पाठ 5 : साम्राज्यों के ऊपर परमेश्वर की रक्षा

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अपने मित्रों के साथ प्रार्थना करने के बाद, परमेश्वर ने दानिय्येल को नबूकदनेस्सर के स्वप्न का रहस्य बताया । दानिय्येल अर्योक के पास गया और उससे कहा, “’बाबुल के बुद्धिमान पुरूषों की हत्या मत करो। मुझे राजा के पास ले चलो, मैं उसे उसका स्वप्न और उस स्वप्न का फल बता दूँगा।‘” (एनआईवी) । तुरंत, अर्योक दानिय्येल को शीघ्र ही राजा के पास ले गया। अर्योक ने राजा से कहा, “यहूदा के बन्दियों में मैंने एक ऐसा पुरूष ढूँढ लिया है जो राजा को उसके सपने का मतलब बता सकता है।”

दानिय्येल ने उत्तर दिया, “’न तो कोई पण्डित, न कोई तान्त्रिक और न कोई कसदी बता सका है।  किन्तु स्वर्ग में एक परमेश्वर ऐसा है जो भेद भरी बातों का रहस्य बताता है।‘” दानिय्येल यह निश्चित करना चाहता था कि सब यह समझें कि अनुवाद करने की महिमा केवल परमेश्वर को मिले । दानिय्येल के पास ऐसा करने की सामर्थ स्वर्ग के परमेश्वर के बगैर नहीं थी, और कोई मूर्ति या दुष्ट देवता नहीं कर सकता था (मिलर, दानिय्येल, 89)। दानिय्येल की वफ़ादारी के कारण, परमेश्वर की सामर्थ दुनिया का सबसे सामर्थी देश के हृदय में घोषित हुई थी । यहोवा ने इस्राएल को संसार के याजक होने के लिए चुना, और कई मायनों में, वे पूरी तरह असफ़ल हुए । परन्तु इस्राएल की महान तबाही में, बहुत ही थोड़े वफादारों को, सामर्थी, जीवंत तरीके से सर्श्रेष्ठ परमेश्वर की बुद्धि और प्रतिभा को घोषित करना था ! इस्राएल के पाप परमेश्वर को उसकी अच्छी और सिद्ध इच्छा को पूरा करने से नहीं रोक पाया !

दानिय्येल ने आगे कहा, “’परमेश्वर ने राजा नबूकदनेस्सर को आगे क्या होने वाला है, यह दर्शाने के लिये सपना दिया है। अपने बिस्तर में सोते हुए तुमने सपने में जो बातें देखी थीं, वे ये हैं:’”

दानिय्येल ने समझाया कि किस प्रकार नबूकदनेस्सर अपने बिस्तर में लेता हुआ था, और सोच रहा था कि भविष्य में क्या होगा । तब परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को एक भव्य और भयानक दर्शन दिया जो संसार के महान देशों के भविष्य में घटने वाली घटनाओं के विषय में था । उनमे से कुछ घटनाएँ घटने वाली थीं, और दूसरी संसार के अंत में घटेंगी, परन्तु वे सब मानवजाति के लिए परमेश्वर के महान उद्देश्य का हिस्सा थे ।

दानिय्येल ने स्वपन के विषय में कहा;

“’सपने में आपने, हे राजा, अपने सामने खड़ी एक विशाल मूर्ति देखी है, वह मूर्ति बहुत बड़ी थी, वह चमकदार थी और बहुत अधिक प्रभावपूर्ण थी। वह ऐसी थी जिसे देखकर देखने वाले की आँखें फटी की फटी रह जायें।  उस मूर्ति का सिर शुद्ध सोने का बना था। उसकी छाती और भुजाएँ चाँदी की बनी थीं । उसका पेट और जाँघें काँसे की बनी थीं।  उस मूर्ति की पिण्डलियाँ लोहे की बनी थीं। उस मूर्ति के पैर लोहे और मिट्टी के बने थे। 34 जब तुम उस मूर्ति की ओर देख रहे थे, तुमने एक चट्टान देखी। देखते—देखते, वह चट्टान उखड़ कर गिर पड़ी किन्तु उस चट्टान को किसी व्यक्ति ने काट कर नहीं गिराया था। फिर हवा में लुढ़कती वह चट्टान मूर्ति के लोहे और मिट्टी के बने पैरों से जा टकराई। उस चट्टान से मूर्ति के पैर चकनाचूर हो गये। फिर तत्काल ही लोहा, मिट्टी,काँसा, चाँदी और सोना सब चूर—चूर हो गया और वह चूरा गर्मियों के दिनों में खलिहान के भूसे जैसा हो गया। उन टुकड़ों को हवा उड़ा ले गयी। वहाँ कुछ भी तो नही बचा। कोई यह कह ही नहीं सकता था कि वहाँ कभी कोई मूर्ति थी भी। फिर वह चट्टान जो उस मूर्ति से टकराई थी, एक विशाल पर्वत के रूप में बदल गयी और सारी धरती पर छा गयी।‘”

                                              दानिय्येल 2:31-35

जब आप मूर्ति के विषय में पढ़ते हैं कि वह किसकी बनी थी, क्या अपने ध्यान दिया कि क्या होता है जब वह सर से पैर की ओर बढ़ती है ? वह शुद्ध सोने से शुरू होता है, फिर चांदी, जो सोने से कहीं अधिक कम मूल्य का है I कांस चांदी से कम मूल्य का है, और लोहा कांस जितना बहुमूल्य नहीं है । जब तक हम पैर तक पहुँचते हैं, वह मिट्टी और लोहे का मिश्रण है । आपको क्या लगता है इसका अर्थ क्या होगा ? इसका क्या अर्थ है कि एक ऐसा पत्थर काटा गया जो मनुष्य के हाथों से नहीं बनाया गया था ? यदि वह मनुष्य के हाथों से नहीं काटा गया, तो किसने उसे काटा ? और जिस पत्थर और पहाड़ से दुनिया भर गयी थी उसका क्या अर्थ है ? आप देख सकते हैं कि नबूकदनेस्सर स्वप्न को लेकर कितना परेशां था । आगे हम पढेंगे और देखेंगे की परमेश्वर ने दानिय्येल को इन सब के अर्थ में क्या बताया ।

“’ हे राजा, आप अत्यंत महत्वपूर्ण राजा हैं। स्वर्ग के परमेश्वर ने तुम्हें राज्य दिया है। शक्ति दी है। सामर्थ्य और महिमा दी हैं। 38 आपको परमेश्वर ने नियन्त्रण की शक्ति दी हैं और आप, लोगों पर, वन के पशुओं पर और पक्षियों पर शासन करते हो। वे चाहे कहीं भी रहते हों, उन सब पर परमेश्वर ने तुम्हें शासक ठहराया है। हे राजा नबूकदनेस्सर, उस मूर्ति के ऊपर जो सोने का सिर था, वह आप ही हैं।‘” 

                                दानिय्येल 2:37-38

आहI यह बहुत दिलचस्प है । स्वप्न उस मूर्ति के विषय में नहीं है हो वास्तव में है । मूर्ति का सोने का सर उस राज और शक्ति का चिन्ह है जिसे परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को दिया था! आइये आगे पढ़ते हैं;

“आप के बाद जो दूसरा राजा आयेगा, किन्तु वह राज्य तुम्हारे राज्य के समान विशाल नहीं होगा!” वही वह चाँदी का हिस्सा है! दानिय्येल आगे बोलता है;

“इसके बाद धरती पर एक तीसरे राज्य का शासन होगा। वही वह काँसे वाला भाग है। 40 इसके बाद फिर एक चौथा राज्य आयेगा, वह राज्य लोहे के समान मज़बूत होगा। जैसे लोहे से वस्तुएँ टूटकर चकनाचूर हो जाती हैं, वैसे ही वह चौथा राज्य दूसरे राज्यों को भंग करके चकनाचूर करेगा। आपने जो यह देखा था कि उस मूर्ति के पैर और पंजे थोड़े मिट्टी के और थोड़े लोहे के बने हैं, उसका मतलब यह है कि वह चौथा राज्य एक बटा हुआ राज्य होगा। इसमें कुछ तो लोहे की शक्ति होगी क्योंकि आपने मिट्टी मिला लोहा देखा है। उस मूर्ति के पैर के पंजों के अगले भाग जो थोड़े लोहे और थोड़े मिट्टी के बने थे, इसका अर्थ यह है कि वह चौथा राज्य थोड़ा तो लोहे के समान शक्तिशाली होगा और थोड़ा मिट्टी के समान दुर्बल। आपने लोहे को मिट्टी से मिला हुआ देखा था किन्तु जैसे लोहा और मिट्टी पूरी तरह कभी आपस में नहीं मिलते, उस चौथे राज्य के लोग वैसे ही मिले जुले होंगे। किन्तु एक जाति के रूप में वे लोग आपस में एक जुट नहीं होंगे।“

                                              दानिय्येल 2:39-43

बहुत दिल्चास्प है ! परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को अगले उन चार महान राज्यों के विषय में पूर्वावलोकन दिखा दिया था जो पूरी दुनिया में राज करेंगे ! अब जब हम इतिहास में पलट कर देख सकते हैं, हम सोचते हैं हम जानते हैं कि वे कौन से राज्य थे । चांदी शायद मादी फारसी साम्राज्य था जिसने बाबेल को नबूकदनेस्सर के मरने के बाद जीत लिया था । मूर्ति के दो चांदी हाथ शायद यह दिखाते हैं कि साम्राज्य दो भिन्न देशों का बना था, मादी और फारस । वे 208 वर्ष तक राज करेंगे, 539 से 331 ई.पू.(मिलर,93) तक । परन्तु मादी फारसी साम्राज्य चांदी का, और बाबेल सोने का क्यों था ? बहुत लोग यह सोचते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक नए साम्राज्य के साथ, दुनिया में पाप बद्तर से बद्तर होता जा रहा था, और इसलिए राष्ट्रों की गुणवत्ता कम होती जा रही थी । लोग जैसे जैसे परमेश्वर से दूर होते जाते हैं और अधिक से अधिक भ्रष्ट होते जाते हैं, पूरे समाज की योग्यता और मूल्य कम हो जाती है ।