कहानी १७: पूर्व से ज्ञानी

मरियम और यूसुफ अपने शिशु बच्चे के साथ बेतलेहेम में रुके रहे। उन्हें एक घर मिला और वो एक युवा जोड़े के रूप में अपना जीवन बिताने लगे। उन पहले दो सालों की कल्पना करो जब उन्होंने परमेश्वर के पुत्र को पकड़ा, खिलाया और डकार दिलाई होगी। वास्तव में, क्या ही एक महान रहस्य !

इस बीच, क्रूर राजा हेरोदेस केवल कुछ ही मील दूर, यरूशलेम में राज कर रहा था। वह यहूदिया के पूरे क्षेत्र पर शासन  करता था।वह इस्राएल का उचित राजा नहीं था। उसने अपनी सत्ता को उन रोमी नेताओं को खुश रख कर बरकरार रखा जो यहूदी लोगों पर अपनी सैन्य शक्ति के बलबूते से उन पर दबाव किया हुआ था। हेरोदेस अक्सर अपने क्रूर बल और उत्पीड़न के माध्यम से उन पर सत्ता के पकड़ को सुनिश्चित करता। नियंत्रण के लिए उसकी हवस इतनी स्वार्थी और दुर्भावनापूर्ण थी कि उसने अपने परिवार जनों को भी मार डाला।

वह अपनी क्रूरता के लिए इतना प्रसिद्ध था, कि कैसर अगस्तुस ने खुद यह कहा: "मुझे हेरोदेस का सूअर बनना मंज़ूर है, इससे कि उसका बेटा।" यहूदी लोगों ने इस भयावहता की अफवाहें सुनी और देखी और कॉप उठे। वह उनके पवित्र वचन के परमेश्वर से कितना विपरीत था! वह कैसे आने वाले मसीहा के विपरीत था! अब और भी, इसराइल के सभी धर्मी, परमेश्वर के उद्धार की प्रतीक्षा में उसको पुकारने लगे।

एक दिन, पुरुषों का एक अजीब कारवां, यरूशलेम के शहर पर उतरा। वे ज्ञानियों का एक समूह थे - फारस की भूमि में एक पुरोहित जाति के सदस्य। उनके तौर तरीके में बड़प्पन और आलीशान गरिमा थी। यरूशलेम उनके लिए एक हजार मील की यात्रा थी। जब तक वे पहुंचे, वे कई महीनों के लिए कूच कर चुके थे। वे अपने साथ, भोजन और खजाने की आपूर्ति के साथ साथ, कर्मचारियों और नौकरों को भी अपने साथ लाए थे। उनके आगमन का यरूशलेम के अभिजात वर्ग के हर पुरुष और महिला ने ध्यान दिया। " इन भव्य पुरुषों का इतनी लंबी और कठिन यात्रा करने की क्या महत्वपूर्ण वजह हो सकती है?", लोगों ने सोचा। कल्पना कीजिये कि उनको यह जानके कितना अचंबा हुआ होगा कि वे राजा हेरोदेस से एक सवाल पूछने के लिए इतने लंबे, कठिन यात्रा पर आए थे।

यह ज्ञानी महान विद्वान थे। वे सितारों और विज्ञान और चिकित्सा (और शायद जादू) का अध्ययन करते थे। कई महीने पहले, उन्होंने अपने ही देश में दूर एक सितारा देखा था। इसके आने का यह एक चिन्ह था कि पराक्रमी राजा, यहूदी लोगों को पैदा हुआ है। इसलिए, वे उस राजा के पास गए जो इस्राएल पर शासन करता था और इस बच्चे के ठिकाने की पूछताछ करने लगे। ज्ञानियों ने उनकी आराधना करने इतने मीलों का कूच किया।

कल्पना कीजिए! राष्ट्रों ने, पहले से ही इस उद्धारकर्ता,  प्रभु और राजा के सामने झुकना शुरू कर दिया था! क्या इस्राएल का राजा भी ऐसा करेगा?

ज्ञानियों की यह धारणा थी कि हेरोदेस को इस बच्चे का ठिकाना पता होगा। लेकिन इस भयानक राजा के पास स्वर्गदूत नहीं आए, न तो कोई सपने या प्रकाशन। वे कुंवारी लड़कियों और बढ़ई और प्रार्थना करने वाली विधवाओं के पास आए थे। इस्राएल के असली राजा की घोषणा करने वाले, चरवाहों और पुरनियों के पास आए थे। और अब उसके आने का संदेश, एक दूर देश में एक सितारे द्वारा, विदेशियों को दर्शाया गया। यह मसीहा राजा ऐसे ही लोगों को प्रकाशित हुआ था। वे उसके राज्य के सम्मानित जन थे।

एक नवजात राजा की खबर ने हेरोदेस को चिंता में डाल दिया। यह बच्चा उसकी सत्ता के लिए खतरा था! जब यह शब्द यरूशलेम के लोगों के बीच फैला, वे भी परेशान हुए। असल में, धार्मिक नेता और पुजारी उस खोज में नहीं थे जो ज्ञानियों की थी। उन्हें परमेश्वर के महान वादों के राजा में कोई वास्तविक दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने खुद को राजा हेरोदेस का दोस्त बना लिया था। बदले में, हेरोदेस ने उनके मंदिर का पुनर्निर्माण किया। उनके नियंत्रण और प्रभाव के पद, उसकी तरफदारी पर निर्भर थे; और उन्होंने अपना विश्वास इस पर डाला था। वे जानते थे कि अगर कोई दूसरा राजा हेरोदेस की जगह में आता, तो इससे उनका भी पतन होता।

ज्ञानियों का आना, इन धार्मिक नेताओं के लिए एक महान जागृति हो सकती थी। यह उनके इंजील की बड़ी उम्मीद पर उन्हें वापस बुलाने का एक रास्ता हो सकता था। यह उन्हें मसीहा के लिए एक महान खोज पर भेज सकता था! क्या वे अपने को परमेश्वर के साथ फिर से संगठित करेंगे? क्या वे सबसे उच्च परमेश्वर के अनुग्रह को खोजेंगे? या क्या वे उसके भ्रष्टाचार और लालच के साथ अपना गठबंधन जारी रखेंगे?

हेरोदेस प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य नहीं था। लेकिन वो जानता था कि इंजील में एक आने वाले मसीहा के बारे में भविष्यवाणी की गई है जो राजा के रूप में राज्य करेगा।क्या यही बच्चा वो जन हो सकता था? राजा ने मंदिर के मुख्य याजकों और शिक्षकों को एक साथ बुलाया जो परमेश्वर की व्यवस्था को जानते थे। उसने उनसे इस मसीह बच्चे के जन्मस्थल के बारे में पूछा। उन्होंने उसे बताया कि वह सिर्फ छह मील दूर यरूशलेम की दीवारों से, यहूदिया के बेतलेहेम में आएगा। तब उन्होंने नबी मीका से कुछ पदों का हवाला दिया:

'हे बेतलेहेम एप्राता, तू यहूदा का छोटा नगर है

और तेरा वंश गिनती में बहुत कम है।
किन्तु पहले तुझसे ही “मेरे लिये इस्राएल का शासक आयेगा।”

ज्ञानियों को उनका जवाब मिल गया था। वे जान गए कि उन्हें कहाँ जाना है। केवल समस्या यह थी कि अब हेरोदेस भी जानता था! उसे इस बच्चे-शासक का विचार पसंद नहीं आया, तो उसने एक शैतानी योजना की उपज की। उसने रहस्य में ज्ञानियों को वापस बुलाया और पूछा कि उन्हें यह सितारा पहले कब दिखाई दिया। वह बच्चे की उम्र जानना चाहता था। फिर उसने उस बालक को खोजने के लिए उन्हें बेथलेहम भेजा। उसने कहा: 'जाओ और इस बच्चे के लिए एक सावधान खोज करो। जैसे ही आप उसे ढूँढ निकालोगे, मुझे इस बात की खबर देना ताकि मैं भी उसे दंडवत कर सकूं।" हेरोदेस कितना कोमल और श्रद्धालु लगता होगा! लेकिन उसने अपने दिल में इस मसीहा को नष्ट करने की ठानी, जिसके बारे में यह भविष्यवाणी की गई थी कि वो यरूशलेम में दाऊद के सिंहासन पर बैठेगा।

क्या उसने वास्तव में यह सोचा कि वो परमेश्वर की भविष्यवाणी को सच होने से रोक सकता है? हेरोदेस एक मूर्ख था, लेकिन वह एक खतरनाक मूर्ख था। क्या ज्ञानियों को उस बच्चे  का पता मिलेगा? क्या वे इस दुष्ट राजा को उसके चौखट तक लाएंगे?

उस अंधेरी रात की कल्पना कीजिए जब ज्ञानियों ने यरूशलेम के पहाड़ियों से नीचे सफ़र किया। जब वे बेतलेहेम के छोटे शहर के नज़दीक पहुंचे, वो तारा जो उन्होंने पूर्व में देखा था, फिर देखाई पड़ा और उनका आगे मार्गदर्शन करने लगा। वे इस शानदार, लौकिक हस्ताक्षर की वापसी और आश्वासन पर आनंदित हुए। परमेश्वर इस बच्चे की ओर संकेत करने के लिए ब्रह्मांड को आदेश दे रहा था!

तारा ठीक वही ठहर गया जहाँ यीशु रहते थे। जब वे घर में आए और मरियम को बच्चे के साथ देखा, तो वे भारी खुशी और भरपूर आनंद से भर गए! यहाँ वो जन था जिसके लिए उन्होंने इतना लम्बा कूच किया था! अपने उत्तेजित उत्साह में, वे नीचे झुके और उसे प्रणाम किया। तब उन्होंने ऐसे आलीशान खजाने की महान प्रस्तुति की जो ना तो यूसुफ़ ने या मरियम ने कभी देखा या पाया! ज्ञानियों ने उन्हें ऐसे उपहार प्रस्तुत किये जो एक शाही बच्चे के लिए उचित है- स्वर्ग के उच्च राजा का पुत्र। उन्होंने झिलमिलाता सोना और सबसे कीमती धूप और लोहबान बाहर निकाला।वो इस बात से बिल्कुल निश्चित थे कि यही बच्चा वो राजा था जिसकी वो खोज में थे!

फिर भी, ज्ञानियों ने एक और राजा के बारे में अपना मन बदला। जो उन्हें मिला, वे हेरोदेस को नहीं बता सकते थे! उन्हें हेरोदेस के विश्वासघाती योजनाओं के बारे में एक सपने में चिताया गया था! उनके सदमे की कल्पना कीजिए जब उन्हें इस बात का एहास हुआ कि उन्होंने राजा के शत्रु, जिसको दंडवत करने वो इनती दूर आए था, कितना रहस्य खोल दिया! वो जानते थे कि वे यरूशलेम वापस नहीं जा सकते थे। तो उन्होंने एक दूसरा उपाय निकालकर, एक अन्य मार्ग से वापस घर, चुप्पी साध कर निकल गए।