पाठ 16: हिजकिय्याह की बीमारी

15.jpg

सन्हेरीब और अश्शूर की सेना के साथ हिजकिय्याह के बड़े टकराव से कुछ साल पहले, हिजकिय्याह के साथ ऐसा कुछ हुआ जिसने उसे परमेश्वर पर भरोसा करना सिखाया । हिजकिय्याह को बहुत गंभीर बीमारी हो गयी I वह इतना बीमार हुआ कि वह मरने को था । यह एक बड़ी त्रासदी थी I वह अभी भी एक युवा राजा था और यहूदा के लोगों को उनके प्रभु परमेश्वर को आदर देने के लिए प्रेरित कर रहा था । फिर भी अब वह बिस्तर में था, और शासन करने के लिए कमजोर और असमर्थ था ।

 

यशायाह, महान नबी, ने परमेश्वर के वचन को यहूदा के चार राजाओं को सुनाया था । वह हिजकिय्याह के पास एक और सन्देश लेकर आया I वह विनाशकारी समाचार के साथ आया I यशायाह ने भयानक दुःख महसूस किया होगा जब वह संदेश को लाया था । परमेश्वर ने कहा कि हिजकिय्याह मरने वाला था I

 

हिजकिय्याह यह सुनकर बहुत परेशान हुआ । वह मरना नहीं चाहता था ! वह अपने बिस्तर में दूसरी ओर पलट गया और अपना मुँह दीवार की ओर कर लिया । उसने अपने परमेश्वर से कहा, “यहोवा याद रख कि मैंने पूरे हृदय के साथ सच्चाई से तेरी सेवा की है। मैंने वह किया है जिसे तूने अच्छा बतया है।” तब हिजकिय्याह दुखी होकर फूट फूट कर रो पड़ा ।

                            

यशायाह राजा के बीमार कमरे से चला गया । ऐसा भयानक समाचार देने के बाद वह बहुत दुखी हुआ होगा । फिर भी जब वह आंगन से बाहर जा रहा था, उसने यहोवा को फिर से सुना । “’लौटो और मेरे लोगों के अगुवा हिजकिय्याह से कहो, ‘यहोवा तुम्हारे पूर्वज दाऊद का परमेश्वर यह कहता है: मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली है और मैंने तुम्हारे आँसू देखे हैं। इसलिये मैं तुम्हें स्वस्थ करूँगा। तीसरे दिन तुम यहोवा के मन्दिर में जाओगे  और मैं तुम्हारे जीवन के पन्द्रह वर्ष बढ़ा दूँगा। मैं अश्शूर के सम्राट की शक्ति से तुम्हें और इस नगर को बचाऊँगा। मैं इस नगर की रक्षा करूँगा। मैं अपने लिये औरअपने सेवक दाऊद को जो वचन दिया था, उसके लिये यह करूँगा।’”

 

हिजकिय्याह ने यशायाह से पूछा, "“इसका संकेत क्या होगा कि यहोवा मुझे स्वस्थ करेगा और मैं यहोवा के मन्दिर में तीसरे दिन जाऊँगा”  यशायाह ने कहा, “तुम क्या चाहते हो क्या छाया दस पैड़ी आगे जाये या दस पैड़ी पीछे जाये ?’”

उस कमरे में जहां हिजकिय्याह बीमार पड़ा था, वहां एक सीढ़ी थी I सूरज की रोशनी सीढ़ी पर पड़ रही थी, एक लंबी छाया पड़ रही थी I अगर छाया आगे बढ़ती है तो ऐसा होगा मानो दिन में सूरज अचानक कई घंटे आगे निकल गया है । यदि छाया पीछे हो जाती है, तो ऐसा होगा मानो सूर्य कई घंटों वापस चला गया है । दोनों में से एक अद्भुत चमत्कार होगा I लेकिन अगर यह पीछे की तरफ गया, तो इसका मतलब था कि परमेश्वर ने प्रकाश के सामान्य तरीके को उलट दिया है I हिजकिय्याह ने सोचा कि सूर्य के प्रकाश को पीछे करना एक बड़ा चमत्कार था, इसलिए उसने यशायाह को छाया के पीछे हटने के लिए कहा ।

यशायाह ने सर्वोच्च परमेश्वर से प्रार्थना की और यहोवा ने अपने नबी को उत्तर दिया । अब, परमेश्वर ने पहले ही कहा था कि वह हिजकिय्याह को चंगा करने जा रहा है I एक बार परमेश्वर ने चंगाई देने का यह वादा दे दिया तो उसे अब बदला नहीं जा सकता था I ब्रह्मांड में कुछ भी इसे बदल नहीं सकता था I लेकिन परमेश्वर दयालु और करुणामय है । वह जानता है कि मानुषों को वादे के विशेष चिन्ह मिलना उनके लिए तसल्ली की बात होती है I छाया नीचे चले जाने के बाद दस पैड़ियाँ वापस चली गई I हिजकिय्याह के पास प्रमाण था कि परमेश्वर वास्तव में उसकी प्रार्थना का उत्तर देगा । वह एक बहुत ही त्वरित उपचार प्राप्त करेगा, और उसे पन्द्रह वर्ष का जीवन और दिया जाएगा I

हिजकिय्याह के बेहतर होने के बाद, उसने धन्यवाद करने के लिए परमेश्वर की स्तुति करने के लिए धन्यवाद का एक खूबसूरत गीत लिखा । यहां उसके गीत का हिस्सा है;


“मैंने अपने मन में कहा कि मैं तब तक जीऊँगा जब तक बूढ़ा होऊँगा।
    किन्तु मेरा काल आ गया था कि मैं मृत्यु के द्वार से गुजरुँ।
अब मैं अपना समय यहीं पर बिताऊँगा।
 इसलिए मैंने कहा, “मैं यहोवा याह को फिर कभी जीवितों की धरती पर नहीं देखूँगा। धरती पर जीते हुए लोगों को मैं नहीं देखूँगा।  अब मेरा वैसा ही अन्त हो गया है जैसे करघे से कपड़ा लपेट कर काट लिया जाता है।
क्षणभर में तूने मुझ को इस अंत तक पहुँचा दिया!
 मैं भोर तक अपने को शान्त करता रहा।
    वह सिंह की नाई मेरी हड्डियों को तोड़ता है।
एक ही दिन में तू मेरा अन्त कर डालता है!
मैं कबूतर सा रोता रहा। मैं एक पक्षी जैसा रोता रहा।
    मेरी आँखें थक गयी तो भी मैं लगातर आकाश की तरफ निहारता रहा।
मेरे स्वामी, मैं विपत्ति में हूँ मुझको उबारने का वचन दे।”
 मैं और क्या कह सकता हूँ मेरे स्वामी ने मुझ को बताया है जो कुछ भी घटेगा, और मेरा स्वामी ही उस घटना को घटित करेगा।
मैंने इन विपत्तियों को अपनी आत्मा में झेला है इसलिए मैं जीवन भर विनम्र रहूँगा।
 हे मेरे स्वामी, इस कष्ट के समय का उपयोग फिर से मेरी चेतना को सशक्त बनाने में कर। मेरे मन को सशक्त और स्वस्थ होने में मेरी सहायता कर! मुझको सहारा दे कि मैं अच्छा हो जाऊँ! मेरी सहायता कर कि मैं फिर से जी उठूँ!
 देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है।
    तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया।
तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
 तेरी स्तुति मरे व्यक्ति नहीं गाते!
    मृत्यु के देश में पड़े लोग तेरे यशगीत नहीं गाते।
वे मरे हुए व्यक्ति जो कब्र में समायें हैं, सहायता पाने को तुझ पर भरोसा नहीं रखते। वे लोग जो जीवित हैं जेसा आज मैं हूँ तेरा यश गाते हैं।
    एक पिता को अपनी सन्तानों को बताना चाहिए कि तुझ पर भरोसा किया जा सकता है।
“यहोवा ने मुझ को बचाया है सो हम अपने जीवन भर यहोवा के मन्दिर में गीत गायेंगे और बाजे बजायेंगे।”

 

जब हम बाइबिल में पढ़ते हैं कि हिजकिय्याह ने किस प्रकार अपने दिल के गहरे विचारों के बारे में प्रार्थना की थी, तो हम सीखते हैं कि किस प्रकार के विचारों और व्यवहारों से परमेश्वर प्रसन्न होता है I हिजकिय्याह ने खुलेआम लम्बी आयु के लिए प्रार्थना की, लेकिन चाहे कुछ भी हो उसने परमेश्वर की इच्छा को सम्मानपूर्वक मान लिया था । वह आशीष को चाहता था, अपने पुत्रों को परमेश्वर के प्रेम के बारे में पढ़ाने और कई वर्षों से परमेश्वर की स्तुति करने के लिए प्रत्याशित था । और यहोवा ने उसके रोने को सुना और राजा को चंगा किया ।