता आशीषित होगी, को पूरा करता रहा। वह मनुष्य की कमजोरी जानता था, और उसका प्रेम इतना महान था कि इतने विश्वासघात के बावजूद, वह उन्हें अपने पास वापस लेना चाहता था।

आदम और हव्वा के बलवे के बाद उन्हें प्रभु के मंदिर जैसे बगीचे से बाहर भेज दिया गया था। उनकी आत्मा, बुराई और दुष्टता का दबाव और कलंक सहने के लिए नहीं बनाई गई थी। जब वे इसे खुद पर लाए, उनकी आत्मा  पाप की बीमारी द्वारा कुचली और मोड़ी गई, और उन्होंने यह रोग अपने बच्चों को  भी दे दिया। और उनके बच्चों के बच्चे हुए, फिर उनके बच्चे, और इस तरह  सैकड़ों वर्ष के दौरान, पृथ्वी पर लोगों की संख्या हजारों पर हजारों हो गई। आपको क्या लगता  है कि पृथ्वी पर एक साथ रहने वाले इतने पापी लोगों के साथ रहने पर, दुनिया का क्या हुआ होगा? क्या आपको लगता है कि वे अधिक से अधिक पवित्रता और अच्छाई में बड़ते गए? बिलकुल  नहीं। वे और भी बुरे और दुष्ट होते गए। लोगों ने एक दूसरे को और भी बुरे और घिनौने पाप करने के लिया प्रोत्साहित किया। वे परमेश्वर के खिलाफ और विद्रोह करने लगे और उसके पास से अलग रहने की कशिश में रहे, ताकि वे जितना चाहे दुष्ट हो सके।

परमेश्वर ने इन पुरुषों और महिलाओं के दुष्ट इच्छाओं को देखा, और समझा कि वे अच्छा करने की चाहत रखने से भी कितनी दूर थे। वह इतिहास में कार्यशील रहा ताकि वो उनके शासन करने की शक्ति को नियंत्रण में रख सके। उसने लोगो को अलग अलग भाषा के देशों में बाँट दिया ताकि  उनका एक दूसरे पर प्रभाव कम और धीरे हो सके। फिर, इन सभी राष्ट्रों में से, प्रभु ने एक आदमी को चुना और उसे परमप्रधान परमेश्वर के आगे अपने कार्यो के लिए अलग किया। इस आदमी का नाम इब्राहीम था, और वह एक महान राष्ट्र का पिता बनने को था।परमेश्वर का इरादा था कि यह नया राष्ट्र  दुनिया के अन्य देशों के भ्रष्टाचार और दुष्टता से पूरी तरह अलग होगा।

परमेश्वर ने इब्राहीम के साथ एक वाचा बाँधी। उसने कहा कि वह इब्राहीम के वंश को इतना बढाएंगा कि वे समुद्र तट पर रेत में या आकाश के सितारों की तरह होगा। फिर परमेश्वर ने इब्राहीम के बच्चों को याजको का राष्ट्र बनाने का  वादा किया। यह याजक पृथ्वी पर अन्य सभी लोगों के समूहों के लिए, परमेश्वर के पवित्र राहो को दर्शाएंगे। वे पृथ्वी के विद्रोही लोगों को धार्मिकता  के मार्ग दिखाएंगे। परमेश्वर के  पवित्र राष्ट्रों के भविष्यद्वक्ताओं को यह बताना था की कैसे परमेश्वर एक चुना हुए को उठाएगा जो  दुनिया का उद्धारकर्ता होगा। वह हव्वा  का बेटा होगा, और वो शैतान का सिर कुचल कर  उसके दुष्ट राज्य को हराएगा। यह बेटा परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र का एक सदस्य होगा, इब्राहीम के वंश से निकला हुआ, और परमेश्वर के वादों का अंतिम और उच्चतम सम्पूर्ण करने वाला बिंदु होगा।

इब्राहीम ने परमेश्वर का यह वादा सुना और उस पर विश्वास किया। इब्राहीम  का परमेश्वर पर विश्वास,  आदम और हव्वा के विद्रोह और श्राप से कितना अलग था।आदम और हव्वा ने साप के शब्दों पर निर्भर होने को चुना, और वे इस दुनिया में मौत ले आए। लेकिन इब्राहीम ने परमेश्वर के शब्दों में विश्वास रखा। उसने अपनी इस अंधेरी दुनिया या अपनी इच्छाओं की शक्ति पर नहीं विस्वास करके, परमेश्वर पर अपनी आशा लगाई। यह विश्वास परमेश्वर के लिए कीमती था, और उसने इब्राहीम के विश्वास को धार्मिकता माना। इब्राहीम पुराने नियम का महान विश्वास और परमेश्वर पर निर्भरता का एक आदर्श है जो परमेश्वर अपने बच्चों से चाहता है।

सैकड़ों साल के दौरान, इब्राहीम का परिवार अरबों की संख्या में हो गया।पर एक बहुत बड़ी मुश्किल थी। वे सब दास थे। वे मिस्र के देश में रहते थे, और फिरौन उन्हें मजदूरों के रूप में काम करा के अपने साम्राज्य को अमीर और शक्तिशाली बना रहा था। परमेश्वर ने इब्राहीम के बच्चों में से एक को  फिरौन की क्रूरता के खिलाफ खड़े होने को चुना। इस आदमी का नाम मूसा था। परमेश्वर ने उसे कहा कि वह उसे अपने लोगों को मुक्त करने के लिए इस्तमाल करेगा। और उसने ऐसा किया!

महान और शक्तिशाली चमत्कार से, परमेश्वर ने  अपने लोगों को मिस्र की पीड़ा और दुःख दर्द से बचा लिया। आपको वो अद्भुत कहानी याद होगी जब परमेश्वर ने लाल सागर के पानी को खड़ा करा ताकि उसके अपने लोगों उसे पार कर सके। फिर परमेश्वर ने उन्हें रेगिस्तान में बुलाया। परमेश्वर सिनाई पर्वत पर उतरे, और उनकी पवित्रता ने इस टूटी दुनिया की ज़मीन को हिला दिया। लोग यह शानदार पराक्रम देखकर बहुत डर गए। मूसा फिर बादल और आग की लपटों में परमेश्वर के साथ मिलने ऊपर चला गया।परमेश्वर ने मूसा और उसके लोगों को एक नई वाचा वादा दी। यह वाचा उस वाचा से फरक थी जो परमेश्वर ने इब्राहीम को पहले दी थी। परमेश्वर ने जो वादे  इब्राहिम को दिए थे वो अनन्त और बिना शर्त के थे।
इस वाचा को पूरा करना परमेश्वर का काम था। इस वाचा को पूरा करने के लिए ऐसी कोई बात नहीं थी जो इब्राहिम को करनी थी।यह कभी न ख़तम होने वाली वाचा थी।

मूसा के साथ परमेश्वर की वाचा अस्थायी था। यह प्रभु और उसके विशेष चुने राष्ट्र के बीच एक विशेष समझौता था। परमेश्वर ने उन्हें समझ से परे आशिष देने का वादा किया। वे उनको वादे के अनुसार एक ज़मीन देंगे जो इतनी उपजाऊ होगी  ताकि उनके पास हमेशा खाने के लिए बहुतायत में हो। वह उन्हें दुश्मन राष्ट्रों के हमले से रक्षा करेंगे, और वह उन्हें कई बच्चों के साथ आशीषित करेंगे। लेकिन उन्हें यह वाचा रखने के लिए कुछ करना होगा। परमेश्वर ने उनके साथ एक समझौता किया जिसका उन्हें पालन करना होगा। इसको 'व्यवस्था' का नाम दिया गया।

इस व्यवस्था ने परमेश्वर की अद्भुत, शुद्ध रास्ते सिखाए। इसने परमेश्वर के लोगों को सिखाया कि कैसे उन्हें उसकी आराधना के लिए खुद को पाप से शुद्ध करना है ताकि वे उसकी महिमा-भरे, पवित्र उपस्थिति में नजदीकी से रहे। इसने उनकी मदद करी कि वो कैसे अपना जीवन उसके रास्ते में चलाए और उन्हें कैसे एक दूसरे के साथ परमेश्वर के प्रिय बच्चों जैसा व्यवहार करना चाहिए। उन्हें इस बात की अनुमति नहीं थी कि वो एक दूसरे को ठेस पहुंचाए या एक दुसरे के विरुद्ध पाप करे, जिस तरह अन्य देशों के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ करते थे।उनको अपने में कमजोर की मदद और एक दूसरे की देखभाल करनी थी। उनके अगुओं को क्रूरता से राज्य नहीं परन्तु परमेश्वर के लोगों की सेवा करनी थी। इस प्रकार वे परमेश्वर को आदर देंगे। व्यवस्था ने मनुष्य को सिखाया कि कैसे वो इस  टूटी हुई, पापी दुनिया में रहते हुए परमेश्वर का आदर कर सकते है। अगर वे इस व्यवस्था के अनुसार रहेंगे, तो वे इस दुनिया के दुष्ट देशों से अलग होंगे, जो अभी भी बलवे में रह रहे थे।

यदि परमेश्वर के लोग, परमेश्वर के साथ अपने व्यवस्था की वाचा का आदर नहीं करंगे, तो प्रभु के पास उनके लिए कुछ नए वादे थे। वह उनकी फसलों और जानवरों पर आशीष देना बंद कर देगा। वह उन्हें  दुश्मन देशों से रक्षा नहीं करेगे, और वह उन्हें वादा की भूमि से बाहर कर देगा। परमेश्वर ने यह बातें बहुत स्पष्ट रूप से, उनके रेगिस्तान में रहने वाले शुरू के दिनों में ही दी थी। चुनाव लोगों के हाथों में था। क्या वो इस वाचा में हामी भरेंगे? सिनाई पर्वत के नीचे, लोगों ने यह घोषणा की कि वे परमेश्वर की विधि का पालन करेंगे और उसकी वाचा का  सम्मान करेंगे।

व्यवस्था की वाचा ने परमेश्वर के पवित्र लोगों के रूप में, इसराइल के राष्ट्र की स्थापना हुई। भारत और अमेरिका जैसे देशों की सरकारें अपने संविधानों द्वारा परिभाषित हैं। भारत का संविधान पचास से अधिक साल पुराना है। अमेरिका का संविधान  दो सौ साल पुराना है। लेकिन इसराइल के साथ परमेश्वर की वाचा एक हजार, पांच सौ साल से अधिक के लिए चली। उन सभी वर्षों के दौरान, कुछ ऐसे पल थे जब इसराइल ने परमेश्वर के पवित्र व्यवस्था का आदर किया। लेकिन उससे अधिक बार, वे बहुत विद्रोह में रहे। और इसलिए परमेश्वर ने अपने बच्चों को दंडित किया, जैसे उसने कहा था। उसने अन्य राष्ट्रों को भेजा ताकि वो इसराइल को जीत कर और उन्हें वादा की भूमि से हटा दे। परमेश्वर के लोगों को देश से निकाल कर अन्य देशों में बंदी के रूप में भेजा दिया गया।

चाहे इसराइल एक राष्ट्र के रूप कितना पापी हो जाए, वहाँ हमेशा कुछ ऐसे धर्मी लोग भी थे जो परमेश्वर की ओर वफादार रहे। कभी कभी न्यायाधीशों ने लोगों की मदद करी जिससे वो परमेश्वर के रास्तों में लौट आए। कभी कभी वहां रजा थे जो राष्ट्र को पापों से शुद्ध करते थे। अन्य समय में, परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता भेजे जो फटकार और चेतावनी के  शब्दों के साथ परमेश्वर के लोगों के पास आते थे। उनकी भविष्यवाणी में  नए वादे भी थे। हम अगले कुछ पाठों में उनके बारे में और अधिक सीखेंगे!