Posts tagged torah
पाठ 120 : अपने लोगों के लिए यहोवा के सेवक द्वारा मध्यस्थता

यह विद्रोह अत्यधिक था। यह उनका परमेश्वर के प्रति कुल, पूर्ण अविश्वास था। मूसा जब पर्वत पर गया, वह हारून और बुज़ुर्गों को आदेश देकर गया कि वे लोगों की देखभाल करें। उन्हें परमेश्वर के नियमों का सम्मान करना था और लोगों के बीच शांति बनाए रखनी थी।

Read More
पाठ 121

परमेश्वर और मूसाजब पर्वत पर एक साथ थे, परमेश्वर ने मूसा को लोगों के भयानक विद्रोह के बारे में बताया था। मूसा ने दया के लिए परमेश्वर से बिनती की थी। तब मूसा पर्वत से नीचे गया और स्वयं उनके महान विद्रोह को देखा।

Read More
पाठ 122 : मूसा और उसका प्रभु

मूसा मिलाप वाले तम्बू को डेरे के बाहर लगाएगा। वह लोगों से कुछ दूर जाकर परमेश्वर से प्रार्थना करेगा और उसकी पवित्र इच्छा को जानेगा। जब भी लोग उसे जाते देखते, वे तम्बू के बाहर खड़े होकर उसे देखते थे।

Read More
पाठ 123 : सीनै में एलीमेलेक

शालोम! यह फिर से एलीमेलेक है। हमने कुछ समय से बात नहीं की है, और मेरे पास आपको बताने के लिए बहुत कुछ है। मैंने ज़रूर से आपको बताया होगा की किस प्रकार हमारे यहोवा ने मिस्र की ग़ुलामी से अपने लोगों को बचाया था।

Read More
पाठ 124 : एलीमेलेक और ग़ुलाम रूबेन

परमेश्वर कि आज्ञाएँ कितनी स्पष्ट और सिद्ध थीं। जब हम एक परिवार और एक राष्ट्र के रूप में उन पर चलते थे, ऐसा लगता था मानो हमारे दिल और दिमाग इस पथ पर निरंतर चलने के लिए बनाये गए हैं। यह परमेश्वर के लिए पथ घर था। यह पथ सभी नष्ट करने वाली चीज़ों से दूर था।

Read More
पाठ 125 : वापस योजना की ओर

अपने लोगों के साथ परमेश्वर कि वाचा एक बड़े संकट से गुज़रा। पूरे ब्रह्मांड का गौरवशाली सृष्टिकर्ता मूसा से भेंट करने के लिए पर्वत पर उतर आया। इस बीच, उसके लोगों ने सोने से जानवरों की मूर्तियां बना कर उनकी पूजा अनैतिकता में की।

Read More