पाठ 20 : गढ़ के किनारे का दृश्य

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जिस स्वप्न के विषय में हमने अभी पढ़ा वह राजा बेलशस्सर के बाबेल पर शासन काल के पहले वर्ष के विषय में था । अब हम दानिय्येल के दूसरे स्वप्न के विषय में पढेंगे । यह उसने बेलशस्सर के राजा होने के तीसरे वर्ष में देखा था । इस समय तक, दानिय्येल सत्तर वर्ष का हो गया था (मिलर, दानिय्येल, 220)। दानिय्येल हमें अपने स्वप्न के विषय में उसी प्रकार से बताएगा जिस प्रकार उसने पहले स्वप्न के विषय में बताया था । पहले वह वो बताएगा जो उसने देखा है । फिर वह उस दुभाषिया के विषय में बताएगा जो उसे उसका अर्थ बताएगा । इससे हमें बहुत सहायता मिलेगी क्योंकि यह स्वप्न भी जानवरों और प्रतिमाओं से भरा हुआ है जिनके विषय में हम अपने आप से अनुवाद नहीं कर पाएँगे ।  

अपने स्वप्न में, दानिय्येल अपने आप को शूशन नामक गढ़ में पाता है । पानी की एक बड़ी नहर जो गढ़ के किनारे बह रही थी, और दानिय्येल ने स्वप्न में अपने आप को पानी के किनारे खड़े देखा । दानिय्येल के सामने एक मेढ़ा था । उसके दो सींग थे, परन्तु दानिय्येल ने कुछ बहुत दिलचस्प होते देखा । उनमें से एक सींग औरों से छोटा होने लगा, परन्तु वह बढ़कर सबसे बड़ा सींग बन गया । क्या आपको याद है कि किस प्रकार पिछले स्वप्न में पशु राज्यों के वास्तव में प्रतीक थे ? यद्यपि, यही दोबारा से हो रहा है । यह मेढ़ा वही राज्य है जिस प्रकार भालू था । वह मादो-फारस साम्राज्य था । महान फारस राजाओं में से एक राजा सोने के मेढ़े का सर लेकर सेना के आगे चलेगा जिस समय वे चढ़ाई करेंगे (मिलर, दानिय्येल, 222)। इस स्वप्न में, यह मेढ़ा शक्तिशाली और बलवान था । वह अपने सींग से उत्तर और पश्चिम और दक्षिण की ओर आक्रमण करता गया, और उसके सामने कोई भी अन्य पशु टिक नहीं सका । वे अन्य पशु कौन थे? वे अन्य राज्य थे । मेढ़ा सब कुछ तीन दिशाओं में ले जाकर हासिल कर रहा था! ऐसा ही इतिहास में भी हुआ था । मादी-फारस राज्य ने उन दिशा के देशों पर जीत हासिल कर ली थी, पश्चिम में बाबेल को, दक्षिण में मिस्र को, और उत्तर में सीरिया को । यह मेढ़ा, जो मादी-फारस साम्राज्य था, दुनिया का ऐसा बड़ा साम्राज्य बना जिसे दुनिया ने उस समय के इतिहास में कभी नहीं देखा था ।

मेढ़ा के साथ अब जो होता है वह बहुत दिलचस्प है । दानिय्येल ऐसा लिखता है, “मैं उस मेढ़े के बारे में सोचने लगा। मैं अभी सोच ही रहा था कि पश्चिम की ओर से मैंने एक बकरे को आते देखा। यह बकरा सारी धरती पर दौड़ गया। किन्तु उस बकरे के पैर धरती से छुए तक नहीं। इस बकरे के एक लम्बा सींग था। जो साफ—साफ दिख रहा था, वह सींग बकरे की होनो आँखों के बीचों—बीच था। फिर वह बकरा दो सींग वाले मेढ़े के पास आया। यह वही मेढ़ा था जिसे मैंने ऊलै नदी के किनारे खड़ा देखा था।) वह बकर ा क्रोध से भरा हुआ था। सो वह मेढ़े की तरफ लपका।  बकरे को उस मेढ़े की तरफ भागते हुए मैंने देखा। वह बकरा गुस्से में आग बबूला हो रहा था। सो उसने मढ़े के दोनों सींग तोड़ डाले। मेढ़ा बकरे को रोक नही पाया। बकरे ने मेढ़े को धरती पर पछाड़ दिया और फिर उस बकरे ने उस मेढ़े को पैरों तले कुचल दिया।वहाँ उस मेढ़े को बकरे से बचाने वाला कोई नहीं था। सो वह बकरा शक्तिशाली बन बैठा। किन्तु जब वह शक्तिशाली बना, उसका बड़ा सींग टूट गया और फिर उस बड़े सींग की जगह चार सींग और निकल आये। वे चारों सींग आसानी से दिखाई पड़ते थे। वे चार सीग अलग—अलग चारों दिशाओं की ओर मुड़े हुए थे।“

वाह! अब, दानिय्येल का यह तीसरा स्वप्न था जिसके विषय में हमने पढ़ा था । आपने इसके विषय में बहुत सीखा है कि यह किस प्रकार काम करता है । क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि बकरा क्या था? इस बकरे ने मेढ़े की सींग को नाश किया था । यदि वह मेढ़ा जिसके दो सींग हैं मादी-फारस साम्राज्य है, तो वह बकरा जिसकी आँखों के बीच एक सींग है क्या हो सकता है? वह एक और राज्य है !