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पाठ 2 : दैवीय आदेश

बाइबिल में, परमेश्वर हमें यह कहानी बताते हैं किकिस प्रकार पूरे इतिहास में उस मानवजाति के साथ सम्बन्ध बनाने में लगे रहे जिसे उन्होंने अपने लिए सृजा था।

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पाठ 4 : निर्माण के चौथे और पांचवां दिन

पहले तीन दिन परमेश्वर ने सुंदरता को उंडेलते हुए प्रकाश और आकाश और भूमि और समुद्र को तैयार किया। उन्होंने वो सभी घास और वृक्ष बनाये जो पृथ्वी को नरम और सुंदर बनाते हैं।

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पाठ 7 : सब्त और वर्जित फल

निर्माण के छठे दिन परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया। एक बार मनुष्य के दुनिया में लाने के बाद, ब्रह्मांड पूरा हो गया। फिर शक्तिशाली परमेश्वर ने एक उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने विश्राम किया। बाइबिल यह कहती है

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पाठ 9 : पतन

आदम और हव्वा एक साथ बगीचे में रहते थे। वह उसकी अनमोल सहायक और साथी थी। उस भव्य,विशाल पेड़ों और कोमल सूरज की रोशनी के बीच बिताये जीवन किकल्पना कीजिए! वे एक गहरे और भावुक प्रेम को अपनी मासूमियत और पवित्रता में साझा किया करते थे।

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पाठ 12 : आदम से नूह तक

नोद में जाकर कैन ने एक शहर का निर्माण किया। यह वास्तव में एक किले कि तरह था। दूसरों की हिंसा से बचने के लिए यह स्थान उसके लिए संरक्षण था। अभिशाप पूर्ण प्रभाव में था, और मनुष्य के जीने के लिए यह एक हिंसक और खतरनाक जगह बन गई थी।

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पाठ 14 : बाढ़

आदम और हव्वा के वंशज कुल विद्रोह में थे। वे उनके अद्भुत और पवित्र परमेश्वर की छवि को प्रतिबिंबित नहीं करते थे। इसके बजाय, वे दुष्टता में जीते थे और स्वयं को और अपने भीषण व्यवहार से अपने परिवारों को शर्मसार करते थे।

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पाठ 17 : राष्ट्रों कि तालिका: येपेत और अनियंत्रित किया हुआ

जल प्रलय के बाद उत्पत्ति के अध्याय कुछ आकर्षक हैं। उन्हें राष्ट्रों की तालिका कहा जाता है। यह नूह के तीन बेटों से आया पृथ्वी पर लोगों का वर्णन करती है।

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पाठ 18 : हाम कान की रेखा पुनरारंभ करता है, लेकिन परमेश्वर की बुलाहट शेम के लिए है ।

राष्ट्रों कि तालिका हमें बताती है की कैसे मानव जाति कि वृद्धि हुई और नूह और जल प्रलय के बाद वे पृथ्वी भर में फैल गए।

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पाठ 22 : शेम से अब्राम तक

हम जब आदम और नूह के बीच के समय को देखते हैं, तब से मनुष्य कि दस पीढ़ियां इस पृथ्वी पर बढ़ीं। वे इतने कठोर और दुष्ट हो गए थे की परमेश्वर को उनके प्रदूषित पाप से पृथ्वी को धोना पड़ा।

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पाठ 24 : इब्राहीम की मिस्र यात्रा: वहाँ तक जाना और लौट कर आना

परमेश्वर के वादे के अनुसार अब्राम विश्वास के साथ निकल पड़ा। लेकिन वह अपनी यात्रा में अकेला नहीं था, और केवल वही नहीं था जो अकेला परमेश्वर पर भरोसा कर रहा था।

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पाठ 27 : प्रभु में अब्राम की विजय

रात के अँधेरे में, इब्राहीम और उसके साथी चार राजाओं के पीछे चले गए। अंधेरे की आड़ में उसने दो समूहों में अपने सैनिकों को विभाजित किया और दो दिशाओं में अपने दुश्मनों पर हमला किया।

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पाठ 31 : बेवफ़ाई का दुःख

अब्राम और सारा के दस साल अपने देश में रहने के बाद, उनके अभी भी कोई संतान नहीं थी। सबकी आँखों में सरै की दरिद्रता एक महान कमज़ोरी और असफलता के रूप में देखा जाता था।

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पाठ 36 : इब्राहीम और अबीमेलेक

सदोम और अमोरा के न्याय पर परमेश्वर का सामर्थी हाथ पड़ने के बाद, इब्राहिम नेगेव को चला गया। जब तक वह वहां था उसने लोगों को बताया था की सारा उसकी बहन थी।

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पाठ 37 : सारा का हसना: इब्राहीम और सारा के विश्वास को एक स्तोत्र

इब्राहीम और सारा ने एक बेटे के जन्म के लिए पच्चीस वर्षों तक प्रतीक्षा की। उन सभी पहले के वर्षों में, इब्राहीम ने माना की उसने परमेश्वर के द्वारा एक संदेश सुना है।

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पाठ 42 : रिबका का घर आना

इब्राहीम ने इसहाक के लिए एक पत्नी को खोजने के लिए अपने मुख्य सेवक को भेजा। यह महत्वपूर्ण था की इसहाक की पत्नी एक ही परिवार से हो जिन्हें परमश्वर ने एक विशेष रूप से अलग किया था। जो स्थान इब्राहीम और सारा ने वर्षों पहले पीछे छोड़ दिया था, सेवक उसी भूमि में वापस गया।

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पाठ 48 : याकूब का भागना

एसाव एक कठोर आदमी था। उसने अपने भाई को उसे धोखे से अपने जन्मसिद्ध अधिकार को देने में मूर्खता दिखाई, और अब याकूब ने अपने पिता के आशीर्वाद को भी ले लिया था।

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