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कहानी ११: गेब्रियल मरियम के पास आता है

परमेश्वर ने गेब्रियल स्वर्गदूत को स्वर्ग के सिंहासन कमरे से अपने मंदिर के महा पवित्र जगह पर भेजा ताकि, वो जकरया को परमेश्वर के योजना की घोषणा कर सके।

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कहानी १२: मरियम और एलिजाबेथ

जब स्वर्गदूत गैब्रियल मरियम के पास आया था, तो वह इस्राएल के उत्तर में रह रही थी - गालील के समुद्र से कुछ ही मील की दूरी पर, नासरत नाम के शहर में। जब उसको परमेश्वर के आश्चर्यजनक कार्य का एहसास हुआ जो वह उसके अन्दर करने जा रहा था, वह अपने शहर से दूर चली गई।

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कहानी १५: मसीह का जन्म

यीशु के जन्म की कहानी पढ़ने के लिए सबसे अच्छा तरीका है लूका की पुस्तक से सीधे पढ़ना, क्यूंकि यह कहानी अपने आप में इतनी सुंदर, स्पष्ट और उत्तम है।

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कहानी १६: मंदिर में मसीह

यूसुफ़ और मरियम कितना अचंबित हुए होंगे जब चरवाहों ने उन्हें स्वर्गदूतों और उन सभी के चारों ओर परमेश्वर की महिमा के प्रकाश की कहानियाँ बताई होंगी! जब मरियम प्रभु यीशु को दूध पिला और नेहला रही होगी, तो उसने इन भव्य आयोजनों के बारे में क्या सोचा होगा?

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कहानी १७: पूर्व से ज्ञानी

मरियम और यूसुफ अपने शिशु बच्चे के साथ बेतलेहेम में रुके रहे। उन्हें एक घर मिला और वो एक युवा जोड़े के रूप में अपना जीवन बिताने लगे। उन पहले दो सालों की कल्पना करो जब उन्होंने परमेश्वर के पुत्र को पकड़ा, खिलाया और डकार दिलाई होगी। वास्तव में, क्या ही एक महान रहस्य !

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कहानी २१: परमेश्वर, बारह वर्ष की उम्र में|

यूसुफ़ और मरयम इज्ज़तदार यहूदी थे । वे परमेश्वर के नियमों का पालन करते थे और अपने चाल चलन के द्वारा परमेश्वर के पवित्र लोगों को दिए गए आदेशों का मान रखते थे ।

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कहानी २७: दाखरस का पानी में बदलना

यीशु ने पैदल यरदन नदी से ऊपर उत्तर क्षेत्र में गलील तक यात्रा की। यह लगभग ६० मील / किलो दूर था। उनकी यात्रा ने ३ दिन लिये होंगे। क्या यह दिलचस्प नहीं होगा कि उनकी बातें घर की ओर जाते सुनें ?

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कहानी १०४: मार्था और मरियम

यीशु यहूदिया के गांवों और कस्बों से होते हुए अपनी यात्रा कर रहा था। वह बेथानी नामक गांव में पहुंचा जो यरूशलेम से लगभग दो मील की दूरी पर था। मार्था वहाँ अपने भाई और बहन के साथ रहती थी। उसने यीशु का उदारता के साथ उसका स्वागत सत्कार किया।

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कहानी १७२: परिणाम

यीशु क्रूस पर छे घंटे, जहां उसने मानवजाति के पापों कि सज़ा अपने ऊपर ले ली। हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारे हर घिनौने काम कि दुष्टता परमेश्वर के आगे यीशु के व्यक्तित्व में पेश की गई। हर प्रकार के घिनौने पाप। यीशु ने हमारे हर प्रकार के पाप जो अंधकार में किये गए उन्हें अपने ऊपर ले लिया।

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कहानी १७६: मरियम की आवाज

हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते है कि मरियम मगदलीनी ने क्या सोचा और महसूस किया होगा जब वो यीशु के पीछे चलती थी और उनकी मृत्यु और जी उठने से गुजरी। बाइबल हमें कुछ करीबी चित्र देती है जो हमें कल्पना करने में मदद करती है कि उसने क्या कहा होगा। यूहन्ना प्रेरित हमें यीशु के जी उठने की कहानी का लम्बा संस्करण, मरियम के आँखों देखी से बताता है।

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