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कहानी ५ - प्रभु का दिन

कई सदियों से, परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ताओं को बोला कि वो इसराइल को उसके उल्लेखनीय वादों के बारे में बताएं - कि वो कैसे (और अभी भी!) मानव इतिहास में खोए हुओं के लिए उद्धार लाएगा।

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कहानी ६: नई आशा

प्रभु का वह भयावह दिन, जब परमेश्वर इसराइल और दुनिया के देशों का न्याय करने आएगा, इस कहानी का अंत नहीं है। जब प्रभु यीशु आएगा, वह अपने दुश्मनों पर पूरी जीत हासिल करेगा।

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कहानी १४: यूसुफ़

यूसुफ को यह कितना अजीब लगा होगा। उसकी मंगनी मरियम से हुई थी। हालांकि उस समय के इस्राएल, में माता पिता अपने बच्चों की शादी तय करते थे, वे अक्सर अपनी पसंद के साथ अपने बच्चों को खुश करने की कोशिश करते थे! एक बार माता - पिता शादी पर सहमत हो जाते, वो कानूनी रूप से बाध्यकारी था।

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कहानी २५: जंगल में यीशु कि परीक्षा

प्रभु की आत्मा परमेश्वर के पुत्र को एक विशेष और शक्तिशाली रूप में भरने के लिए आया था। यीशु के बपतिस्मे के बाद,पवित्र आत्मा यीशु को यरदन से और यूहन्ना के व्यस्त सेवकाई के वातावरण से दूर ले गया।

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कहानी २९: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाली घटना

यरूशलेम से जाने के बाद, यीशु और उसके चेले यहूदी पहाड़ी क्षेत्र से बाहर चले गए। यीशु ने वहाँ अपने चेलों के साथ समय बिताया और उन्हें बपतिस्मा दिया जो उनके पास आये। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला लोगों को ऐनोन के क्षेत्र में बपतिस्मा दे रहा था।

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कहानी ३०: सामरी औरत

केवल यूहन्ना के चेले ही नहीं थे जिन्होंने यीशु की लोकप्रियता को देखा। फरीसियों भी उस पर ध्यान दे रहे थे। सच तो यह था की यीशु स्वयं नहीं परन्तु उसके चेले बपतिस्मा दे रहे थे।

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कहानी ४४: बारह चेलों का चुना जाना

यीशु चिकित्सा का और भीड़ को प्रचार करने का भारी मात्रा में कार्य कर रहे थे। गलील और यहूदिया से जो यहूदी लोग यीशु सेवकाई में शुरू से उसके पास, साथ अन्यजाति भी जुड़ गए जो मीलों दूर शहरों में। उन्होंने उसके विषय में सुना था जो चंगाई देता है, और वे गलील से यीशु को स्पर्श करने के लिए दूर दूर से आए थे।

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कहानी ६७: रोमन सूबेदार की आस्था

मत्ती में पहाड़ पर उपदेश इसलिए लिखा गया ताकि वो सब बातें दिखा सके जो यीशु ने सिखाईं जब वह गलील में ग्रामीण इलाकों में गया। मत्ती ने यीशु के शिक्षण को एकत्र कर दिया ताकि उस तस्वीर को समझ सकें जो स्वर्ग के राज्य के जीवन के विषय में बताती है। उन में से बहुत विचार लूका कि किताब में भी हैं, लेकिन वे उसकी किताब में फैले हुए हैं।

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कहानी ७६: फसल का दृष्टान्त

यीशु स्वर्ग के राज्य के बारे में दृष्टान्तों में अपने चेलों से बात करने लगा था। बाकि कि भीड़ वहाँ थी जब यीशु नाव से प्रचार कर ही रहे थे, परन्तु अधिकतर लोगों के लिए यह कहानियां रहस्मय थीं।

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कहानी ७७: स्वर्ग राष्ट्र के दृष्टान्त: बीज का बढ़ना, सरसों का बीज, और खमीर

यीशु ने दृष्टान्तों में परमेश्वर के राज्य के बारे में बताना शुरू कर दिया था। जब उसने राज्य के विषय में पहले सिखाया, उसने उस अभिशाप के विरुद्ध लड़ने वाले युद्ध के विषय में चेतावनी दी जो आदम और हव्वा के कारण इस दुनिया में आया।

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कहानी १०७: शिष्यत्व की कीमत 

यीशु जब यहूदिया में उपदेश दे रहा था, वहीं एक आदमी उठ खड़ा हुआ और उससे एक सवाल पूछा। यह उसके माता पिता से विरासत में मिलने वाली सम्पत्ति के बारे में था। वह चाहता था कि उसके भाई उसके साथ बटवारा करे। आम तौर पर, यहूदी लोगों के लिए, इन प्रश्नों के इन प्रकार के उत्तर परमेश्वर की व्यवस्था के द्वारा दिए जाते थे।

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कहनी १२६: लाज़र की यात्रा

यहूदी अगुवे यीशु को गिरफ्तार करने और उसे मार डालने के लिए तैयार थे। हालात हाथ से बाहर हो रहे थे। इस दुष्ट उपदेशक की लोकप्रियता खतरनाक होती जा रही थी। येरूशलेम के अगुवे अपने अधिकार और प्रभाव को जाते देख रहे थे जब सारी भीड़ यीशु की बातों पर पूरा ध्यान लगा रहे थे।

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