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कहानी ३: इब्राहीम और मूसा की वाचाएं

पुराने नियम की कहानी एक सुंदर कहानी है। पर यह एक दुखद कहानी है। यह एक महान राज्य की कहानी है जिस पर एक धर्मी राजा के दुष्ट और ज़हरीले दुश्मन ने घुसपैठ की। सबसे बुरी बात यह थी कि राजा के अपने सेवकों ने उसको अन्दर आने दिया।

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कहानी ४: दाऊद की वाचा और यशायाह का अभिषेक

परमेश्वर ने इसराइल के लोगों को अपनी क़ीमती चीज़ होने के लिए बुलाया था। उनके पास परमेश्वर द्वारा चुने जाने का गौरवशाली सम्मान था, फिर भी वे उनके खिलाफ विद्रोह करते रहे। उनके दिल उतने पापी थे जितने आदम और हव्वा के बाकि बच्चों के थे! कभी कभी इस्राएल अपने पापों से पश्चाताप करते थे और वापस व्यवस्था की और लौट जाते।

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कहानी ७: मत्ती का परिचय

चेले जो यीशु के पीछे चलते थे समझ गए थे कि यह उल्लेखनीय आदमी जो उन के बीच चलता था, वो मसीह था। वे उन सब अद्भुत चीजों का रिकॉर्ड रखना चाहते थे जो यीशु ने की।वह उनका प्यारा दोस्त था, पर वह दुनिया का उद्धारकर्ता भी था।

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कहानी ९: दाऊद की वंशज

जैसे हम इब्राहीम के वंशज (और यीशु के 'पूर्वजों!) के बारे में अगले भाग में देखेंगे, हम दाऊद राजा के पोतों और परपोतों के बारे में भी पड़ेंगे। यह यहूदा के शक्तिशाली राजाओं की एक सूची है! यह पुरुष, परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र के अभिषिक्त अगुए थे।

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कहानी १०: स्वर्गदूत, राजा और पवित्र सपने

मत्ती की पुस्तक नए नियम की सबसे पहली पुस्तक है। कई लोगों का यह विश्वास है कि जब शुरू की कलीसियाएं इस बात का निर्णय ले रही थी कि सुसमाचारों में से कौन सी पुस्तक पहले आनी चाहिए, उन्होंने मत्ती की पुस्तक को चुना क्यूंकि उसने बहुत अच्छे तरीके से नए और पुराने नियम को साथ जोड़ा। वंशावलियों ने यह रास्ता बनाया!

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कहानी ११: गेब्रियल मरियम के पास आता है

परमेश्वर ने गेब्रियल स्वर्गदूत को स्वर्ग के सिंहासन कमरे से अपने मंदिर के महा पवित्र जगह पर भेजा ताकि, वो जकरया को परमेश्वर के योजना की घोषणा कर सके।

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कहानी १२: मरियम और एलिजाबेथ

जब स्वर्गदूत गैब्रियल मरियम के पास आया था, तो वह इस्राएल के उत्तर में रह रही थी - गालील के समुद्र से कुछ ही मील की दूरी पर, नासरत नाम के शहर में। जब उसको परमेश्वर के आश्चर्यजनक कार्य का एहसास हुआ जो वह उसके अन्दर करने जा रहा था, वह अपने शहर से दूर चली गई।

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कहानी १५: मसीह का जन्म

यीशु के जन्म की कहानी पढ़ने के लिए सबसे अच्छा तरीका है लूका की पुस्तक से सीधे पढ़ना, क्यूंकि यह कहानी अपने आप में इतनी सुंदर, स्पष्ट और उत्तम है।

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कहानी १६: मंदिर में मसीह

यूसुफ़ और मरियम कितना अचंबित हुए होंगे जब चरवाहों ने उन्हें स्वर्गदूतों और उन सभी के चारों ओर परमेश्वर की महिमा के प्रकाश की कहानियाँ बताई होंगी! जब मरियम प्रभु यीशु को दूध पिला और नेहला रही होगी, तो उसने इन भव्य आयोजनों के बारे में क्या सोचा होगा?

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कहानी २१: परमेश्वर, बारह वर्ष की उम्र में|

यूसुफ़ और मरयम इज्ज़तदार यहूदी थे । वे परमेश्वर के नियमों का पालन करते थे और अपने चाल चलन के द्वारा परमेश्वर के पवित्र लोगों को दिए गए आदेशों का मान रखते थे ।

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कहानी २२: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला

क्या आपको यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के जन्म की कहानी याद है? परमेश्वर ने जकर्याह और एलिजाबेथ को एक बेटा उस समय दिया जब वे बहुत वृद्ध हो गए थे। वे इतने वृद्ध थे कि सबने यह सोचा कि यह बालक परमेश्वर कि ओर से एक दान है।

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कहानी २३: मार्ग को तैयार करना

क्या आप ऐसे असभ्य और पथरीले राह कि कल्पना कर सकते हैं जो पहाड़ों पर ऊपर और नीचे गहरी घाटियों में मुड़ते हैं? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह कितना आसान होता यदि ये गहरे गड्ढे भर दिए हाते और पहाड़ों के रास्ते चिकने कर दिए जाते?

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कहानी ३४: गलील की पहली यात्रा

नासरी के लोग कफरनहूम के लोगों से कितने अलग थे! वे सुनते थे और मानते थे और चंगाई पाते थे! क्या आप लोगों की उत्तेजना कि कल्पना कर सकते हैं ?

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कहानी ३७: लकवाग्रस्त की चंगाई

कोढ़ी के चमत्कारी उपचार के बारे में शब्द दूर दूर तक फ़ैल गया। यीशु की लोकप्रियता बढ़ रहा थी, और नीचे दक्षिण यरूशलेम में लोग उसके बारे में अधिक से अधिक सुन रहे थे।

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कहानी ३८: यीशु की पूछताछ

यहूदी रीति के अनुसार यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के चेले और फ़रीसी उपवास कर रहे थे। यह यहूदी कानून का हिस्सा के अनुसार नहीं थी। जब यहूदी लोग बाबुल में निर्वासन से लौटे तब से यह परंपरा चल रही थी।

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कहानी ४०: मसीह और पिता

तीनो सुसमाचारों में से यूहन्ना की किताब आखरी किताब थी। यूहन्ना प्रभु यीशु के चचेरे भाई और उनके तीन शिष्यों में से एक था। वही एक चेला था जो यीशु क्रूस तक गया। जब यीशु क्रूस पर चढ़े हुए थे, तब उन्होंने अपनी माँ मरियम, को यूहन्ना के हाथ में सौंप दिया था। यूहन्ना किताब के अंत में वह सुसमाचार लिखने का कारण बताता है।

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कहानी ४१: सुनो जो वो कहता है|

यीशु उन यहूदियों को अपने वचन सुनते रहे जो उसे मारने चाहते थे
“यदि मैं अपनी तरफ से साक्षी दूँ तो मेरी साक्षी सत्य नहीं है।

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कहानी ४५ः पहाड़ी उपदेश: धन्य वचन

जितना कि यह पहाड़ी उपदेश पढ़ा और माना जाता है वैसे ही कुछ ही बाइबल के पद हैं जिनको इसी कि तरह माना जाता है। यह मत्ती की पुस्तक में पांच अध्याय से सात अध्याय के बीच में पाया जाता है। इसमे कुछ एक मनुष्य के हाथों लिखे सुंदर आदर्श शामिल हैं।

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कहानी ६७: रोमन सूबेदार की आस्था

मत्ती में पहाड़ पर उपदेश इसलिए लिखा गया ताकि वो सब बातें दिखा सके जो यीशु ने सिखाईं जब वह गलील में ग्रामीण इलाकों में गया। मत्ती ने यीशु के शिक्षण को एकत्र कर दिया ताकि उस तस्वीर को समझ सकें जो स्वर्ग के राज्य के जीवन के विषय में बताती है। उन में से बहुत विचार लूका कि किताब में भी हैं, लेकिन वे उसकी किताब में फैले हुए हैं।

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कहानी ७३: महत्वपूर्ण मोड़: सच्चा फल

धार्मिक अगुवे यीशु से निपटने के लिए यरूशलेम से आए थे। उन्होंने गलील में इतने अद्भुद चमत्कार किये कि उनके खिलाफ कोई नहीं बोल सकता था। भीड़ उसे दाऊद का पुत्र समझने लगी थी। क्या वह उनका आने वाला राजा था? उसकी शक्ति कहां से आयी थी?

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