पाठ 14 : दानिय्येल शेरों की मांद में

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जब दानिय्येल ने हुक्मनामें के विषय में सुना, तो उसका व्यवहार बिल्कुल नहीं बदला I जैसे वह हमेशा करता था, वह प्रतिदिन तीन बार प्रार्थना करता था I उसने अपने घर की खिड़की को जो यरूशलेम की ओर खुलती थी, खोला और इस्राएल के परमेश्वर को धन्यवाद दिया और प्रार्थना की I

चाहे इसके द्वारा उसकी आज्ञा टूटी जिसे राजा दारा ने बनाया था,

और चाहे यह मृत्यु को लाता, दानिय्येल जानता था कि एक ऊँची आज्ञा है जिसे रखना महत्वपूर्ण था I वह परमेश्वर की आज्ञा को मानता रहेगा I अपने परमेश्वर के विरुद्ध जाकर दारा से प्रार्थना करने के बजाय, वह अपने परमेश्वर से मदद के लिए प्रार्थना करेगा!

दुष्ट अधिकारी ताक लगाये हुए थे कि कब वे दानिय्येल को प्रार्थना करते हुए पकड़ें I जैसे ही उन्होंने उसे देखा, वे राजा के पास तुरंत गए I उन्होंने उससे पूछा, “’हे राजा दारा, आपने एक नियम बनाया है। जिसके अनुसार अगले तीस दिनों तक यदि कोई व्यक्ति किसी देवता से अथवा तेरे अतिरिक्त किसी व्यक्ति से प्रार्थना करता है तो, राजन, उसे शेरों की माँद में फेंकवा दिया जायेगा। बताइये क्या आपने इस नियम पर हस्ताक्षर नहीं किये थे?’” कितने चापलूसी करने वाले वे लोग थे I

राजा ने उत्तर दिया, “हाँ, मैंने उस नियम पर हस्ताक्षर किये थे और मादियों और फारसियों के नियम अटल होते हैं। न तो वे बदले जा सकते हैं, और न ही मिटाये जा सकते हैं।”

तब अधिकारीयों ने राजा को दानिय्येल के विषय में बताया I उन्होंने कहा, “’दानिय्येल नाम का वह व्यक्ति आपकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा है। दानिय्येल यहूदा के बन्दियों में से एक हैं । जिस नियम पर आपने हस्ताक्षर किये हैं, दानिय्येल उस पर ध्यान नहीं दे रहा है। दानिय्येल अभी भी हर दिन तीन बार अपने परमेश्वर की प्रार्थना करता है।‘” राजा ने जब सुना तो बहुत दु:खी और व्याकुल हो उठा । राजा ने दानिय्येल को बचाने की ठान ली । दानिय्येल को बचाने का कोई उपाय सोचते सोचते उसे शाम हो गयी।

इसके बाद वे लोग झुण्ड बना कर राजा के पास पहुँचे। उन्होंने राजा से कहा, “हे राजा, मादियों और फ़ारसियों की व्यवस्था के अनुसार जिस नियम अथवा आदेश पर राजा हस्ताक्षर कर दे, वह न तो कभी बदला जा सकता है और न ही कभी मिटाया जा सकता है।‘”

सो राजा दारा को अपना आदेश दे देना पड़ा और वे लोग दानिय्येल को पकड़ लाये और उसे शेरों की मांद में फेंक दिया । राजा ने दानिय्येल से कहा, “मुझे आशा है कि तू जिस परमेश्वर की सदा उपासना करता है, वह तेरी रक्षा करेगा !’”

एक बड़ा सा पत्थर लाया गया और उसे शेरों की मांद के द्वार पर अड़ा दिया गया । फिर राजा ने अपनी अंगूठी ली और उस पत्थर पर अपनी मुहर लगा दी । साथ ही उसने अपने हाकिमों की अंगूठियों की मुहरें भी उस पत्थर पर लगा दीं । इसका यह अभिप्राय था कि कोई भी उस पत्थर को दानिय्येल के लिए हटा नहीं सकता था I इसके बाद राजा दारा अपने महल को वापस चला गया । उस रात उसने खाना नहीं खाया । वह दानिय्येल के लिए इतना चिंतित था कि वह नहीं चाहता था कि कोई उसके पास आये और उसका मन बहलाये । राजा चिंता के कारण सारी रात सो नहीं पाया ।

अगली सुबह जैसे ही सूरज का प्रकाश फैलने लगा, राजा दारा जाग गया और शेरों की माँद की ओर यह देखने के लिए दौड़ा कि यदि दानिय्येल के परमेश्वर ने उसे बचाया है । बहुत वेदना के साथ राजा ने कहा, “हे दानिय्येल, हे जीवित परमेश्वर के सेवक, क्या तेरा परमेश्वर जिसकी तू तो सदा सेवा करता रहा है तुझे शेरों से बचा पाने में समर्थ हो सका है?”

शेरों के माँद से एक प्रफुल्लित आवाज़ ने राजा को उत्तर दिया “’राजा, अमर रहे!  मेरे परमेश्वर ने मुझे बचाने के लिये अपना स्वर्गदुत भेजा था। उस स्वर्गदूत ने शेरों के मुँह बन्द कर दिये। शेरों ने मुझे कोई हानि नही पहुँचाई क्योंकि मेरा परमेश्वर जानता है कि मैं निरपराध हूँ। मैंने राजा के प्रति कभी कोई बुरा नही किया है।‘”

दानिय्येल जीवित और कुशल था I उसने रात परमेश्वर के दूतों की उपस्थिति में बितायी थी I

राजा बहुत प्रसन्न था कि दानिय्येल और उसके सेवक और मित्र, जीवित थे I उसने आज्ञा दी कि दानिय्येल को बाहर निकाला जाए I दानिय्येल को कोई हानि नहीं पहुँचाई थी क्योंकि दानिय्येल को अपने परमेश्वर पर विश्वास था।

इसके बाद राजा ने उन लोगों को जिन्होंने दानिय्येल पर अभियोग लगा कर उसे शेरों की माँद में डलवाया था, बुलवाने का आदेश दिया और उन लोगों को, उनकी पत्नियों को और उनके बच्चों को शेरों की माँद में फेंकवा दिया गया। इससे पहले कि वे शेरों की मांद में धरती पर गिरते, शेरों ने उन्हें दबोच लिया।

  इस पर राजा दारा ने सारे संसार के लोगों, और इस्राएल के परमेश्वर को सम्मान देने के लिए दूसरी जाति के विभिन्न भाषा बोलनेवालों को यह पत्र लिखा:

“ मैं एक नया नियम बना रहा हूँ। मेरे राज्य के हर भाग के लोगों के लिये यह नियम होगा। तुम सभी लोगों को दानिय्येल के परमेश्वर का भय मानना चाहिये और उसका आदर करना चाहिये।

दानिय्येल का परमेश्वर जीवित परमेश्वर है।
    परमेश्वर सदा—सदा अमर रहता है!
साम्राज्य उसका कभी समाप्त नहीं होगा
    उसके शासन का अन्त कभी नहीं होगा
 परमेश्वर लोगों को बचाता है और रक्षा करता है।
    स्वर्ग में और धरती के ऊपर परमेश्वर अद्भुत आश्चर्यपूर्ण कर्म करता है!
परमेश्वर ने दानिय्येल को शेरों से बचा लिया।“

दानिय्येल को बचाने में परमेश्वर का यह चमत्कार पृथ्वी के सबसे महान साम्राज्य के लोगों को दिखाता है कि एक है जो उन्हें बचा सकता है I दानिय्येल बाबेल में कुशलपूर्वक वास करता रहा I उसे राजा दारा, जो साइरस भी कहलाता है, के नीचे पूरे देश का अधिकारी बनाया गया I