पाठ 10 : नबूकदनेस्सर का पागल हो जाना

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नबूकदनेस्सर राजा को एक डरावना स्वप्न आया, और परमेश्वर ने दानिय्येल को अनुवाद करने का एक तरीका दिया था I क्योंकि राजा ने परमेश्वर को महिमा नहीं दी थी, नबूकदनेस्सर सात वर्ष के लिए पागल होने वाला था ! वह दिन और रात बाहर रहेगा और एक पशु के समान घास खाएगा I दानिय्येल नहीं चाहता था कि राजा के साथ ऐसी भयंकर बातें हों I ना केवल वे राजा के लिए बुरी थीं, उस राज्य के लोगों के लिए बहुत भयानक समस्या पैदा हो सकती थीं I नबूकदनेस्सर इस्राएल के लोगों के लिए एक अच्छा राजा था I यदि उसके सात वर्ष के पागलपन में नया नेतृत्व होता है, तो शायद वे यहूदियों के प्रति दयावान ना हों (मिलर,दानिय्येल,136)I

दानिय्येल ने राजा से विनती की कि इन सब भयानक बातों को होने से रोके I उसने कहा, ... हे राजा, आप कृपा करके मेरी सलाह मानें। मैं आपको यह सलाह देता हूँ कि आप पाप करना छोड़ दें और जो उचित है, वही करें। कुकर्मो का त्याग कर दें। गरीबों पर दयालु हों। तभी आप सफल बने रह सकेंगे।” दानिय्येल ने नबूकदनेस्सर को परमेश्वर के पास आने का और इस भयानक भविष्य से स्वतन्त्र होने का एक बहुत स्पष्ट रास्ता दिखाया I परमेश्वर को अच्छा लगता है जब एक व्यक्ति अपने पापों से पलटता है और सही काम करने लगता है I क्या यह अद्भुत नहीं कि सारी सृष्टि के परमेश्वर के लिए, एक व्यक्ति दुखी और दरिद्र की सुद्धि ले ? परन्तु किसी तरह नबूकदनेस्सर का हृदय कठोर बना रहा I उसने उन भयानक घटनाओं को घटने से नहीं रोका जिन्हें उसने स्वप्न में देखा था I

नबूकदनेस्सर के स्वप्न के बारह महीनों बाद, वह अपने बड़े महल की छत पर से बाबेल के सुन्दर शहर को देख रहा था I वह निश्चय ही एक प्रभावशाली दृश्य था I बाबेल दुनिया का सबसे महान शहर था I एक ग्रीक आगंतुक जिसका नाम हेरोदोतुस था, ने लिखा कि जब वह बाबेल गया, वह इसकी भव्यता को देखकर अचंभित रह गया (मिलर,140)I शहर एक बहुत विशाल आयत था जिसके चारों ओर पानी की खाई थी I फिर बहुत विशाल और ऊँची दीवारें आयीं जो चालीस फुट ऊँची और पच्चीस फुट चौड़ी थीं (मिलर,167)I इन दीवारों के अन्दर और बाहर जाने के लिए आठ द्वार थे I शहर के बीच एक 288 फुट का एक आयताकार मीनार था, और बाबेल के देवताओं के लगभग तिरपन मंदिर थे (मिलर,140)I नबूकदनेस्सर के पास तीन महल थे, जिनमें से एक में एक भव्य सिंहासन कक्ष था I उसमें हैंगिंग गार्डन थे जिन्हें नबूकदनेस्सर ने बनवाया था ताकि वह एक ख़ूबसूरत जंगले के समान दिखे I वे इतने ऊँचे थे कि उन्हें शहर पनह के बाहर से भी देखा जा सकता था (मिलर,141)I

शायद जब नबूकदनेस्सर अपने महल की छत पर टहल रहा होगा तब वह इन बगीचों को निहार रहा होगा, हम नहीं जानते I हम यह जानते हैं कि जो कुछ भी नबूकदनेस्सर देख रहा था उससे वह अहंकार से भर गया I परमेश्वर को महिमा देने के बजाय, जिस प्रकार उसे स्वप्न में चेतावनी मिली थी, नबूकदनेस्सर स्वयं पर अहंकार करने लगा I उसने कहा, क्या यह महान बाबेल नहीं जिसका निर्माण एक शाही निवास के लिए मैंने अपनी शक्ति से किया है यह दिखाने के लिये किया है कि मैं कितना बड़ा हूँ?” वाह ! वह अवश्य स्वप्न भूल गया था I परन्तु परमेश्वर नहीं भूला I ये शब्द अभी उसके मुँह में ही थे कि एक आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी ने कहा, “राजा नबूकदनेस्सर, तेरे साथ ये बातें घटेंगी। राजा के रूप में तुझसे तेरी शक्ति छीन ली गयी है। तुझे प्रजा से दूर जाना होगा। जंगली पशुओं के साथ तेरा निवास होगा। तू ढ़ोरों की तरह घास खायेगा। इससे पहले कि तू सबक सीखे, सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे। तब तू यह समझेगा कि मनुष्य के राज्यों पर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है और परम प्रधान परमेश्वर जिसे चाहता है, उसे राज्य दे देता है।”

जैसी आकाशवाणी स्वर्ग से हुई थी वैसा तुरंत हो गया I नबूकदनेस्सर को शहर की शान से दूर जाना पड़ा और उसने ढ़ोरों की तरह घास खाना शुरू कर दिया। परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को पश्चाताप करने के लिए एक पूरा वर्ष दिया था, परन्तु वह और भी बुरा हो गया I इसलिए सात वर्ष तक वह, दिन और रात बाहर रहा और उसके बाल बढ़ गये और उसके नाखून ऐसे बढ़ गये जैसे किसी पक्षी के पंजों के नाखून होते हैं।

सात वर्ष बीतने के बाद, नबूकदनेस्सर ने अपने पाप से पश्चताप किया जो उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विरुद्ध किया था I नबूकदनेस्सर ने, जब उसका बुरा समय बीत गया, ऐसा लिखा:

“’फिर उस समय के अंत में मैं, नकूबदनेस्सर, ने ऊपर स्वर्ग की ओर देखा। मैं फिर सही ढ़ंग से सोचने विचारने लगा। सो मैंने परम प्रधान परमेश्वर की स्तुति की, जो सदा अमर है, मैंने उसे आदर और महिमा प्रदान की।

“’परमेश्वर शासन सदा करता है!
    उसका राज्य पीढ़ी दर पीढ़ीबना रहता है।
इस धरती के लोग
    सचमुच बड़े नहीं हैं।
परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है।
    स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है।
उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है
    उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।

“’मेरा बड़ा मान, सम्मान और शक्ति भी वापस लौटा दी। मेरे मन्त्री और मेरे राजकीय लोग फिर मेरे पास आने लगे। मैं फिर से राजा बन गया। मैं पहले से भी अधिक महान और शक्तिशाली हो गया था I’”

दानिय्येल में अधिकतर कहानी दो महान राजाओं के बीच हो रहे संघर्ष की कहानी है I स्वर्ग के राजा, और पृथ्वी का छोटा राजा जिसे बहुत वक्त लगा यह समझने में की कौन वास्तव में महान है I अंत में नबूकदनेस्सर ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को समर्पित किया, और सारी सृष्टि के प्रभु ने अपनी शक्ति को संसार के सबसे शक्तिमान शासक के ऊपर साबित किया I इस्राएल के लोग संसार में प्रभुता करने के लिए, परमेश्वर के चुने हुए लोग थे, और दानिय्येल, बंधन में होकर भी, परमेश्वर की सेवा करने में एक बहुत अच्छा कार्य कर रहा था I

परमेश्वर सभी राष्ट्रों की चिंता करता है और उनके ऊपर प्रभुता करता है I वह देखता है कि यदि उनके शासक पीड़ित और निर्बल की चिंता कर रहे हैं या नहीं, और वह उनका न्याय करता है जो सिद्धता के साथ शासन नहीं करते हैं I यह कितनी सांत्वना की बात है यह जानकर कि चाहे शासन करने वाले लोग ग़लत कर रहे हों, परमेश्वर सब कुछ देकता है और न्याय करेगा I हम चाहे ना देख पायें कि कैसे होगा, परन्तु हम अपने दिलों में यह जान सकते हैं की वह करता है I  

परमेश्वर कितना दयालु है I जो वह चाहता है वह कितना साधारण है I नबूकदनेस्सर को केवल नम्र होने की आवश्यकता थी और उस परमेश्वर के प्रति आभार के साथ जिसने उसे सब कुछ दिया था मानना चाहिय था I परमेश्वर प्रत्येक चीज़ के ऊपर प्रभुता करता है, यहाँ तक कि प्रत्येक मनुष्य को सही सोचने की और ऐसा करते रहने की क्षमता भी देता है ! स्वर्ग में या पृथ्वी पर कोई भी जीवित परमेश्वर की महानता और शक्ति को चुनौती नहीं दे सकता, एक महान राजा भी नहीं I

पागलपन के सात वर्ष के बाद, नबूकदनेस्सर के रईसों और सलाहकारों ने उसे वापस सिंहासन पर बैठा दिया I नबूकदनेस्सर ने यह नहीं सोचा कि केवल हृदय में ही शान्ति के साथ परमेश्वर की महिमा करना पर्याप्त है I उसने इस पूरी कहानी को लिखवाया, यहाँ तक की अपने पागलपन के अपमानजनक हिस्सों को भी I पत्र को पूरे साम्रज्य में भिजवाया गया I सभी राजा के उस सन्देश को सुनेंगे जो इस्राएल के सर्शक्तिमान परमेश्वर, यहोवा को महिमा दे रहा है I बाबेल के साम्राज्य के सभी लोगों को परमेश्वर की भलाइयों के विषय में जानने का, और उसमें उद्धार पाने का अवसर मिला (मोरिस, 145)I उसने उस पत्र को इस प्रकार समाप्त किया;

“और देखो अब मैं, नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा की स्तुति करता हूँ तथा उसे आदर और महिमा देता हूँ। वह जो कुछ करता है, ठीक करता है। वह सदा न्यायपूर्ण है। उसमें अहंकारी लोगों को विनम्र बना देने की क्षमता है I”