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राज्य में विद्रोह

आदम और हव्वा पूरे आराम और खुशी से उस बगीचे में रहते थे। परमेश्वर , जो सब कुछ पर प्रभु है, उनके पास हमेशा था। वह उस बगीचे में उन लोगों के साथ बात करते हुए साथ चलता था।

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कहानी २५: जंगल में यीशु कि परीक्षा

प्रभु की आत्मा परमेश्वर के पुत्र को एक विशेष और शक्तिशाली रूप में भरने के लिए आया था। यीशु के बपतिस्मे के बाद,पवित्र आत्मा यीशु को यरदन से और यूहन्ना के व्यस्त सेवकाई के वातावरण से दूर ले गया।

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कहानी ४५ः पहाड़ी उपदेश: धन्य वचन

जितना कि यह पहाड़ी उपदेश पढ़ा और माना जाता है वैसे ही कुछ ही बाइबल के पद हैं जिनको इसी कि तरह माना जाता है। यह मत्ती की पुस्तक में पांच अध्याय से सात अध्याय के बीच में पाया जाता है। इसमे कुछ एक मनुष्य के हाथों लिखे सुंदर आदर्श शामिल हैं।

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कहानी ७०: विद्रोह और पश्चाताप के बीच अंतर

केवल धार्मिक अगुवे थे जिन्होंने ने परमेश्वर के सन्देश को यूहन्ना और यीशु के द्वारा सुनने से इंकार किया। इस्राएल के देश में बहुत से लोग ने भी उन्हें ठुकराया।

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कहानी ८९: जीवन कि रोटी (भाग II)

जब लोगों ने यीशु को सुना, वे बड़बड़ाने लगे और शिकायत करने लगे। वह कौन था ऐसा कहने वाला कि वह स्वर्ग से नीचे उतर के आया है? वे सब जानते थे कि वह नासरी से एक बढ़ई यूसुफ का पुत्र है। वे सब उसके माता और पिता। वह ऐसा कैसे दावा कर सकता था कि वह स्वर्ग से आया है?

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कहानी १०६: यीशु का भय 

फरीसी और शास्त्रि जब यीशु के खिलाफ साजिश रच रहे थे और सवालों से उसे फंसाना चाहते थे, यीशु फिर भी प्रचार करते रहे।निश्चित रूप से चेले इस बात को समझते थे कि यीशु के साथ उनकी वफादारी उनके जीवन को जोखिम में डाल सकती है।

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कहनी १३६: बरतिमाई और जक्कई 

यीशु यरूशलेम के निकट पहुँच रहे थे। जब तक वे यरीहो पहुंचे, उसके चेलों के साथ एक बड़ी भीड़ मिल गयी थी। पूरे शहर में ऐसी उत्साहित भीड़ को देखना एक अनोखा दृश्य रहा होगा! बरतिमाई (अर्थ “तिमाई का पुत्र”) नाम का एक अंधा भिखारी सड़क के किनारे बैठा था।

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कहानी १४०: विजयी प्रवेश : यंत्रणा हफ्ते का पहला दिन (रविवार)

फसह के पर्व के लिए यीशु और उसके चेले बैतनिय्याह से येरूशलेम को गए। लाज़र को लेकर भीड़ इतनी उत्साहित थी कि वह उनके पीछे हर जगह चलती रही। यीशु और उसके चेले जब यरूशलेम के पास जैतून पर्वत के निकट बैतफगे पहुँचे तो यीशु ने अपने दो शिष्यों को यह आदेश देकर आगे भेजा।

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कहानी १६८: वापस पिलातुस के पास 

हेरोदेस, मसीह के मामले में, किसी भी निष्कर्ष तक पहुँचने में सक्षम नहीं था, इसलिए उसने यीशु को पिलातुस के पास वापस भेज दिया। अब, पिलातुस की यहूदी लोगों के साथ एक परंपरा थी। हर फसह के पर्व पर, वह उनसे किसी एक कैदी की रिहाई का अनुरोध लेता, और वह उसे मुक्त कर देता।

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कहानी १७२: परिणाम

यीशु क्रूस पर छे घंटे, जहां उसने मानवजाति के पापों कि सज़ा अपने ऊपर ले ली। हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारे हर घिनौने काम कि दुष्टता परमेश्वर के आगे यीशु के व्यक्तित्व में पेश की गई। हर प्रकार के घिनौने पाप। यीशु ने हमारे हर प्रकार के पाप जो अंधकार में किये गए उन्हें अपने ऊपर ले लिया।

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