पाठ 7: आहाज का निर्णय

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राजा आहाज एक भयानक राजा था । उसके पाप और मूर्तियों की पूजा के कारण उसके राज्य पर भयानक न्याय आया । उसके शासन के अधीन लोग बहुत दुख उठाते थे क्योंकि उसने इब्राहीम, इसहाक और याकूब के परमेश्वर पर भरोसा नहीं रखा था । उसने मूसा के नियमों का पालन नहीं किया I उसने ऐसा कोई काम नहीं किया जो परमेश्वर की दृष्टि में सही हो, जैसा दाऊद राजा जो उसके महान पूर्वज ने किया था । उसने उन वाचाओं को तोड़ दिया जिन्हें परमेश्वर ने इस्राएल के साथ बनाए थे, और अपने लोगों से पाप करवाया । आक्रमण और युद्ध का खतरा बहुत ही वास्तविक था । उत्तरी साम्राज्य और सीरिया यहूदा में आकर हमला करने की योजना बना रहे थे । राजा आहाज डरता था । ये दोनों जातियों ने पहले यरूशलेम पर हमला किया था, और यह एक भयानक समय था I आहास अश्शूर देश के साथ एक और गठबंधन बनाना चाहता था I राजा तिग्लैथ-पिलेसेर III ने उसकी पहले मदद की थी I उसने दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया था, जो आहाज के लिए सीरिया की राजधानी थी । शायद वह अब यहूदा के राज्य की मदद करेगा!

आहाज के मन में ये बातें उस समय आयीं जब वह यरूशलेम के चारों ओर घूम कर उस हमले की तय्यारी कर रहा था जो शहर पर हो सकता था I एक दिन, वह अपने अधिकारियों के साथ शहर में पानी की आपूर्ति की जांच करने निकला । यरूशलेम की दीवारें ऊँचीं थीं और वह एक पहाड़ी पर बनाया गया था । सेना को जीतने के लिए यह बहुत कठिन था I सीरिया और उत्तरी राज्य ने केवल कुछ साल पहले ही कोशिश की थी और ऐसा करने में वे सक्षम नहीं रहे । यहां तक कि अतीत में शत्रुओं ने यहूदा पर विजय प्राप्त की थी, तब भी यरूशलेम शहर सुरक्षित था । राजा आहाज यह सुनिश्चित करना चाहता था कि यदि यरूशलेम सेनाओं से घिरा हुआ था, तो वहां पानी और भोजन पर्याप्त हो । यरूशलेम के लोग जब तक चाहें सुरक्षात्मक दीवारों के पीछे रह सकते थे और सेना के वहां से चले जाने तक रुक सकते थे । यह एक बढ़िया योजना लगती है, है ना ?

 

केवल ऐसा था नहीं । यह एक ऐसे राजा की योजना थी जो परमेश्वर की सामर्थ पर विश्वास नहीं करता था । राजा आहाज, महान, उच्च राजा दाऊद का वंशज था I परमेश्वर ने दाऊद राजा को सिंहासन पर बैठाया था और, उसके साथ और उसके सभी वंशज के साथ एक अनन्त वाचा बांधी । दाऊद राजा के वंश में आने वाले सभी राजा परमेश्वर की विशेष सुरक्षा और प्रावधान के तहत थे ।

 

इस्राएल के राजाओं को अपने लोगों को परमेश्वर पर भरोसा करना और आशा रखना सिखाना था I उस संरक्षण का एक हिस्सा जो परमेश्वर ने उन लोगों के लिए वादा किया था जिन्होंने उसे पुकारा था, वह विदेशी आक्रमणकारियों की ओर से था । परमेश्वर के लोगों के साथ और उनकी देश के साथ जो कुछ होता था, परमेश्वर उसकी चिंता करता था I यरूशलेम शहर के साथ जो हुआ उसकी वह चिंता करता था I यह दाऊद का शहर था । यहोवा का मंदिर वहां था । अति पवित्र स्थान, पृथ्वी पर परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति का स्थान, मंदिर में था । यह वह जगह थी जहां परमेश्वर ने अपना राष्ट्र और दुनिया के लोगों को उसकी भक्ति करने के लिए बुलाया था । यह सब राजा आहाज को सौंपा गया था, और अब यह खतरे में था । राजा को लोगों पर शासन परमेश्वर की सामर्थ के द्वारा करना था । यह वह शक्ति थी जिसे परमेश्वर ने वादा किया था और उसे स्वतंत्र रूप से दिया था !

 

राजा आहाज परमेश्वर की ओर प्रावधान करने के लिए उसी प्रकार मुड़ सकता था और उस पर भरोसा कर सकता जिस प्रकार उसके परिवार के महान राजाओं ने सैकड़ों वर्षों पहले किया था । लेकिन आहाज अपने राज्य की रक्षा के लिए पानी की आपूर्ति और मजबूत दीवारों और विदेशी सेनाओं पर भरोसा कर रहा था । फिर भी परमेश्वर एक बहुत दयावान परमेश्वर है, दया से भरा हुआ है । वह राजा आहाज को एक और मौका देगा कि वह परमेश्वर से सहायता मांगे I अत: यहोवा ने अपने दास भविष्यवक्ता यशायाह से बात की । उसने यशायाह से राजा आहाज को एक संदेश देने के लिए कहा । यहोवा ने यशायाह से कहा;

 

 “तुझे.....आहाज के पास जाकर बात करनी चाहिये। तू उस स्थान पर आ, जहाँ ऊपर के तालाब में पानी गिरा करता है। आहाज से जाकर कहना, ‘सावधान रह किन्तु साथ ही शांत भी रह। डर मत। उन दोनों व्यक्तियों रसीन और रमल्याह के पुत्रों से मत डर। उन्होंने कहा, “हमें यहूदा पर चढ़ाई करनी चाहिये। हम अपने लिये उसे बाँट लेंगे।“

आपको समझ में आया ? इसे फिर से पढ़ें ! क्या आपको पता है कि लकड़ी के सुगंधित ठूंठ क्या हैं ? वे उत्तरी साम्राज्य और सीरिया की छवियां हैं ! परमेश्वर  की आंखों में, वे लकड़ी के धुएँ वाले टुकड़े थे ! परमेश्वर ने यशायाह से कहा था कि वह आहाज को बताये कि उसे यहूदा पर हमला करने की उनकी योजनाओं से डरने की ज़रूरत नहीं है । इसके बजाय, राजा आहाज को प्रभु का आदर और उस पर भरोसा करना चाहिए था ।

 

तब यहोवा ने आहाज और उसके लोगों को नाश करने के लिए यहूदा के शत्रुओं की योजना के बारे में एक संदेश दिया;

"यह नहीं होगा, ऐसा नहीं होगा" उसने कहा ।

परमेश्वर ने यशायाह के माध्यम से समझाया कि उत्तरी राज्य, जो इतना शक्तिशाली और डरावना लग रहा था, नष्ट किया जाएगा I सीरिया भी लंबे समय तक नहीं रह पाएगा I परमेश्वर आहाज को बता रहा था कि वह ना तो घबराये और ना ही आक्रमण की अफवाहों के बारे में कुछ करने की कोशिश करे I परमेश्वर ऐसा होने नहीं देगा I राजा आहास को मदद के लिए अश्शूर की ओर मुड़ने की आवश्यकता नहीं थी I उसे परमेश्वर पर भरोसा करना होगा I

 

तब परमेश्वर ने एक चेतावनी दी "यदि इस सन्देश पर तू विश्वास नहीं करेगा तो लोग तुझ पर विश्वास नहीं करेंगे।” यहूदा की रक्षा करने का परमेश्वर का वचन बिल्कुल विश्वसनीय था । इसका भरोसा किया जा सकता है I उन पर आक्रमण नहीं किया जाएगा । लेकिन राजा आहाज को इस वादे का हिस्सा होने के लिए, उसे प्रभु पर विश्वास के साथ प्रतीक्षा करनी होगी । अगर परमेश्वर पर भरोसा करने से उसे साहस और आश्वासन नहीं मिलता है, परन्तु अन्य राजाओं पर भरोसा करने से, तो वह खड़ा नहीं हो पाएगा I राजा आहाज को एक निर्णय लेना होगा ।