पाठ 2: यरूशलेम का पतन

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605 ईसा पूर्व में बेबीलोन की महान सेना इस्राएल की भूमि में घुस आई I उसने मिस्र देश, सीरिया और फारस पर, एक व्यापक युद्ध द्वारा विजय प्राप्त की I फिर नबूकदनेस्सर, जो बाबेल का राजा था, ने यरूशलेम पर घेराबंदी की I और शहर को पराजित किया I उसकी बड़ी सेना ने शहर पनाह को घेर लिया और तब तक रुके रहे जब तक यहूदी डर से कांपते रहे I लोग निर्बल होने लगे I बहुत से भूख के कारण मरने लगे I

अंत में, नबूकदनेस्सर राजा ने अपनी अंतिम हमले से पूरे शहर को लूट लिया I वह कैदियों को लेकर उन्हें उन देशों में भेजने लगा जिन्हें उसने जीता था I उन लोगों पर नियंत्रण रखना आसान है जो अकेले और डरे होते हैं I उसने लोगों को निर्वासन में भेज कर देश को खाली कर दिया I इस्राएल की रॉयल्टी को बाबेल में भेज दिया I उसने सुलैमान द्वारा बनाय मंदिर को नष्ट किया और शहर की दीवार को तोड़ गिराया I यह सब वैसा ही हुआ जैसा मूसा ने बताया था कि होगा I वह वैसा ही हुआ जैसा यशायाह और यर्मियाह नबियों ने बताया था कि होगा I परमेश्वर समय, देशों और सभी लोगों पर राज करता है I परमेश्वर इतिहास पर राज करता है I उसके चुने हुए सेवकों ने पूरी वफ़ादारी के साथ उसके वचन को सुनाया था I

यहूदा का राजा, यहोयाकीम, बाबेल ले जाया गया I और चार जवान भी जिनके नाम थे, दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह I वे शायद लग-भग चौदह या पंद्रह वर्ष के थे, और शायद हिजकिय्याह के वंशज थे I बाबेल के राजा ने विजय प्राप्त देशों से लाये गए रॉयल्टी को अपने दरबार में सेवा कराकर अपने लिए महान आदर को प्राप्त किया I

बाइबिल बताती है कि, दानिय्येल, हनन्याह, मिशाएल और अजर्याह, प्रत्येक अति रूपवान और शक्तिशाली जवान थे I कोई शारीरिक खामियां नहीं थीं, और उनके पास तेज़ दिमाग था I शायद इसलिए कि वे रॉयल्टी के रूप में बढ़े, वे एक शाही दरबार में सही रीती से गरिमा और सम्मान के साथ रहते थे I नबूकदनेस्सर राजा उन्हें बाबेल में ले आया, और तीन वर्ष तक उनका प्रशिक्षण दुनिया के सबसे उत्तम शिक्षकों द्वारा हुआ I इन जवानों को दुनिया की महान भाषाएँ और अपने समय का साहित्य सिखाया गया I

नबूकदनेस्सर राजा ने सभी महान देशों को जीत लिया था, और अब बाबेल दुनिया का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बन गया था I वह सबसे शक्तिशाली हो गया, और वह अपनी शक्ति दिखाना पसंद करता था I जब उसने यरूशलेम पर आक्रमण किया, उसने यहूदी ईश्वर के मंदिर को हासिल किया, यह दिखाने के लिए कि उसे उनके ईश्वर का कोई भय नहीं है Iउसने सबसे उत्तम और प्रतिभाशाली यहूदी जवानों को कब्ज़ा करा ताकि वह उन्हें बाबेल के जीवन के तौर तरीके के अनुसार बदल सके I वह इस्राएल के सबसे बहुमूल्य पुत्रों पर अपनी इच्छा को थोपेगा I दानिय्येल, मिशाएल और अजर्याह जैसे नौजवानों का परिवर्तन करना, एक और विजय होगी I युद्ध यरूशलेम में समाप्त नहीं हुआ I इन लड़कों को यह निर्णय लेना होगा कि, क्या उन्हें राक्षसी मूर्ति पूजा और उनके नए घरों के पापों के लिए समर्पित कर देना चाहिए, या फिर उन्हें अपने प्रभु के लिए कुछ करना चाहिए I

नबूकदनेस्सर के अधिकारीयों ने उनके नाम उन नामों से, जो इस्राएल के परमेश्वर के प्रति आदरणीय थे, बदलकर वो नाम दिए जो बाबेल के देवताओं के प्रति आदरणीय थे I यहूदी भाषा में, जो इस्राएल की भाषा है, दानिय्येल का अर्थ था “परमेश्वर मेरा न्यायी है I” उसे बदलकर बेलतशस्सर रखा गया, जो बाबेल के देवता बेल के साथ, सुरक्षा के लिए गुहार लगाता है I उसी प्रकार, हन्नायाह, या, “इस्राएल का परमेश्वर जो दयालु है” बदल कर शद्रक रखा गया, जिसका अर्थ है, ‘आकु का आदेश, चन्द्रमा का देवता I” इब्रानी भाषा में, मिशेल का अर्थ है, ‘वह जो इस्राएल का परमेश्वर है’ जिसे बदल कर मेशक रखा जिसका अर्थ है, “आकु, चंद्रमा देवता के समान कौन है?” अजर्याह, या इस्राएल के परमेश्वर ने सहायता की,” को बदल कर अबेदनगोरखा गया, या “बाबेल के देवता नेगो का सेवक I”

इन नौजवानों के पास बाबेल के इन नामों को लेने के अलावा और कोई अन्य विकल्प नहीं था I परन्तु आगे और भी ऐसे चुनाव थे जो वे ले सकते थे I क्या वे इस्राएल के परमेश्वर के साथ बनाई वाचा से हट सकते थे ? क्या वे परमेश्वर के नियमों का इंकार करते और बाबेल के तरीकों से चलते रहते? या फिर वे परमेश्वर के लिए दृढ़ रहकर उसका आदर करते? बाबेल के राजा ने सर्शक्तिमान परमेश्वर को चुनौती दी थी I उसने प्रभु के मंदिर को नष्ट किया था और उसके पवित्र शहर को तभा किया था I अब लड़ाई का मैदान इन नौजवानों के जीवन में होगाI