पाठ 3 : पहले तीन दिन

आइये एक साथ बाइबिल का पहला अध्याय पढ़ें। यह सबसे सुंदर चीज़ है जो किसी भी भाषा में नहीं लिखी गयी और सबसे अच्छी बात यह है कि यह सच है! 

"आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया। पृथ्वी बेडौल और सुनसान थी। धरती पर कुछ भी नहीं था। समुद्र पर अंधेरा छाया था और परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मण्डराती थी।"

वाह! अपने मन में इस तस्वीर कि कल्पना करने का प्रयास करें। सब कुछ अंधेरे और अराजकता और भ्रम, शून्य की एक खाई है। लेकिन जीवित परमेश्वर किआत्मा मँडराती थी और हवा के प्रवाह की तरह अराजकता के द्रव्यमान के समान मँडराता था। वो भ्रमांड में शांति से मंडराता था और सृष्टि कि रचना करता था। सब कुछ उसके नियंत्रण में था जिसके माध्यम से वह एक कौशल कलाकार समान परमेश्वर की विशाल सृष्टि का निर्माण कर रहा था। 

"तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” और उजियाला हो गया। परमेश्वर ने उजियाले को देखा और वह जान गया कि यह अच्छा है। तब परमेश्वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया। परमेश्वर ने उजियाले का नाम “दिन” और अंधियारे का नाम “रात” रखा।

शाम हुई और तब सवेरा हुआ। यह पहला दिन था।"

अपनी आँखें बंद कीजिये और अपने मस्तिश्क में उस तस्वीर कि कल्पना कीजिये। निर्माण का पहला दिन प्रकाश के धमाके के साथ आया था! परमेश्वर इतना शक्तिशाली है की उसे केवल अपनी इच्छा को प्रकट करने की देर है और ज्योति धमाके के साथ निकल आई। इतिहास का यह सबसे धमाकेदार आतिशबाजी का प्रदर्शन होगा! परमेश्वर के वचन के आगे अंधेरा और अव्यवस्था जैसा कुछ भी नहीं था! बाइबिल बताती है कि जब स्वर्गदूतों ने देखा वे खुशी से चिल्लाये!

प्रकाश परमेश्वर का हिस्सा नहीं था, इसे उसने अलग से बनाया था। लेकिन यह परमेश्वर की सिद्ध इच्छा से आया है, इसीलिए यह अच्छा था! प्रकाश परमेश्वर की सेवा करने के लिए बनाई गई थी।मात्र शब्दों के साथ, परमेश्वर ने ज्योति को अंधकार से अलग कर दिया, और फिर उसने समय का विभाजन करने के लिए प्रकाश और अंधकार का उपयोग किया। ज्योति से दिन आया, और अंधकार से रात। परमेश्वर ने समय को बनाया था! परमेश्वर की कला हर एक रीति से सिद्ध और व्यवस्थित थी।

"तब परमेश्वर ने कहा,“जल को दो भागों में अलग करने के लिए वायुमण्डल हो जाए।” इसलिए परमेश्वर ने वायुमण्डल बनाया और जल को अलग किया। कुछ जल वायुमण्डल के ऊपर था और कुछ वायुमण्डल के नीचे। परमेश्वर ने वायुमण्डल को “आकाश” कहा! तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह दूसरा दिन था।"

परमेश्वर सारे प्राणियों के रहने के लिए एक विशाल कक्ष को बना रहा था और इसलिए उसने पानी का विभाजन किया। उसकी आज्ञा देने पर पानी तुरंत विभाजित हुआ। जो पानी नीचे था वह समुन्द्र बन गया और जो ऊपर था, वह आकाश मंडल में एक महान चंदवा या तम्बू के समान हो गया जो सारे संसार को ढांपे हुए था। परमेश्वर वातावरण को बना रहा था! यह शक्तिशाली जलवायु प्रणाली थी जो पृथ्वी पर मौसम को नियंत्रित करता है! परमेश्वर इसका बनाने वाला था और इसलिए उसे यह अधिकार था की वह अपने शिल्प कौशल को नाम दे सके। परमेश्वर ने गुंबददार विस्तार का नाम आकाश रखा! 

 

"और तब परमेश्वर ने कहा,“पृथ्वी का जल एक जगह इकट्ठा हो जिससे सूखी भूमि दिखाई दे” और ऐसा ही हुआ। परमेश्वर ने सूखी भूमि का नाम “पृथ्वी” रखा और जो पानी इकट्ठा हुआ था, उसे “समुद्र” का नाम दिया। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी, घास, पौधे जो अन्न उत्पन्न करते हैं, और फलों के पेड़ उगाए। फलों के पेड़ ऐसे फल उत्पन्न करें जिनके फलों के अन्दर बीज हों और हर एक पौधा अपनी जाति का बीज बनाए। इन पौधों को पृथ्वी पर उगने दो” और ऐसा ही हुआ। पृथ्वी ने घास और पौधे उपजाए जो अन्न उत्पन्न करते हैं और ऐसे पेड़, पौधे उगाए जिनके फलों के अन्दर बीज होते हैं। हर एक पौधे ने अपने जाति अनुसार बीज उत्पन्न किए और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह तीसरा दिन था।"

 

कल्पना कीजिये किआप स्वर्गदूतों के साथ यह सब देख रहे हैं! परमेश्वर इन्हीं सब पदों से हमें निमंत्रित कर रहे हैं की हम भी ऐसा ही कर पाएं। हम उसके महान कामों को अपने मस्तिश्क में देख सकते हैं जैसा कि वह वर्णन कर रहा है। उस ज़बरदस्त पानी कि कल्पना कीजिये जो सारे पृथ्वी को ढांपे हुए है। अब उसके विभाजन होने कि कल्पना कीजिये जब उसके पीछे हटने से द्वीप और विशाल महाद्वीप दिखाई देने लगे! वाह! 

भूमि और समुद्र को रचा गया। परमेश्वर इतना शक्तिशाली है किउसके केवल बोलने से सीमाएं निर्धारित हो जाती थीं। फिर उसने उनको नाम दिया क्यूंकि वह उनका बनाने वाला था और उनका स्वामी भी। वो अभी भी समुन्द्र में हलचल लाने में शक्तिशाली है। स्वर्ग में और पृथ्वी पर सब कुछ उसका है, और वह उन सब पर पूरे सामर्थ के साथ राज करता है।

 

परमेश्वर ने अपनी इच्छा को फिर से प्रकट किया और, पेड़ और पौधे और फूल और लताएं पूरी पृथ्वी पर उग आए। हर एक पौधे का अपना विशेष आकार था। चीड़ के पेड़ के अपने अपरिष्कृत छाल! आम के पेड़ किचौड़ी पत्तियां, कोमल पंखुड़ियों के साथ बैंगनी फूल, और सूरजमुखी कि पीली प्रतिभा! प्रत्येक संयंत्र इतना अद्भुत अद्वितीय था, और वे सभी परमेश्वर की रचनात्मक बुद्धि से निकले थे! प्रत्येक पौधा बीज को बनाएगा और ज़मीन की भरपाई करेगा। परमेश्वर प्रतिभाशाली है, और जो कुछ उसने बनाया पृथ्वी के प्राणियों के लिए वह सौंदर्य और दया कि आशीष देने के इरादे से बनाया था। 

 

परमेश्वर कि कहानी पर मनन। 

हम चीजों को बेहतर समझ पाते हैं जब हम उनकी कल्पना करते हैं। क्या आप अंधेरे और अराजकता के शून्य तस्वीर की कल्पना कर सकते हैं? क्याआपउसपरमेश्वरकिकल्पनाकरसकतेहैंजोशून्यसेहै?क्या आप विस्फोटक शानदार प्रकाश कि तस्वीर किकल्पना कर सकते हैं? आपने कभी भी अंधेरे में रहकर डर को महसूस किया है? बत्ती जलाने पर आपको कैसा महसूस होता है? परमेश्वर ने पूरे ब्रह्मांड के लिए ऐसा ही किया! 

 

अपनी दुनिया, परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

परमेश्वर ने सृष्टि के प्रत्येक दिन के समापन पर कहा कि उसका काम अच्छा था। जब आप सितारों और उन उज्ज्वल, सफेद झोंके बादलों को देखतेहैं, तो क्या आपकी आत्मा गहराई से नहीं समझ पाती कि यह सब चीज़ें कितनी अच्छी हैं? क्या आप उस समय को याद कर सकते हैं जब आप परमेश्वर की सुंदर रचना को देख कर खुश हुए हों? उसका वर्णन कीजिये!

 

अपने परमेश्वर को प्रत्युत्तर देना!

प्रभु की स्तुति करने का एक तरीका भजन संहिता के माध्यम से धन्यवाद भरे हृदय से प्रार्थना करना है। अपने स्वर्गीय पिता से विनती करिये कि वह आपको और अधिक आभारी बनने के लिए आपकी मदद करे। भजन संहिता 148:1-6 को इस तरह पढ़िए मानो आप उसे सुना रहे हों!

 

"यहोवा के गुण गाओ!

स्वर्ग के स्वर्गदूतों,
यहोवा की प्रशंसा स्वर्ग से करो!
हे सभी स्वर्गदूतों, यहोवा का यश गाओ!
ग्रहों और नक्षत्रों, उसका गुण गान करो!
सूर्य और चाँद, तुम यहोवा के गुण गाओ!
अम्बर के तारों और ज्योतियों, उसकी प्रशंसा करो!
यहोवा के गुण सर्वोच्च अम्बर में गाओ।
हे जल आकाश के ऊपर, उसका यशगान कर!
यहोवा के नाम का बखान करो।
क्यों? क्योंकि परमेश्वर ने आदेश दिया, और हम सब उसके रचे थे।
परमेश्वर ने इन सबको बनाया कि सदा—सदा बने रहें।

परमेश्वर ने विधान के विधि को बनाया, जिसका अंत नहीं होगा।"